स्पीकर रमन सिंह ने ऐसा क्या कर दिया, जिससे छिड़ गया विवाद

डॉ. रमन सिंह के बीजेपी की बैठक में शामिल होने पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई। सवाल ये भी उठा कि जब स्पीकर किसी दल विशेष की बैठक में शामिल होंगे तो फिर सदन में उनकी निष्पक्षता कैसे रह पाएगी।

Advertisment
author-image
Arun tiwari
New Update
Raman Singh
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Raipur : छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के एक कदम से प्रदेश में नई बहस छिड़ गई है। दरअसल मामला संवैधानिक पद को लेकर है। बुधवार 10 जुलाई को बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई। बैठक में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, सीएम विष्णुदेव साय समेत अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। ये बैठक बीजेपी संगठन की थी जो पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई थी। लेकिन इसमें एक ऐसा नेता शामिल हुए जिनकी मौजूदगी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। एक नेता के अपनी ही पार्टी की बैठक में शामिल होने पर क्यों छिड़ी बहस।आइए आपको बताते हैं पूरा माजरा क्या है।

बीजेपी की बैठक में विधानसभा अध्यक्ष

आमतौर पर विधानसभा अध्यक्ष का पद ऐसा संवैधानिक पद माना जाता है जो किसी पार्टी का नहीं होता। विधानसभा सत्र के दौरान आसंदी की निष्पक्ष भूमिका अपेक्षित होती है। हालांकि स्पीकर उसी पार्टी के होते हैं जिस पार्टी की सरकार होती है। सामान्य तौर पर पार्टी संगठन की बैठक में स्पीकर शामिल नहीं होते।

यही कारण है कि स्पीकर डॉ रमन सिंह की बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मौजूदगी चर्चा का विषय बन गई। डॉ रमन सिंह रायपुर में हुई बीजेपी की बैठक में शामिल हुए और केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर, सीएम विष्णुदेव साय समेत अन्य नेताओं के साथ उन्होंने मंच भी साझा किया। डॉ रमन सिंह के बीजेपी की बैठक में शामिल होने पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई। सवाल ये भी उठा कि जब स्पीकर किसी दल विशेष की बैठक में शामिल होंगे तो फिर सदन में उनकी निष्पक्षता कैसे रह पाएगी।

ये खबर भी पढ़ें..

लव मैरिज के बाद कारपेंटर पति ने जी तोड़ मेहनत कर पत्नी को पढ़ाया, नौकरी लगते ही बेवफा हो गई महिला

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

विशेषज्ञ इस पूरे मामले को विवाद या बहस का मुद्दा नहीं मानते। कानून के जानकार भूपेंद्र खरवंदे कहते हैं कि संविधान में पार्टी विशेष की बैठकों में शामिल न होने की बाध्यता राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए निर्धारित है। यह दोनों पद पार्टी विशेष के लिए नहीं माने जाते। लेकिन स्पीकर के लिए इस तरह की बात कानून में नहीं कही गई है।

हालांकि ये जरुर है नैतिक रुप से विधानसभा अध्यक्ष या किसी संवैधानिक आयोग के सदस्य पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं होते लेकिन संवैधानिक रुप से ऐसा कहीं उल्लेख दिखाई नहीं देता। यानी ये मामला नैतिकता का ज्यादा है संविधान का कम। जानकार कहते हैं कि डॉ रमन सिंह तीन बार के मुख्यमंत्री रहे हैं इसलिए वे इन सब संवैधानिक मसलों को अच्छी तरह जानते हैं इसलिए इसमें बहस की गुंजाइश कम रह जाती है।

arun tiwari

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

bjp State Working Committee छत्तीसगढ़ रमन सिंह Dr. Raman Singh Raman Singh