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करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ईएसआईसी यानि कर्मचारियों का बीमा अस्पताल लोगों को सुविधा देने में असफल हो गया है। 11 एकड़ पर बने इस अस्पताल में 73 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन, इस बड़े अस्पताल में सिर्फ 4 डॉक्टर हैं। फरवरी 2024 में 100 बिस्तरों वाले इस अस्पताल का उद्घाटन तो कर दिया गया लेकिन यहां सिर्फ ओपीडी ही चल रही है। यहां एक मेडिकल सुपरिटेंडेंट, एक डिप्टी डायरेक्टर, तीन मेडिकल अफसर और कुछ स्टाफ हैं लेकिन रोजाना औसतन 6 मरीज आते हैं।
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कर्मचारियों के लिए बनाया गया था अस्पताल
अस्पताल रायगढ़, जांजगीर-चांपा, सक्ती, जशपुर जिले के 35 हजार से अधिक ईएसआईसी से कवर्ड कर्मचारियों के लिए बनाया गया था। मरीजों की भर्ती नहीं हो पाने की बड़ी वजह पानी की अनुपलब्धता बताई जा रही है। इसके साथ ही बजट बढ़ गया, केंद्र की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण ऑपरेशन थियेटर तक नहीं बन पाया है।
होटल या बड़े कॉरपोरेट हॉस्पिटल जैसा दिखने वाला यह अस्पताल फिलहाल शोपीस बना हुआ है। रायगढ़ से खरसिया के बीच परसदा में 2018 में ईएसआईसी अस्पताल को स्वीकृति मिली थी। राज्य सरकार ने 11 एकड़ जमीन दी। केंद्र ने 73 करोड़ रुपए खर्च किए। अस्पताल 2022 में तैयार होना था लेकिन इससे पहले कोरोना के कारण देर हुई। इधर निर्माण की लागत भी बढ़ गई।
4 कारण, जिससे लोगों को लाभ नहीं मिल रहा
स्टाफ भी मानते हैं कि ना तो रेगुलर बस रूट से कनेक्टेड है और ना ही रेल लाइन से सीधा जुड़ाव है। यहां तक मरीजों का पहुंचना मुश्किल होगा। अभी सिर्फ ओपीडी चल रही है, कोई मरीज 300-500 रुपए खर्च कर यहां आने की बजाय निजी चिकित्सालय में इलाज करा लेगा। दूसरा बड़ा कारण स्टाफ की कमी है। व्यवस्था सही नहीं होने, किसी शहर या कस्बे से दूरी होने के कारण यहां स्टाफ ज्वाइन नहीं करना चाहते हैं।
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स्थानीय स्टाफ तो यहां बिल्कुल भी आना नहीं चाहते। यहां राज्य सरकार के समान ग्रेड कर्मचारी से ज्यादा वेतन और नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता भी है। तीसरा कारण पानी की कमी, बगैर पानी के अस्पताल चलाना मुश्किल होगा। मरीजों को भर्ती संभव नहीं है। चौथा कारण यह है कि अस्पताल अपूर्ण है, ईएसआईसी को हैंडओवर ही नहीं हुआ है, ऐसे में जरूरी सुविधाएं, इलाज कैसे शुरू हो।
स्टाफ, विशेषज्ञ चिकित्सकों के सहायक, 55 अन्य
स्टाफ (इसमें कांट्रैक्ट वाले भी) 59 नर्सिंग स्टाफ, 29 सीनियर नर्सिंग स्टाफ, 6 एएनएस के पद हैं। यह लिस्ट देखकर अंदाजा लग सकता है कि यह अस्पताल पूरी क्षमता से चले तो मेडिकल कॉलेज के बाद जिले का दूसरा बड़ा अस्पताल होगा। डिप्टी डायरेक्ट हिमांशु ने भास्कर को बताया कि अभी चार मेडिकल अफसर और कुछ स्टाफ हैं।
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