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एनएचएम यानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मियों के नियमितीकरण का मामला राज्य सरकार के दायरे में आता है, न कि केंद्र सरकार के...केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इस जवाब ने छग सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। क्योंकि राज्य सरकारें एनएचएम कर्मचारियेां के इस मांग को यह कहकर हमेशा से टालती रही हैं कि एनएनएम कर्मचारियों का फंड केंद्र सरकार से आता है। इसलिए वही नियोक्ता है। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एनएचएम सेक्सन ने कर्मचारियों को राज्य का बताया है। एनएचएम कर्मचारियों का कहना है कि इस पत्र ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है। सरकार अब हमें बरगला नहीं सकती है।
नियमितिकरण की मांग पुरानी
छग में एनएचएम कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग पुरानी है। राज्य के करीब 18 हजार कर्मचारी पिछले 10 सालों से इसकी मांग करते आए हैं। इसके बाद 2 बार सरकार बदल चुकी है लेकिन अभी तक मांग पूरी नहंी हुई। आंदोलन के दौरान हर बार सरकारें यहीं तर्क देती हैं कि चंूकि एनएचएम योजना संचालन के लिए केंद्र सरकार से फंड आता है। इसलिए सारे कर्मचारी केंद्र के सरकार के अधीन हैं। अगर इन्हें नियमित कर देंगे तो केंद्र सरकार इनके हिस्से का पैसा देना बंद कर देगी।
शासकीय सुविधाओं का नहंी मिलता लाभ
आंकड़ों के मुताबिक छग में 18 हजार कर्मचारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ हैं। जो नर्सिंग से लेकर डॉक्टर के रुप में मरीजों का इलाज तक करते हैं। लेकिन इसके एवज में नियमित डॉक्टरों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत ही वेतन मिलता है। साथ ही इनकी सेवा संविदा कर्मचारी के रुप में रहती है। इन्हें पेंशन जैसी अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता।
देश में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी
डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी दूर करते हुए ग्रामीण आबादी, विशेषकर कमजोर वर्गों को सुलभ, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की थी। जिसे 2013 में बदलकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर दिया। जिसका उद्देश्य शहरी आबादी को फोकस करना था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित यह योजना देशभर में संचालित है जिसके तहत 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी अधिकारी स्वास्थ्य केंद्रों अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं।
क्या कहा केंद्र सरकार ने
राज्य सरकार के जवाब से नाराज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक आरटीआई भेजा। जिसमें एनएचएम कर्मियों के नियोक्ता और नियमितिकरण के संबंध में सवाल पूछा। जिसपर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जवाब दिया कि एनएचएम कर्मचारियों की नियोक्ता राज्य सरकार है इसलिए इनसे संबंधित नीतिगत निर्णय राज्य सरकार ले सकती है। आरटीआई लगाने वाले सूरज चंद्राकर बता रहे हैं कि राज्य सरकार के पुराने जवाब से हम लोग उब चुके थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के उत्तर से सबकुछ स्पष्ट हो गया है।
आदेश कब लागू होगा बताए
इधर छग प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी का कहना है कि नियमितिकरण की मांग को लेकर हम लोग जब भी आंदोलन करते थे, सरकारें हमें बरगला देती थीं। अब तो केद्र सरकार ने कह दिया है कि राज्य नीतिगत निर्णय ले सकती है। तो अब इन्हें बताना चाहिए कि मोदी की गारंटी कब लागू करते हुए नियमितीकरण का आदेश जारी कर रहे हैं।.
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