लोकसभा चुनावः CG में चार का चक्कर, इसमें फंसकर किसने चखा हार का स्वाद

छत्तीसगढ़ में इस बार भी चार सीटों में बहुत क्लोज फाइट है। आइए आपको बताते हैं वे कौन सी सीटें हैं जहां के वोटर इतने कम मार्जिन से उम्मीदवारों को जिताते या हराते हैं। इस बार भी इन सीटों पर कड़ा मुकाबला है...

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Jitendra Shrivastava
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CG में चार का चक्कर।

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अरुण तिवारी, RAIPUR. लोकसभा चुनाव में आमतौर पर जीत हार का अंतर बहुत बड़ा होता है। इसका सीधा कारण है कि एक लोकसभा सीट में आठ विधानसभा सीटें होती हैं और वोटर की संख्या भी 15-16 लाख तक होती है। इसीलिए जीत का मार्जिन भी हजारों, लाखों में होता है। लेकिन एक राज्य ऐसा भी है जहां आधे परसेंट वोट से भी जीत हार हो जाती है। यह राज्य है छत्तीसगढ़ जहां की एक तिहाई लोकसभा सीटों का रिजल्ट आधे से ढाई फीसदी तक होता है। यही कारण है कि यहां की जीत हार का अनुमान राजनीतिक पंडित भी नहीं लगा पाते। यहां पर उम्मीदवारों को एक वोटर को साधना होता है क्योंकि जहां नजर हटी और वहीं दुर्घटना घटी। हर चुनाव में कम से कम तीन से चार सीटों का मुकाबला नेक टू नेक होता है। इसी फेर में छत्तीसगढ़ की राजनीति के दिग्गज कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, भूपेश बघेल, दिग्गज नेता चरणदास महंत और करुणा शुक्ला जैसे नेता चुनाव हार चुके हैं। लोकसभा चुनाव में दस से ग्यारह फीसदी अंतर को बहुत ज्यादा नहीं माना जाता यानी इस अंतर को पाटा जा सकता है। इस बार भी चार सीटों में बहुत क्लोज फाइट है। आइए आपको बताते हैं वे कौन सी सीटें हैं जहां के वोटर इतने कम मार्जिन से उम्मीदवारों को जिताते या हराते हैं। इस बार भी इन सीटों पर कड़ा मुकाबला है। 

चौकड़ी पर सबकी नजर

चौकड़ी यानी चार। छत्तीसगढ़ की चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिनमें जीत हार फंसी हुई है। यहां जीत हार का अंतर कुछ हजार ही होता है। यानी बाजी कभी भी पलट सकती है। पिछले चार चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यहां पर मतदाता का मन किसी लहर या किसी मुद्दे से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होता। इस बार कोरबा, राजनांदगांव, जांजगीर और महासमुंद, ऐसी सीटें हैं जहां पर कोई जीत हार का अनुमान नहीं लगा पा रहा। कोरबा सीट पर बीजेपी हर बार चेहरा बदल देती है यानी यहां पर सिटिंग सांसद रिपीट नहीं होता फिर भी दो बार यहां बीजेपी हार चुकी है। राजनांदगांव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल की उम्मीदवारी ने उसे हॉट सीट बना दिया है। महासमुंद में जाति कार्ड बहुत अहम है, यहां पर जाति ही जीत हार तय करती है। वहीं जांजगीर में जीत का मार्जिन हर चुनाव में कम होता जाता है। 

ऐसा रहा पिछले चुनावों में जीत हार का अंतर... 

2004 
जांजगीर : बीजेपी की करुणा शुक्ला ने कांग्रेस के भूपेश बघेल को हराया। जीत का अंतर रहा 1.6 फीसदी।
राजनांदगांव : बीजेपी के प्रदीप गांधी ने कांग्रेस के देवव्रत सिंह को हराया। जीत का अंतर रहा 2.2 फीसदी।
सारंगगढ़ : बीजेपी के गुहाराम अजगले ने कांग्रेस के परसराम भारद्वाज को हराया। जीत का अंतर रहा 10.1 फीसदी।

2009  
दुर्ग : बीजेपी की सरोज पांडे ने कांग्रेस के प्रदीप चौबे को हराया। जीत का अंतर रहा 1.1 फीसदी।
कांकेर : बीजेपी के सोहन पोटाई ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम को हराया। जीत का अंतर रहा 2.6 फीसदी।
कोरबा : कांग्रेस के चरणदास महंत ने बीजेपी की करुणा शुक्ला को हराया। जीत का अंतर रहा 2.8 फीसदी।

2014 
दुर्ग : कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने बीजेपी की सरोज पांडे को हराया। जीत का अंतर रहा 1.3 फीसदी।
कोरबा : बीजेपी के बंशीलाल महतो ने कांग्रेस के चरणदास महंत को हराया। जीत का अंतर रहा 0.4 फीसदी।
महासमुंद : बीजेपी के चंदूलाल साहू ने कांग्रेस के अजीत जोगी को हराया। जीत का अंतर रहा 0.1 फीसदी।

2019 
कांकेर : बीजेपी के मोहन मंडावी ने कांग्रेस के बीरेश ठाकुर को हराया। जीत का अंतर रहा 0.6 फीसदी।
कोरबा : कांग्रेस की ज्योत्सना महंत ने बीजेपी के ज्योतिनंद दुबे को हराया। जीत का अंतर रहा 2.3 फीसदी।
जांजगीर : बीजेपी के गुहाराम अजगले ने बीजेपी के रवि भारद्वाज को हराया। जीत का अंतर रहा 6.7 फीसदी।

2024 के चुनाव में हॉट सीट, जो फंसी हुई हैं... 

कोरबा : इस बार कांग्रेस की सिटिंग एमपी चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत हैं। उनका मुकाबला बीजेपी की सरोज पांडे से है। 
राजनांदगांव : कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेश बघेल उम्मीदवार हैं। बीजेपी से सिटिंग एमपी संतोष पांडे हैं। 
महासमुंद : कांग्रेस उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू हैं जिनका मुकाबला बीजेपी की रुपकुमारी चौधरी से है। 
जांजगीर : यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार मेनका देवी सिंह का मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार कमलेश जांगड़ेडा से है।

 

लोकसभा चुनाव छत्तीसगढ़ की चार लोकसभा सीटें चौकड़ी यानी चार