रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन था। इस दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने 7 हजार 329 करोड़ 35 लाख 62 हजार 700 रुपए का अनुपूरक बजट पेश किया। इसके साथ ही कांग्रेसी विधायक कवासी लखमा के सवाल पर मंत्री अरुण साव और पूर्व सीएम भूपेश बघेल आमने-सामने आ गए। सदन की कार्रवाई के दूसरे दिन खास बात यह रही कि सत्ता पक्ष यानी बीजेपी के विधायकों ने ही अपनी सरकार पर सवाल खड़े किए।
जांच की जानकारी भी पूरी तरह से अपलोड नहीं की जाती
जल जीवन मिशन में बड़ी गड़बड़ी का मुद्दा बीजेपी विधायक धरमलाल कौशिक ने उठाया। इनके साथ अजय चंद्राकर, अनुज शर्मा ने अलग-अलग मामलों में अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए। एमएलए शर्मा ने वाणिज्य उद्योग मंत्री से सवाल पूछा था कि 2022-2024 के दौरान औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा फेस -1 में स्थापित किन-किन उद्योगों में श्रमिकों के स्वास्थ्य संबंधी जांच शिविर लगाए गए थे। इन उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों को कई बीमारियों से जूझना पड़ रहा है।
इस पर मंत्री लखन लाल देवांगन ने बताया कि समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं। हालांकि, जो खतरनाक उद्योग हैं, उन्होंने हेल्थ कैंप नहीं लगाए। इस पर कार्रवाई की जा रही है।
इस पर विधायक शर्मा ने कहा कि गलत जवाब देकर गुमराह किया जा रहा है। जांच की जानकारी भी पूरी तरह से अपलोड नहीं की जाती है। इस पर मंत्री ने कहा कि किसी तरह की गड़बड़ी या जानकारी अधूरी है, तो जांच करा ली जाएगी।
बिना टेंडर के खेल विभाग में खरीदी का आरोप
बीजेपी विधायक राजेश मूणत ने खेल युवा विभाग की ओर से बिना टेंडर टोपी, टी शर्ट खरीदी का मुद्दा उठाया। मूणत ने जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई की मांग की। इसके जवाब में खेल मंत्री टंक राम वर्मा ने बताया कि विभाग ने कोई टेंडर, वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया, न कोई क्रय आदेश दिया, न भुगतान किया, इसलिए कार्रवाई का प्रश्न नहीं होता।
बघेल बोले साव से - ये भाषण का समय नहीं है
सत्र के दूसरे दिन विधायक कवासी लखमा ने कोंटा और सुकमा के निर्माण कार्यों पर सवाल पूछा। इस पर साव ने कहा कि, विष्णुदेव साय सरकार पूरे बस्तर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। ये सुनते ही बघेल अपनी जगह पर खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि, भाषण बढ़िया दे रहो हो।
ये भाषण देने का समय नहीं है। दरअसल, विधायक लखमा ने सड़क और पुल निर्माण का काम रुकने और टेंडर फिर से करने का कारण पूछा था। मंत्री ने जवाब दिया कि ठेकेदार के काम में प्रगति नहीं थी। इसलिए फिर से टेंडर कर रहे हैं।