छत्तीसगढ़ के इन जिलों में शीतलहर का अलर्ट, जानें कब मिलेगी राहत

छत्तीसगढ़ में कड़ाके की ठंड का दौर जारी है। मैनपाट में न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जबकि सरगुजा संभाग में ओस जमकर बर्फ में तब्दील हो गई। मौसम विभाग ने उत्तर और मध्य छत्तीसगढ़ में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है।

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Harrison Masih
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CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में इन दिनों कड़ाके की ठंड का दौर जारी है। उत्तर से आ रही सर्द हवाओं के कारण प्रदेश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में ठिठुरन बढ़ गई है। सरगुजा संभाग और मैनपाट में हालात बेहद गंभीर हैं, जहां ओस की बूंदें जमकर बर्फ में तब्दील हो गई हैं।

मैनपाट में रात का न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

सामान्य से 5 डिग्री तक नीचे गया तापमान

शहरन्यूनतम तापमानसामान्य से गिरावट
अंबिकापुर4.3°C - 4.8°Cसबसे ठंडा
मैनपाट1.2°C - 2.0°Cबर्फ जमने की स्थिति
दुर्ग9.8°C-5.3°C
रायपुर10.4°C - 12°C-4.2°C
जगदलपुर11.5°C(अधिकतम 29.4°C)

मैनपाट और सरगुजा में जमी ओस, खेतों और पौधों पर पाला

मैनपाट में सुबह के समय पौधों और घास पर जमी ओस की बूंदें बर्फ बन गईं। सरगुजा संभाग के खुले मैदानों में भी पाला पड़ने से घास और फसलों पर सफेद परत दिखाई दी। सरगुजा के पाट इलाकों से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक ठंड का व्यापक असर देखा जा रहा है।

ठंड के चलते ग्रामीण इलाकों में लोग सुबह और रात के समय अलाव जलाने को मजबूर हैं।

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अगले 24 घंटे शीतलहर का अलर्ट

मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर और मध्य छत्तीसगढ़ के जिलों में एक-दो स्थानों पर शीतलहर (कोल्ड वेव) चलने की संभावना जताई है। हालांकि विभाग के अनुसार, अगले पांच दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे ठंड से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। फिलहाल प्रदेश में मौसम शुष्क बना हुआ है।

बच्चों की सेहत पर ठंड का गहरा असर

कड़ाके की ठंड का सबसे ज्यादा असर बच्चों की सेहत पर देखने को मिल रहा है। बीते एक महीने में रायपुर के अंबेडकर अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में हाइपोथर्मिया के 400 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में जल्दी ठंडा होता है, जिससे उन्हें ज्यादा खतरा रहता है।

नवजातों में बढ़ा हाइपोथर्मिया का खतरा

बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशुओं की मांसपेशियां पूरी तरह विकसित नहीं होतीं, इसलिए वे ठंड सहन नहीं कर पाते। खासकर सीजेरियन डिलीवरी से जन्मे शिशुओं में हाइपोथर्मिया का खतरा अधिक रहता है।

लापरवाही की स्थिति में बच्चों को NICU और SNCU में भर्ती कर इलाज करना पड़ रहा है।

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OPD में बढ़ी मरीजों की संख्या

ठंड के चलते अस्पतालों की ओपीडी में भीड़ बढ़ गई है। वायरल फीवर, सर्दी-खांसी और सांस संबंधी बीमारियों के मरीज लगातार अस्पताल पहुंच रहे हैं। अंबेडकर अस्पताल में मेडिसिन, पीडियाट्रिक और चेस्ट विभाग में 600 से ज्यादा मरीज सामने आए हैं।

रोजाना 2000 से अधिक मरीजों का इलाज ओपीडी में किया जा रहा है।

क्या है हाइपोथर्मिया?

हाइपोथर्मिया एक जानलेवा आपात स्थिति है, जिसमें शरीर का सामान्य तापमान 98.6 फॉरेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) से नीचे चला जाता है। तापमान गिरने पर शरीर के अहम अंग ठीक से काम करना बंद कर सकते हैं।

पीडियाट्रिशियन डॉ. आकाश लालवानी के अनुसार, ठंड के मौसम में शरीर हवा या पानी के संपर्क में आकर तेजी से अपनी गर्मी खो देता है। शरीर की करीब 90 प्रतिशत गर्मी त्वचा और सांस के जरिए बाहर निकल जाती है।

ठंडे पानी में शरीर हवा की तुलना में 25 गुना तेजी से गर्मी खोता है, जिससे हाइपोथर्मिया का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

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