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छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ जंग लड़ने वाले पखांजूर के थाना प्रभारी (टीआई) लक्ष्मण केंवट को उनकी अदम्य वीरता और साहस के लिए राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा। बस्तर के अति संवेदनशील बीजापुर जिले में नक्सलियों के खौफ के बीच 36 ऑपरेशनों में 92 नक्सलियों को मार गिराने वाले इस जांबाज अफसर ने न केवल अपनी बहादुरी का परचम लहराया, बल्कि बस्तर में पुलिस के मनोबल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी बुलेट पर अंकित नक्सलियों की संख्या उनकी वीरता की कहानी बयां करती है, और अब वे अपने 100 नक्सलियों को ढेर करने के लक्ष्य से सिर्फ 8 कदम दूर हैं।
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बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ जंग का आगाज
टीआई लक्ष्मण केंवट की कहानी साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। 2007 में पुलिस में भर्ती होने के बाद 2012 में उनकी पोस्टिंग बीजापुर में हुई, जहां उस समय नक्सलियों का खौफ चरम पर था। बस्तर के हालात देखकर लक्ष्मण के सामने दो रास्ते थे: या तो डर के मारे नौकरी छोड़कर घर लौट जाएं, या फिर नक्सलियों का डटकर मुकाबला करें।
उन्होंने दूसरा रास्ता चुना और ठान लिया कि बस्तर के लोगों की सुरक्षा के लिए नक्सलियों से लोहा लेंगे। लक्ष्मण ने अपने मन में एक लक्ष्य बनाया—100 नक्सलियों को ढेर करना।उनका पहला एनकाउंटर 23 मार्च 2014 को हुआ, जिसके बाद उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला। इस सफलता ने उनके हौसले को और बुलंद किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 36 ऑपरेशनों में 92 नक्सलियों को मार गिराया।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 16 अप्रैल 2023 को कलपर की पहाड़ी में हुआ ऑपरेशन था, जिसमें उन्होंने 187 जवानों की टीम का नेतृत्व करते हुए 29 नक्सलियों को घेरकर ढेर किया। इस ऑपरेशन ने बस्तर में पुलिस का मनोबल इतना बढ़ाया कि लगातार ऑपरेशनों में नक्सलियों का सफाया किया गया। हाल ही में मानपुर में हुए ऑपरेशन में लक्ष्मण के नेतृत्व में दो बड़े नक्सली, विजय रेड्डी और लोकेश सलाम, मारे गए।
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बुलेट पर लिखी वीरता की गाथा
लक्ष्मण केंवट की बुलेट उनकी शौर्य गाथा का प्रतीक है। हर एनकाउंटर के बाद वे अपनी बुलेट पर मारे गए नक्सलियों की संख्या अपडेट कराते हैं। वर्तमान में उनकी बुलेट पर "अब तक 83" लिखा है, हालांकि वे हंसते हुए कहते हैं, "92 तक इतनी जल्दी पहुंच गया कि अपडेट कराने का समय ही नहीं मिला।" यह अनोखा तरीका न केवल उनकी वीरता को दर्शाता है, बल्कि नक्सलियों के लिए एक सख्त संदेश भी है।
बस्तर में बदला माहौल
लक्ष्मण केंवट की अगुआई में हुए ऑपरेशनों ने बस्तर के माहौल को बदल दिया है। उनके साहस और रणनीति ने पुलिस बल को नई ताकत दी है। बीजापुर जैसे अति संवेदनशील इलाके में, जहां कभी नक्सलियों का एकछत्र राज था, अब पुलिस की मजबूत मौजूदगी और लगातार ऑपरेशनों ने नक्सलियों को बैकफुट पर ला दिया है। लक्ष्मण का कहना है, "अगर बस्तर में डर के मारे सभी भाग जाएंगे, तो यहां के लोगों का क्या होगा? मैंने तय किया था कि चाहे जो हो, नक्सलियों से डटकर मुकाबला करूंगा।"
शौर्य चक्र: साहस का सम्मान
राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किए जाने की घोषणा ने लक्ष्मण केंवट की वीरता को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी है। यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ जंग लड़ रहे हर जवान के लिए गर्व का क्षण है। लक्ष्मण अब भी अपने लक्ष्य 100 नक्सलियों को ढेर करने के प्रति समर्पित हैं और कहते हैं कि वे इसे जल्द पूरा करेंगे।
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लक्ष्मण केंवट को शौर्य चक्र