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Naxal Surrender. माओवादी संगठन को एक और बड़ा झटका लगा है। संगठन के कुख्यात टॉप लीडर बंडी प्रकाश उर्फ प्रभात/अशोक/क्रांति ने मंगलवार को तेलंगाना के डीजीपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। करीब 45 वर्षों से संगठन में सक्रिय बंडी प्रकाश पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 25 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।
यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ और तेलंगाना दोनों राज्यों की पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि बंडी प्रकाश का सरेंडर दंडकारण्य ज़ोन में सक्रिय स्पेशल जोनल कमेटी की गतिविधियों को कमजोर करेगा।
छात्र नेता से बना माओवादी कमांडर
नक्सली बंडी प्रकाश तेलंगाना के मंचेरियल जिले के मंदामरी क्षेत्र का निवासी है। उसके पिता सिंगरेनी कोलियरी में कर्मचारी हैं। छात्र जीवन में ही वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित हुआ और 1982–84 के “गांव चलो आंदोलन” के दौरान रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़ गया। धीरे-धीरे उसने संगठन में जिम्मेदारियां संभालनी शुरू कीं और तेलंगाना स्टेट कमेटी और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में शामिल हो गया।
25 लाख का था इनाम, सिंगरेनी बेल्ट का प्रभारी
बंडी प्रकाश माओवादी संगठन के भीतर सिंगरेनी कोलबेल्ट कमेटी का सचिव था। वह लंबे समय से स्पेशल जोनल कमेटी (SZC) के तहत छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय था। तेलंगाना सरकार ने उस पर ₹25 लाख का इनाम घोषित किया था। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पोलित ब्यूरो सदस्य वेणुगोपाल उर्फ सोनू दादा के आत्मसमर्पण के बाद, सिंगरेनी कमेटी ने भी हथियार डालने का मन बना लिया था।
छत्तीसगढ़ में माओवादियों पर दबाव लगातार बढ़ रहा
छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंडकारण्य क्षेत्र में हाल के महीनों में माओवादी संगठन पर सुरक्षा बलों का दबाव तेजी से बढ़ा है। कुछ ही दिन पहले पोलित ब्यूरो सदस्य एवं केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो प्रमुख भूपति और केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश उर्फ सतीश के नेतृत्व में 271 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके अगले ही दिन कांकेर क्षेत्र में 20 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए थे। अब बंडी प्रकाश के सरेंडर के बाद, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की रीढ़ और कमजोर पड़ सकती है।
लगातार आत्मसमर्पण से टूट रही माओवादी कमेटी की कमर
बंडी प्रकाश से पहले माओवादी नेता भूपति की पत्नी तारक्का, उसकी भाभी सुजाता, और माओवादी नेता सुधाकर की पत्नी ककराला सुनीता भी आत्मसमर्पण कर चुकी हैं। यह सिलसिला संगठन में आंतरिक असंतोष और घटते मनोबल का स्पष्ट संकेत देता है।
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