Raipur : सियासत की रवायत ही कुछ ऐसी होती है कि सरकार बदलते ही सब कुछ बदल जाता है। आम आदमी से जुड़ी योजनाओं पर भी ब्रेक लग जाता है। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ में हो रहा है। भूपेश सरकार की कुछ योजनाएं विष्णु सरकार ने बंद कर दी हैं। इसका सीधा घाटा किसानों को रहा है। पुराना भुगतान न होने से किसानों को मिलने वाले 2000 करोड़ रुपए अटक गए हैं। इसकी जद में में 50 हजार पशुपालक और लाखों किसान आ गए हैं। जिन योजनाओं का फंड रोका गया है वो सीधे सीधे किसानों के खाते में था। यानी ये न्याय योजनाएं गोबर में मिल गई हैं।
गोबर में मिला न्याय
गोबर में मिला न्याय हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी न्याय योजना का पैसा अटक गया है। सरकार बदल गई है तो पुरानी सरकार की योजनाओं का पैसा भी नहीं दिया जा रहा। जबकि ये पैसा तो पशुपालकों और किसानों का है। सबसे पहले बात करते हैं गोधन न्याय योजना की।
गोधन न्याय योजना
गोधन न्याय योजना भूपेश सरकार ने 2020 में बनाई थी। मकसद था कि किसानों और पशुपालकों को अतिरिक्त आय का साधन दिया जाए। सरकार ने गोठान बनाए और गोबर की खरीदी शुरु की। इस योजना पर सवाल उठे वो अलग बात है लेकिन हम उन पशुपालकों की बात कर रहे हैं जिनका पैसा अटक गया है। सरकार ने गोधन न्याय योजना का 10 करोड़ का फंड अटका दिया है। सरकार से दस सूत्र ने जब ये पूछा कि ये भुगतान कब होगा क्योंकि ये तो मेहनतकश लोगों का पैसा है तो कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि यह नहीं बताया जा सकता कि इनको कब भुगतान किया जाएगा।
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इनका अटका फंड
53 हजार 989 पशुपालक या किसानों का 4 करोड़ 15 लाख रुपए का भुगतान अटक गया है। ये वे लोग हैं जिन्होंने इस योजना के कारण गाय पालने का काम किया और उसके गोबर की बिक्री की। दूध न देने की स्थिति में भी इन गायों को बेसहारा नहीं छोड़ा। लेकिन इन लोगों का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। नई सरकार ये भुगतान करेगी इस पर भी इनको संदेह है। पशुपालक कहते हैं कि यदि सरकार बदली है तो उनका क्या दोष है जो उनके हिस्से का पैसा उनको नहीं दिया जा रहा है।
- 1065 गोठान समितियों को 60 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया है।
- 1736 स्व सहायता समूहों को 5 करोड़ रुपए मिलना बाकी हैं।
- इस तरह गोधन न्याय योजना के तहत अब तक करीब 10 करोड़ रुपए भुगतान अटका है जो नई सरकार ने नहीं दिया है।
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राजीव गांधी न्याय योजना
अब बात करते हैं राजीव गांधी किसान न्याय योजना की। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने के लिए शुरु की गई थी। इस योजना में धान के समर्थन मूल्य के अंतर की राशि और धान के अलावा कोदो कुटकी जैसे अन्न उगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ दस हजार रुपए की राशि देने का प्रावधान था। सरकार बदली तो यह योजना भी अधर में लटक गई है। इस योजना के तहत करीब 19 लाख से ज्यादा किसानों को सीधा फायदा हो रहा था। इस योजना की चौथी किस्त अटक गई है। किसानों को चौथी किस्त के रुप में 1965 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है। लेकिन ये भुगतान कब होगा, होगा या नहीं इसको लेकर किसान चिंतित हैं।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना
किसानों की संख्या -19 लाख
भुगतान अटका -1965 करोड़ रुपए
किसानों ने अलग-अलग स्तर पर ये जानने की कोशिश की है लेकिन उनको कोई जवाब नहीं मिला है। सरकार बनने के बाद जब उपमुख्यमंत्री अरुण साव ये पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये किसानों का पैसा है उनको दिया जाएगा। लेकिन इस बारे में जब कृषि मंत्री रामविचार नेताम से पूछा गया कि क्या सरकार किसान न्याय योजना को नए नाम से आगे चलाएगी तो उन्होंने साफ मना कर दिया। वहीं जब उनसे चौथी किस्त के भुगतान के बारे में पूछा तो उन्होंने कह दिया कि इसके भुगतान का समय बताना संभव नहीं है। अब किसानों का सवाल है कि आखिर उनका क्या कुसूर था जो बदली हुई सरकार उनका पैसा नहीं दे रही।
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