रायपुर. छत्तीसगढ़ आए वित्त आयोग ने आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर का दौरा किया। यहां के आदिवासी कल्चर को देख आयोग के अध्यक्ष और सदस्य रोमांचित हो गए। आयोग ने बस्तर के विकास के लिए यहां के पंचायत प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे। साथ ही उन सुझावों के आधार पर वित्तीय प्रावधा करने का भरोसा भी दिलाया।
यहां के आईजी और कलेक्टर ने बस्तर संभाग की परिस्थितियां,चुनौतियां,संभावनाएं और अपेक्षाओं की पूरी जानकारी प्रजेंटेशन के जरिए दी। आयोग के अ्ध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों ने लोगों से सीधे जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी है, इन मुद्दों पर आयोग गंभीरता से विचार कर राशि का प्रावधान करेगा।
बस्तर के कल्चर के लिए फंड
बस्तर जिला पंचायत अध्यक्ष वेदवती कश्यप ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि 15 वें वित्त आयोग के तहत 90 प्रतिशत जनसंख्या और 10 प्रतिशत क्षेत्रफल के आधार पर आवंटन जारी किया जाता है। बस्तर जिले में आने वाली ग्राम पंचायतों में आश्रित ग्राम और पारा दूर-दूर तक फैले हुए हैं, इस कारण क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए 16 वें वित्त आयोग के तहत 70 प्रतिशत जनसंख्या और 30 प्रतिशत क्षेत्रफल के आधार पर आवंटन करना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा हमारा बस्तर संस्कृति से भरपूर है,चाहे देवगुड़ी हो या मेला मंडई हो, बस्तर में इसकी बहुत मान्यता है। इसे ध्यान में रखते हुए देवगुड़ी, मेला, मंडई और खेलकूद के लिए भी फंड दिया जाना चाहिए।
नक्सली चुनौती के आधार पर मिले पैसा
बस्तर जिला पंचायत उपाध्यक्ष मनीराम कश्यप ने कहा कि बस्तर में पेसा एक्ट लागू होने के साथ-साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। 16 वें वित्त आयोग के तहत जनसंख्या, क्षेत्रफल के साथ-साथ नक्सल और पेसा जिले को अतिरिक्त आवंटन मिलना चाहिए। साथ ही बस्तर की अधिकांश आबादी इन वन क्षेत्र में रहती है और अधिकांश आदिवासियों के आय का मुख्य स्त्रोत लघु वनोपज होता है। लघु वनोपज की सामग्री को वैल्यू एडिशन कर बाय प्रोडक्ट की श्रेणी में लाने की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त फंड का प्रावधान होना चाहिए।
आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रावधान
अन्य पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बस्तर जिले में पथरीली एवं पहाड़ी जमीन को देखते हुए कृषि एवं सिंचाई क्षेत्र में कार्य करने के लिए, पेयजल एवं स्वच्छता के सेक्टर की बाध्यता को समाप्त कर अन्य 09 थीम से सेक्टर चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करने, ऑनलाईन भुगतान प्रणाली के सरलीकरण, किसानों को सामूहिक फेंसिंग एवं नलकूप की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करने, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में तत्काल सहायता देने, ग्राम पंचायतों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए गांवों के आधार पर आवंटन देने का सुझाव दिया।
पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा अंचल की जनजाति संस्कृति के आस्था केन्द्र देवगुड़ी, मातागुड़ी, स्मारकों का संरक्षण करने, पर्यटन स्थलों में सुविधाओं का विकास करने के संबंध में भी सुझाव दिए गए। इसके साथ ही आधुनिक सूचना तकनीक के माध्यम से लोगों को त्वरित सेवा प्रदान करने के लिए भी आवश्यक उपकरण और मानव संसाधन उपलब्ध कराने के सुझाव दिए भी गए।