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छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा के विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान, शासकीय दाऊ कल्याण कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बदहाली की तस्वीर पेश कर रहा है। जर्जर भवन, छतों से गिरता प्लास्टर, अपर्याप्त कक्षाएं और शिक्षकों की भारी कमी ने छात्रों का भविष्य खतरे में डाल दिया है।
2600 रेगुलर और 3400 प्राइवेट विद्यार्थियों के लिए न तो बैठने की समुचित व्यवस्था है और न ही पढ़ाई के लिए सुरक्षित माहौल। छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं, जबकि लाइब्रेरी में केवल 15 छात्रों के बैठने की जगह है। इस स्थिति ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और सरकारी दावों पर सवाल खड़े किए हैं।
जर्जर भवन में खतरे में छात्रों की जान
1986 में निर्मित महाविद्यालय की इमारत अब जर्जर हो चुकी है। दीवारों और छतों से प्लास्टर लगातार गिर रहा है, जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। एक छात्रा ने बताया कि वॉशरूम की छत से प्लास्टर गिरने के कारण पहले एक छात्रा घायल हो चुकी है।
बरसात के मौसम में परिसर में पानी भरने की समस्या और गंभीर हो जाती है, जिससे छात्रों को कीचड़ और गंदगी के बीच पढ़ाई करनी पड़ती है। प्रथम वर्ष के विज्ञान संकाय के 130 और कला संकाय के 180 छात्रों को क्लासरूम में बैठने की जगह नहीं मिलती, जिसके कारण वे खड़े होकर पढ़ाई करने को विवश हैं।
लाइब्रेरी में केवल 15 कुर्सियां
लाइब्रेरी प्रभारी प्राध्यापक अमृत लाल चौधरी ने बताया कि पुस्तकों की कोई कमी नहीं है, लेकिन बैठने की जगह बेहद सीमित है। लाइब्रेरी में एक छोटा बरामदा है, जहां केवल 15 छात्र ही एक साथ पढ़ सकते हैं। स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों और हजारों छात्रों की संख्या को देखते हुए यह सुविधा नाकाफी है। छात्रों ने एक बड़े और सुसज्जित अध्ययन कक्ष की मांग की है, ताकि वे शांतिपूर्ण तरीके से पढ़ाई कर सकें।
शिक्षकों की कमी, अतिथि प्राध्यापकों पर निर्भरता
महाविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है। रेगुलर प्राध्यापकों के अभाव में अधिकांश कक्षाएं अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही हैं, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। प्राचार्य डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि छात्रों की संख्या को देखते हुए विषयों की विविधता बढ़ गई है।
शिक्षकों की कमी के कारण कई सेक्शनों में बांटकर पढ़ाई करानी पड़ती है। उदाहरण के लिए, केमेस्ट्री के छात्रों को B1, B2 और B3 सेक्शनों में बांटा गया है। संविदा शिक्षकों की नियुक्ति से काम चलाया जा रहा है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
छात्रों की मजबूरी, "विकल्प नहीं
महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है, इसलिए वे इस जर्जर इमारत में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। एक छात्रा ने कहा, "हर समय डर बना रहता है कि कहीं छत का प्लास्टर न गिर जाए। बारिश में पानी रिसता है, और कक्षाओं में बैठने की जगह भी नहीं है।" छात्रों ने बताया कि सुविधाओं की कमी और असुरक्षित माहौल उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है।
प्रशासन का रवैया और मांग
प्रभारी प्राचार्य डॉ. राजेश मिश्रा ने स्वीकार किया कि महाविद्यालय की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहा, "हमने उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा को मौखिक रूप से भवन की जर्जर स्थिति और सुविधाओं की कमी के बारे में बताया है। जल्द ही लिखित रूप से नई बिल्डिंग और अन्य सुविधाओं की मांग करेंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि 1986 में बनी इमारत में अब दरारें साफ दिख रही हैं, और इसे तत्काल मरम्मत या पुनर्निर्माण की जरूरत है।
छात्रों की उम्मीद, सरकार करे हस्तक्षेप
छात्र-छात्राओं ने प्रदेश सरकार और उच्च शिक्षा मंत्री से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि बलौदाबाजार जैसे बड़े क्षेत्र का यह सबसे महत्वपूर्ण कॉलेज है, लेकिन इसकी बदहाली शैक्षणिक विकास को बाधित कर रही है। छात्रों ने मांग की है कि
नई और सुरक्षित बिल्डिंग का निर्माण हो।
लाइब्रेरी में बैठने की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।
रेगुलर शिक्षकों की नियुक्ति हो, ताकि पढ़ाई की गुणवत्ता सुधरे।
परिसर में जलभराव और अन्य बुनियादी समस्याओं का समाधान हो।
उच्च शिक्षा मंत्री के सामने चुनौती
बलौदाबाजार के विधायक और उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती है। उनके अपने क्षेत्र के सबसे बड़े कॉलेज की यह हालत न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के उनके दावों पर भी सवाल उठाती है। छात्रों और स्थानीय लोगों का कहना है कि मंत्री को इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर तत्काल कदम उठाने चाहिए।
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