20 महीने में 5 लाख से ज्यादा महतारी वंदन से बाहर, पूरा हुआ मोदी की गारंटी का पीरिएड, अब तक बंटे 13 हज़ार करोड़ रुपए

छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी का पीरिएड पूरा हो चुका है। कम से कम महतारी वंदन योजना में तो ऐसा ही दिखाई देता है। पिछले 20 महीने में इस योजना से 5 लाख से ज्यादा महिलाएं बाहर हो चुकी हैं।

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Arun Tiwari
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Raipur:छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी का पीरिएड पूरा हो चुका है। कम से कम महतारी वंदन योजना में तो ऐसा ही दिखाई देता है। पिछले 20 महीने में इस योजना से 5 लाख से ज्यादा महिलाएं बाहर हो चुकी हैं। यानी हर महीने औसतन 25 हजार से ज्यादा महिलाएं महतारी वंदन योजना में कम हुई हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर को महतारी वंदन योजना की 20वीं किस्त जारी की।

इसमें 65 लाख महिलाओं के खातों में सीधी एक हजार रुपए की राशि पहुंची। जब पहली बार यह महतारी वंदन योजना की राशि खातों में पहुंचाई गई थी तब इस योजना में महिलाओं की संख्या 70 लाख थी। इस सरकारी आंकड़े से साफ है कि छत्तीसगढ़ की महतारी अब सरकार पर बहुत भारी पड़ रही है। 

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सरकार पर भारी महतारी : 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली महिलाएं अब सरकार को भारी पड़ने लगी हैं। महतारी वंदन के लिए सरकार के पास मुफ्त का चंदन नहीं है। तीन चुनावों यानी विधानसभा, लोकसभा और नगरीय निकाय चुनाव में ट्रंफ कार्ड बनी महतारी वंदन योजना को सरकार बंद भी नहीं कर सकती। यह ऐसी फ्रीबीज है जो सरकार के गले में अटक गई है। बंद करने पर विरोध और जारी रखने पर खराब माली हालत के बीच में यह योजना झूल रही है।

इस योजना के तहत करीब करीब 600 करोड़ रुपए से ज्यादा का फंड हर महीने महिलाओं के खाते में पहुंचता है। हर महिला को सरकार एक हजार रुपए महीने दे रही है। यह योजना मध्यप्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना की तर्ज पर चालू की गई। लाड़ली लक्ष्मी ने मध्यप्रदेश में तो महतारी वंदन ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बंपर वोटर दिलवाए। नतीजा ये हुआ कि अब इस योजना को बंद करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

यही कारण है कि सरकारी खजाने पर भारी पड़ रही इस योजना से हर महीने महिलाओं के नामों में कटौती जरुर होने लगी है। जब से योजना लांच हुई और तब से लेकर आज तक इस योजना से 5 लाख से ज्यादा महिलाओं के नाम बाहर हो चुके हैं। 

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इस तरह से कम हो रही महिलाएं : 

द सूत्र ने इस योजना की पड़ताल की। अक्टूबर 2025 तक मिली राशि का पूरा लेखा जोखा निकाला। यह योजना मार्च 2024 से शुरु हुई। महतारी वंदन योजना के लिए  70 लाख 27 हजार 154 महिलाओं के आवेदन पत्र आए। इनमें से नियम शर्तों के आधार पर 70 लाख 09 हजार 366 महिलाओं को पात्र माना गया। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जब 4 अक्टूबर 2025 को महतारी वंदन योजना की राशि महिलाओं के खाते में भेजी।

64 लाख 94 हजार 768 हितग्राही महिलाओं के खाते में  महतारी वंदन योजना की 20वीं किस्त के रूप में 606 करोड़ 94 लाख रुपये की राशि पहुंची। यानी मार्च 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच के बीस महीनों में 5 लाख 14 हजार 600 महिलाएं कम हो गईं। इस सरकारी आंकड़े के हिसाब से देखा जाए तो हर महीने औसतन 25 हजार 700 महिलाएं कम हुई हैं।

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महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े कहती हैं कि इस योजना ने महिलाओं को आत्म निर्भर बनाया, कुछ तकनीकी खामी से कई बार नाम छूट जाते हैं।  इनमें कुछ महिलाओं की मौत हो चुकी है। कुछ के बैंक खाते से आधार लिंक न होने या बैंक खाता बंद होने के कारण यह राशि नहीं पहुंची है। अपात्र के नाम भी हटाये जा रहे हैं। अब तक इस योजना के तहत सरकार महिलाओं को 12983 करोड़ 13 लाख रुपये बांट चुकी है। 

महतारी वंदन का फैक्ट फिगर : 

  • मार्च 2024 में महिलाओं की संख्या _70 लाख 09 हजार 366 
  • अक्टूबर 2025 में महिलाओं की संख्या _ 64 लाख 94 हजार 768
  • इतनी महिलाओं के नाम कटे _ 5 लाख 14 हजार 600
  • इनमें पेंशनधारी महिलाओं की संख्या _ 5 हजार 553 

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  दूसरे विभागों से बंट रहा फंड : 

महतारी वंदन योजना के लिए सरकार दूसरे विभागों के फंड में कटौती कर रही है। पिछले एक साल का आंकड़ा देखें तो सरकार ने महिला एवं बाल कल्याण, अनुसचित जनजाति उपयोजना और अनुसूचित जाति उपयोजना के फंड से 7 हजार करोड़ की राशि काटकर महतारी वंदन में बांट दी है। इस एक साल में महतारी वंदन योजना में करीब 7840 करोड़ रुपए बांटे गए हैं जिनमें से इन तीनों विभागों के बजट से 7 हजार 200 करोड़ रुपए निकाले गए हैं।

महिला एवं बाल कल्याण मद से 3591 करोड़ रुपए, आदिवासियों की योजनाओं के लिए आए 2729 करोड़ रुपए  और अनुसूचित जनजाति के हिस्से के 862 करोड़ रुपए महतारी वंदन योजना में बांटे गए हैं। यही है फ्रीबीज की योजनाओं का असर जो सीधे तौर पर आम आदमी पर पड़ता है। जनता के टैक्स के पैसे पार्टियां अपनी सरकार बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। इस फ्रीबीज के चक्कर में जनता पर बिजली से लेकर प्रॉपर्टी तक टैक्स का बोझ बढ़ाया जा रहा है।

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