छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के अबूझमाड़ में नक्सलियों का आतंक इतना था कि आप वहां जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। घने जंगलों के बीच बसे दूरुस्थ गांव में नक्सलियों के भय के कारण लोग पैदल भी जाने से कतराते थे। यहां के पूवर्ती, सिलगेर, कोंडापल्ली में जाने की सोचने से कांपते थे। अब शासन-प्रशासन की ठोस कार्रवाई के कारण नक्सली बैकफुट पर हैं और इन गांवों तक यात्री बसों का आवागमन शुरू हो गया है। इनमें वे गांव भी शामिल हैं, जो नक्सली कमांडर हिड़मा का है। हिड़मा का गांव पूवर्ती है।
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सुदूर गांवों तक पहुंची सवारी बस
बस्तर के सुदूर गांवों तक सवारी बसों के परिचालन से लोगों का जिला और ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचना आसान हो गया है। यहां के चार मार्गों पर पहली बार बसों का आवागमर शुरू हो पाया है। यह देखकर ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि अब तक नक्सली कमांडर हिड़मा का पैतृक गांव पूवर्ती, सिलगेर, कोंडापल्ली में जाने के लिए टैक्सी भी नहीं थी। लोग मोटरसाइकिल या पैदल ही आया जाया करते थे। जब यहां सुरक्षाबलों के कैंप बने तो सड़क का भी निर्माण किया गया। अब तो इन गांवों तक यात्री बसें चल रही हैं। यहां से अब सुकमा और बीजापुर के नक्सल प्रभावित गांवों से भी बसें चल रही हैं।
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गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ रहीं बसें
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डीसी बंजारे ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर उन मार्गों पर बसों का परिचालन शुरू किया जा रहा है, जिन पर आज तक बसों की सुविधा नहीं थी। सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जिला मुख्यालय से पुरम से पूवर्ती, दोरनापाल-जगरगुंडा, सिलगेर से बासागुड़ा तक एक-एक यात्री बसों चल रही है। इसके अलावा बीजापुर जिले के बासागुड़ा से सिलगेर तक भी एक-एक यात्री बसों चल रही है। इन सड़कों पर पहली बार बसों का परिचालन शुरू हुआ। इससे ग्रामीणों को काफी राहत मिली है।
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पहले गीदम से मिलती थीं बसें
बस्तर के लोगों को पहले तेलंगाना या दंतेवाड़ा जाने पहले गीदम से आना पड़ता था। नए रूटों पर बसों के परिचालन से दोरनापाल से जगर गुंडा, किष्टारम, पूवर्ती, पुरम से पूवर्ती, कोंडापल्ली, जिदपल्ली, पामेड़, उसूर, पुजारीकांकेर, सिलगेर, पूवर्ती, कोंडापल्ली और तर्रेम तक आना जाना आसान हो गया। यहां सड़कों को निर्माण सीमा सड़क संगठन कर रहा है। अभी हिड़मा के गांव तक 189 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है, ताकि सुकमा और बीजापुर को जोड़ा जा सके।
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