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शिव शंकर सारथी, RAIPUR. बीजापुर में अपर कलेक्टर अतुल शेट्टे जिले से अपने उच्च अधिकारी को सूचित किए ही बिना ही गायब हो गए हैं। सूत्रों ने बताया कि अतुल शेट्टे ( Additional Collector ) पोस्टिंग के बाद मुश्किल से दो दिन ही बीजापुर में रहे। अतुल रायगढ़ में नायब तहसीलदार थे यहां उन्होंने पूंजीपतियों के लिए शासकीय जमीनों में जमकर बंदरबांट की। इसी के चलते अतुल डिप्टी कलेक्टर बने और इस पद पर रहते हुए वह तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के ओएसडी बन गए।
छत्तीसगढ़ में अतुल शेट्टे के बड़े कारनामे हैं
छत्तीसगढ़ में अतुल शेट्टे कोई बड़ा नाम नहीं है, लेकिन इनके कारनामे बड़े हैं। 2023 तक अतुल शेट्टे तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के ओएसडी हुआ करते थे। अमरजीत भगत का नाम ED की एफआईआर में है। कोयला परिवहन घोटाला के किंग पिन सूर्यकांत तिवारी से मिली डायरी में अमरजीत भगत को पचास लाख रुपए दिए जाने का जिक्र है। DMF घोटाला, शराब घोटाला, कस्टम मिलिंग घोटाला और महादेव सट्टा ऐप जैसे घोटालों में कुछ नाम ऐसे भी हैं। जो दोनों-तीनों घोटाले में शामिल है। कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनके नाम जांच एजेंसी के दस्तावेजों में आरोपी के रूप में दर्ज है, फिर भी शासकीय सेवा में बने हुए हैं और गुल खिलाने में लगे हुए हैं।
शासकीय जमीनों में जमकर बंदरबांट की
कोयला परिवहन घोटाला की जांच कर रही ED और कस्टम मिलिंग घोटाला की जांच कर रही EOW अदालत में कितनों को दोषी साबित कर सकेगी यह भविष्य के गर्भ में है। सूचना का अधिकार अधिनियम के एक सिपाही ने अतुल शेट्टे की पूरी कुंडली निकाली है। सूत्र ने बताया कि अतुल, रायगढ़ में नायब तहसीलदार थे यहां भी उन्होंने पूंजीपतियों के लिए शासकीय जमीनों में जमकर बंदरबांट की। अतुल तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते डिप्टी कलेक्टर बना और इस पद में रहते हुए वह तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का ओएसडी बन गया। अतुल शेट्टे कस्टम मिलिंग घोटाला के आरोपी रोशन चंद्राकर और शराब घोटाला के आरोपी आईएएस निरंजन दास के सम्पर्क में था। आयकर विभाग के सूत्रों की माने तो अतुल के नाम रायगढ़ और रायपुर में अचल सम्पत्तियां हैं। खाद्य मंत्रालय में तीन सालों में डेढ़ सौ ट्रांसफर हुए थे। प्रवर्तन निदेशालय,आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा की जांच में अचल सम्पत्तियां, पॉलिटिकल फंडिंग, ब्यूरो क्रेट्स को रिश्वत जैसे तथ्य हैं।
अतुल शेट्टे क्यों हुआ गायब
कोयला घोटाला का किंग पिन सूर्यकान्त तिवारी साउथ के एक राज्य से गिरफ्त में लिया गया। शराब घोटाला में आबकारी विभाग के दो-तीन नामों में एक बड़ा नाम अरुणपति त्रिपाठी बिहार से गिरफ्त में लिया गया। देशी शराब निर्माता त्रिलोक सिंह ढिल्लन भी छत्तीसगढ़ छोड़ चुका था। प्रवर्तन निदेशालय, आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग जांच एजेंसी केंद्र की हो या छत्तीसगढ़ राज्य की आरोपियों को ज्यादातर गृहग्राम या सुरक्षित ठिकानों/महानगरों से ही पकड़ा जा रहा है। अतुल शेट्टे के करप्शन की पूरी कुंडली आयकर विभाग के पास है। अतुल के गायब होने की वजह कहीं आयकर विभाग का आगामी एक्शन तो नहीं। यह भी एक तथ्य है।
जाच एजेंसियों के कामकाज पर सरकार की नजर
कथित घोटालों की जद में जो बड़े बड़े नाम हैं, उनकी सफाई में, विपक्ष की राजनीति को खत्म करने की साजिश जैसे बयान हैं। बड़े बड़े घोटालों की कहानियों में कुछ किरदार ऐसे हैं जिन्होंने खेल बड़े किए हैं, लेकिन फिलहाल शासकीय सेवा बनी हुई है। अतुल शेट्टे की बीजापुर पोस्टिंग, अप्रत्यक्ष तौर पर एक सजा ही थी, लेकिन शासकीय किरदार किनारा कर लेने में भी माहिर होते हैं। उच्च अधिकारी को सूचित किए बिना अतुल शेट्टे बीजापुर से गायब हैं।