छत्तीसगढ़ में पटरी पर विकास, 47 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स से 2030 तक दोगुना होगा रेल नेटवर्क
रायपुर। कभी पिछड़ेपन और संसाधनों की कमी से जूझते छत्तीसगढ़ ने अब विकास की नई इबारत लिखना शुरू कर दी है। प्रदेश में रेल नेटवर्क का विस्तार इस बदलाव की सबसे बड़ी कहानी बनकर उभर रहा है।
रायपुर। कभी पिछड़ेपन और संसाधनों की कमी से जूझते छत्तीसगढ़ ने अब विकास की नई इबारत लिखना शुरू कर दी है। प्रदेश में रेल नेटवर्क का विस्तार इस बदलाव की सबसे बड़ी कहानी बनकर उभर रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बीते डेढ़ वर्षों में प्रदेश ने जो रफ्तार पकड़ी है, वह आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार और पर्यटन के नए द्वार खोलेगी।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 तक छत्तीसगढ़ में कुल 1 हजार 100 किलोमीटर रेल रूट था, जो आने वाले पांच वर्षों में बढ़कर 2 हजार 200 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा। यानी अगले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के रेल मानचित्र पर नई रेल लाइनों का जाल बिछेगा, जिससे विकास की धारा उन पिछड़े इलाकों तक भी पहुंचेगी, जहां कभी रेल पटरी की कल्पना तक नहीं की जाती थी।
केन्द्र सरकार ने भी इस दिशा में सहयोग दिया है। वर्ष 2025-26 के बजट में छत्तीसगढ़ के लिए 6 हजार 925 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। फिलहाल 47 हजार करोड़ की लागत से कई रेल परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
वंदे भारत से मेट्रो तक
प्रदेश को रायपुर–विशाखापट्टनम और रायपुर–नागपुर वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात पहले ही मिल चुकी है। आने वाले समय में रायपुर मेट्रो परियोजना का सर्वे भी अंतिम चरण में है। मेट्रो ट्रेन के संचालन से राजधानी रायपुर का चेहरा बदल जाएगा और शहरी आवागमन सुगम होगा।
रेल नेटवर्क के विस्तार से छत्तीसगढ़ में पर्यटन, व्यापार और रोजगार के अवसर कई गुना बढ़ने तय हैं। खासतौर पर बस्तर जैसे इलाके, जहां सालों तक नक्सलवाद के कारण विकास ठहर गया था, अब पटरी पर तेजी से दौड़ते नजर आएंगे।
बस्तर को जोड़ने वाली बड़ी योजनाएं
बस्तर संभाग में रावघाट–जगदलपुर रेललाइन के लिए 3 हजार 513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। 140 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन बस्तर को रायपुर और देश के अन्य हिस्सों से सीधे जोड़ेगी। इसी तरह कोत्तवलसा–किरंदुल के 170 किलोमीटर हिस्से में से 148 किलोमीटर का दोहरीकरण कार्य पूरा हो चुका है।
तेलंगाना के कोठागुडेम से छत्तीसगढ़ के किरंदुल तक प्रस्तावित 160.33 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन अब अंतिम सर्वे चरण में है। इसमें 138.51 किलोमीटर हिस्सा सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे बेहद पिछड़े जिलों से होकर गुजरेगा। यह परियोजना बस्तर के सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
लिडार तकनीक से पारदर्शी सर्वे
कोठागुडेम–किरंदुल रेलमार्ग का सर्वे लिडार (LiDAR) तकनीक से हो रहा है। यह तकनीक जमीन की संरचना, ऊंचाई और ढलान का त्रिआयामी नक्शा बनाकर सटीक डेटा जुटाती है। सर्वेक्षण में पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय सीधे निगरानी कर रहा है।
Photograph: (RO- 13270/2)
अंतिम चरण में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं
अभी राज्य में कई महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं का फाइनल लोकेशन सर्वे चल रहा है...
इन परियोजनाओं के पूरा होते ही छत्तीसगढ़ का नक्शा बदल जाएगा। इसके अलावा राजनांदगांव–नागपुर तीसरी लाइन, बिलासपुर–झारसुगुड़ा चौथी लाइन, खरसिया–धरमजयगढ़ नई लाइन और गौरेला–पेंड्रा रोड–गेवरा रोड जैसी योजनाओं पर भी डीपीआर तैयार किया जा रहा है।
रेलवे कॉर्पोरेशन की नई पहल
प्रदेश सरकार ने कटघोरा–डोंगरगढ़ रेलमार्ग के लिए 300 करोड़ का प्रावधान किया है। यह रेल लाइन नागपुर–झारसुगुड़ा माल गाड़ी मार्ग पर दबाव कम करेगी और कबीरधाम, मुंगेली जैसे जिलों को जोड़कर विकास को नई उड़ान देगी।
32 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प
छत्तीसगढ़ के 32 रेलवे स्टेशनों को अमृत भारत योजना के तहत विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग स्टेशनों पर क्रमशः 463, 435 और 456 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अंबिकापुर, उरकुरा, भिलाई, भानुप्रतापपुर और डोंगरगढ़ जैसे स्टेशनों का कायाकल्प पहले ही हो चुका है।
इस तरह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुआई में एक तरफ जहां रेलगाड़ियां प्रदेश की मिट्टी को जोड़ने का काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह नेटवर्क रोजगार, पर्यटन और उद्योगों के विस्तार की मजबूत आधारशिला बन रहा है। कोरबा की खदानों से लेकर बस्तर की हरियाली तक छत्तीसगढ़ की आत्मा अब नई पटरी पर दौड़ रही है।
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