शराब लॉबी के हवाले बिलासपुर के रेत घाट

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रेत घाटों का कारोबार शराब लॉबी के कब्जे में आने से बेकाबू हो गया है। अनियंत्रित खनन, रेत की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि और अपराधों की बढ़ती वारदातों ने स्थानीय लोगों में दहशत और नाराजगी पैदा कर दी है।

author-image
Krishna Kumar Sikander
New Update
Bilaspur sand ghats handed over to the liquor lobby the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रेत घाटों का कारोबार शराब लॉबी के कब्जे में आने से बेकाबू हो गया है। अनियंत्रित खनन, रेत की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि और अपराधों की बढ़ती वारदातों ने स्थानीय लोगों में दहशत और नाराजगी पैदा कर दी है। शराब ठेकों की अवधि समाप्त होने के बाद मुनाफे की तलाश में उतरी इस लॉबी ने रेत के कारोबार पर कब्जा जमा लिया, जिसके बाद हालात बद से बदतर हो गए।

ये खबर भी पढ़ें... अजीत जोगी की मूर्ति उखाड़ने पर मचा बवाल... FIR दर्ज

रेत की कीमत 800 से बढ़कर 2000 रुपये हुई

2019 में कांग्रेस सरकार ने राज्यभर में रेत घाटों की नीलामी शुरू की थी। बिलासपुर के 22 घाटों के लिए 1600 से ज्यादा आवेदन आए। स्थानीय चर्चाओं के मुताबिक, शराब कारोबार से जुड़े प्रभावशाली लोगों ने अपने करीबियों के नाम पर सैकड़ों आवेदन जमा करवाए और ठेके भी हासिल कर लिए। नतीजा, रेत की कीमतें जो पहले 800-1000 रुपये प्रति ट्रैक्टर थीं, अब 2000 रुपये तक पहुंच गईं।

ये खबर भी पढ़ें... Weather Update : प्री-मानसून कराएगा जोरदार बारिश... कई जिलों में अलर्ट जारी

घाटों के आसपास भी किया जा रहा खनन 

खनन का यह खेल घाटों तक सीमित नहीं रहा। ठेकेदारों ने अपने घाटों के साथ-साथ आसपास के अन्य घाटों से भी अवैध खनन शुरू कर दिया। उदाहरण के लिए, मंगला घाट का ठेकेदार कोनी और लोखंडी घाटों में अवैध खुदाई करता पकड़ा गया। घुटकू घाट में तो कछार और लोफंदी घाटों से इतनी ज्यादा खनन हुआ कि जमीन नजर आने लगी। कुछ जगहों पर तो श्मशान घाटों तक को नहीं बख्शा गया।

ये खबर भी पढ़ें... CBSE ने जारी की नई गाइडलाइन... प्राइमरी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में होगी

संदेह में खनिज विभाग की भूमिका 

इस बेलगाम खनन का असर अपराधों में भी दिख रहा है। 2021 में कोनी क्षेत्र में एक महीने में दो हत्याएं हुईं, जिनमें एक मृतक सत्येंद्र सिंह अवैध खनन का मुंशी था। हाल ही में लमेर घाट पर पिस्तौल चलने की घटना ने भी सुर्खियां बटोरीं। इन घटनाओं ने स्थानीय लोगों में भय का माहौल बना दिया है। खनिज विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। आरोप हैं कि विभाग की शह पर यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। कई ठेकों की अवधि खत्म होने के बावजूद घाटों से रेत निकालना जारी है।

ये खबर भी पढ़ें... एक झपकी ने उतारा मौत के घाट... बैंक मैनेजर के माता-पिता समेत 3 की मौत

मुनाफे से समझौता नहीं चाहता माफिया

वर्तमान में जिले में उदईबंद, अमलडीहा, लक्षनपुर, करही कछार और सोढ़ाखुर्द जैसे पांच घाट वैध रूप से चल रहे हैं। कछार और लोफंदी जैसे बड़े घाटों के लिए जन सुनवाई की तारीख तय होने की बात है, जिससे रेत की उपलब्धता बढ़ सकती है। लेकिन कीमतों में कमी की उम्मीद कम है, क्योंकि माफिया अपने मुनाफे से समझौता नहीं चाहता। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या रेत माफिया पर नकेल कसी जाएगी, या यह अवैध कारोबार यूँ ही बेरोकटोक चलता रहेगा?

 

Bilaspur | sand | Liquor 

रेत बिलासपुर शराब Liquor sand Bilaspur