25 साल में लिखी इबारत; शिक्षा में बदलाव की मिसाल बना छत्तीसगढ़, अब डिजिटल एजुकेशन की तरफ बढ़े कदम

रायपुर से बस्तर तक फैली पढ़ाई और सेहत की रोशनी, 2000 में शुरू हुआ सफर अब रजत जयंती वर्ष में नई ऊंचाई पर पहुंचा है। बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। डिजिटल एजुकेशन पर फोकस किया जा रहा है।

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Raipur. छत्तीसगढ़ ने अपने 25 बरस के सफर में विकास की ऐसी कहानी लिखी है, जो शिक्षा जैसे बुनियादी क्षेत्रों में गहरे बदलाव की मिसाल बन चुकी है। 1 नवम्बर 2000 को जब यह राज्य अस्तित्व में आया था, तब यहां शिक्षा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों की तस्वीर बहुत साधारण थी। अब, 2025 में रजत जयंती वर्ष में प्रवेश करते हुए प्रदेश गर्व से कह सकता है कि हमने हर गांव तक पढ़ाई की पहुंच बना दी है। 

आज छत्तीसगढ़ न सिर्फ पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ा है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को हर घर के करीब ला खड़ा किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए एक नया दौर शुरू किया है।

गांव से विश्वविद्यालय तक फैली रोशनी

सन् 2000 में छत्तीसगढ़ की साक्षरता दर 64.7 प्रतिशत के आसपास थी। अब यह बढ़कर 70.28 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो देश के औसत के बराबर है। पहले जहां स्कूलों की संख्या 38,050 थी, वहीं अब यह बढ़कर 56,615 हो चुकी है। कॉलेजों की संख्या 116 से बढ़कर 656 तक पहुंच गई है।

प्रदेश में अब 38 महिला कॉलेज खोले जा चुके हैं, ताकि बेटियों की उच्च शिक्षा आसान हो सके।विश्वविद्यालयों की संख्या भी 4 से बढ़कर 26 हो गई है। यह आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ ने शिक्षा को गांव से लेकर शहर तक समान रूप से मजबूत किया है।

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रायपुर बना देश का शिक्षा हब

राजधानी रायपुर अब देश के चुनिंदा शिक्षा केंद्रों में गिनी जाती है। यहां IIT, IIM, AIIMS, NLU, IIIT और NIT जैसे राष्ट्रीय संस्थान एक ही शहर में मौजूद हैं। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ को शिक्षा के राष्ट्रीय नक्शे पर एक मजबूत पहचान देती है।

प्रदेश में अब 341 पीएम श्री स्कूल संचालित हैं, जो नई शिक्षा नीति के तहत आधुनिक तकनीक, डिजिटल क्लासरूम और नवाचार आधारित शिक्षा का उदाहरण बन चुके हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2025-26 में छत्तीसगढ़ देश के चौथे स्थान पर आ चुका है। यह उपलब्धि बताती है कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है।

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शिक्षा में सबसे बड़ा निवेश

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने 2025 के बजट में शिक्षा को शीर्ष प्राथमिकता दी है। स्कूल शिक्षा विभाग के लिए 22,356 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

इस राशि से पीएम श्री स्कूलों का विस्तार, ‘नालंदा पुस्तकालयों’ की स्थापना, राष्ट्रीय जंबूरी का आयोजन और 25 कॉलेजों को उत्कृष्टता केंद्र बनाने की योजना शामिल है। सरकार का लक्ष्य है कि शिक्षा सिर्फ भवनों और आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि हर बच्चे तक गुणवत्ता और अवसर पहुंचाए।

नवाचार और स्टार्टअप की नई पहल

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा को भविष्य की जरूरतों के हिसाब से भी तैयार किया जा रहा है। रायपुर में IIM और NIT के साथ मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन ने एक एमओयू किया है, जिसके तहत ‘नवाचार और उद्यमिता उत्कृष्टता केंद्र’ स्थापित किया जाएगा।

यह केंद्र युवाओं को रिसर्च, इनोवेशन और स्टार्टअप्स की दिशा में तैयार करेगा। इसका मकसद है कि छत्तीसगढ़ के युवा खुद रोजगार देने वाले बनें, न कि सिर्फ नौकरी ढूंढने वाले।

राज्य में अब हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, और गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान आधुनिक शिक्षा के बड़े केंद्र बन चुके हैं।

शिक्षक व्यवस्था में सुधार से बदली तस्वीर

छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले दिनों युक्तियुक्तकरण नीति लागू की है। इस कदम से शिक्षकों का संतुलित वितरण हुआ है। पहले 453 स्कूल बिना शिक्षक के चल रहे थे, लेकिन अब ऐसा कोई स्कूल नहीं है।  5936 एकल-शिक्षक विद्यालयों में से 4728 में अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती की गई है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सीधा सुधार आया है और बच्चों की पढ़ाई का स्तर ऊपर उठा है।

एमबीबीएस सीटों में बढ़ोतरी 

शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सुधार किया है। अब राज्य में 15 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें एम्स रायपुर भी शामिल है। एमबीबीएस सीटें बढ़कर 1915 तक पहुंच चुकी हैं।

इनमें 1465 सरकारी संस्थानों में और 450 निजी कॉलेजों में हैं। बिलासपुर, सरगुजा, राजनांदगांव और जगदलपुर जैसे जिलों में मेडिकल कॉलेजों के खुलने से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत हुई है।

नई मेडिकल शिक्षा नीति से बढ़े अवसर

राज्य सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के लिए हाल ही में 6 नए फिजियोथेरेपी महाविद्यालयों को मंजूरी दी है। ये कॉलेज मनेंद्रगढ़, जशपुर, रायगढ़, बिलासपुर, दुर्ग और जगदलपुर में खोले जाएंगे। इनके निर्माण के लिए 83 करोड़ 62 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। हर संस्थान पर करीब 14 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि इस फैसले से प्रदेश के युवाओं को स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे और आने वाले वर्षों में फिजियोथेरेपी सेवाओं का नेटवर्क हर जिले तक फैलेगा।

महिला शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान

छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों में महिलाओं को केंद्र में रखकर योजनाएं बनाईं हैं। बेटियों के लिए अलग कॉलेज, महिला हॉस्टल, और सेनेटरी हाइजीन प्रोजेक्ट्स जैसी योजनाओं से न सिर्फ पढ़ाई आसान हुई है, बल्कि स्वास्थ्य जागरूकता भी बढ़ी है। राज्य में अब हर जिले में महिला एवं बाल स्वास्थ्य इकाइयां सक्रिय हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में भी मातृत्व स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं।

अब डिजिटल शिक्षा पर जोर 

साय सरकार अब डिजिटल शिक्षा पर फोकस कर रही है। स्कूलों में स्मार्ट क्लास, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, और ऑनलाइन लाइब्रेरी जैसी पहलें शुरू की जा चुकी हैं। कुल मिलाकर कहें तो छत्तीसगढ़ के 25 साल का सफर सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि एक सोच का परिणाम है कि शिक्षा हर व्यक्ति का अधिकार है। 

2000 में जहां राज्य के पास सिर्फ चार विश्वविद्यालय और कुछ सौ कॉलेज थे, वहीं अब पूरा ढांचा मजबूत और व्यापक है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी राज्य ने नई पहचान बनाई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि हमारा लक्ष्य अगले 25 साल में छत्तीसगढ़ को ऐसा राज्य बनाना है, जहां हर बच्चा शिक्षित हो और हर परिवार को बेहतर इलाज मिले। 

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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय छत्तीसगढ़
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