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CG Weather Update: छत्तीसगढ़ के उत्तरी और मध्य जिलों में इस वक्त भीषण ठंड और शीतलहर का कहर जारी है। मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों के लिए प्रदेश के कई इलाकों में शीतलहर (Cold Wave) की चेतावनी जारी की है। सरगुजा संभाग से लेकर मैदानी इलाकों तक पारा गिरने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
तापमान का हाल: कहीं बर्फ, तो कहीं हल्की गर्मी
पिछले 24 घंटों के आंकड़ों ने प्रदेश में ठंड की तीव्रता को साफ कर दिया है। जहां उत्तर में ओस जम रही है, वहीं कुछ मैदानी इलाकों में तापमान अब भी स्थिर बना हुआ है।
| क्षेत्र | न्यूनतम तापमान (°C) | स्थिति |
| अंबिकापुर | 4.3°C | प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान |
| राजनांदगांव | 8.5°C | मैदानी इलाकों में सबसे ठंडा |
| रायपुर | 12.0°C | आउटर इलाकों में घना कोहरा/धुंध |
| दुर्ग | 29.6°C (Max) | प्रदेश में सबसे अधिक तापमान |
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मौसम का पूर्वानुमान
अगले 2 दिनों तक न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, लेकिन इसके बाद 1 से 2 डिग्री की बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे लोगों को ठंड से थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
मैनपाट और सरगुजा: जम गई ओस की बूंदें
उत्तर छत्तीसगढ़ के 'शिमला' कहे जाने वाले मैनपाट में सुबह का नजारा कश्मीर जैसा रहा। यहां ओस की बूंदें जमकर बर्फ बन गई हैं। सरगुजा के पाट क्षेत्रों और मैदानी इलाकों में भारी पाला (Frost) पड़ा है, जिससे फसलों को भी नुकसान की आशंका है।
अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर घने कोहरे के कारण विजिबिलिटी काफी कम रही।
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बच्चों में 'हाइपोथर्मिया' का खतरा
कड़ाके की ठंड का सबसे बुरा असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। अकेले रायपुर के अंबेडकर अस्पताल और निजी क्लीनिकों में पिछले एक महीने में हाइपोथर्मिया के 400 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
क्या है हाइपोथर्मिया?
यह एक जानलेवा स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान 95°F (35°C) से नीचे गिर जाता है। शरीर का अचानक ठंडा पड़ना, सुस्ती, सांस लेने में तकलीफ और मांसपेशियों में अकड़न।
नवजात शिशु और बुजुर्ग इसके सबसे आसान शिकार होते हैं। पीडियाट्रिशियन डॉ. आकाश लालवानी के मुताबिक, सीजेरियन डिलीवरी वाले शिशुओं में यह खतरा अधिक होता है क्योंकि उनकी मांसपेशियां कम विकसित होती हैं।
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अस्पतालों की OPD फुल
अस्पतालों में सर्दी-खांसी और वायरल फीवर के मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। अंबेडकर अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 2000 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें चेस्ट और पीडियाट्रिक विभाग के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है।
सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां
- सुबह और रात के वक्त सिर, कान और पैरों को ढककर रखें।
- नवजातों को 'कंगारू केयर' दें और उनके शरीर का तापमान जांचते रहें।
- गुनगुने पानी का सेवन करें और ठंडी चीजों से परहेज करें।
- अलाव का सावधानीपूर्वक उपयोग: बंद कमरों में कोयला या अलाव जलाकर न सोएं, इससे दम घुटने का खतरा रहता है।
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