कांग्रेस तीन फैक्टर से हारी तीन सीटें , कांकेर में उम्मीदवार पर भारी पड़ा नोटा

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को 1 सीट ही मिली है। कांग्रेस की हार की वजह सिर्फ मोदी या बीजेपी ही नहीं रही बल्कि एक बड़ा फैक्टर भी सामने आया है। यदि इस फैक्टर पर कांग्रेस ने काम किया होता तो उसके खाते में एक नहीं बल्कि चार सीटें आती।

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Ravi Singh
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अरुण तिवारी / RAIPUR : छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) में कांग्रेस 11 लोकसभा सीटों में से महज एक सीट ही जीत पाई। कांग्रेस ( Congress ) की हार की वजह सिर्फ मोदी या बीजेपी ही नहीं रही बल्कि एक बड़ा फैक्टर भी सामने आया है। यदि इस फैक्टर ( factor ) पर कांग्रेस ने काम किया होता तो उसके खाते में एक नहीं बल्कि चार सीटें आई होती। इस फैक्टर का असर सिर्फ चार सीटों पर ही नजर आया। बाकी सीटों पर यह बेअसर साबित हुआ। इन चार सीटों में एक तो कांग्रेस ने जीत ली लेकिन तीन सीटें हार गई। हैरानी की बात ये भी है कि कांकेर की सीट कांग्रेस उम्मीदवार से नहीं बल्कि नोटा से हार गई। वहीं बस्तर सीट पर कांग्रेस की हार का अंतर जितना रहा उससे आधी वोट तो नोटा ( nota ) ने हासिल कर ली। आइए आपको बताते हैं वो क्या फैक्टर रहे जिसने कांग्रेस को चार सीट से एक सीट पर ला दिया। 

इन चार सीटों पर काम कर गया ये फैक्टर 

बीजेपी, कांग्रेस के अलावा यहां पर तीसरे मोर्चे ने काम कर दिखाया। इस तीसरे मोर्चे का असर चार सीटों पर रहा लेकिन ये नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और नोटा वो कारक रहे जिससे कांग्रेस तीन सीट हार गई। कोरबा तो कांग्रेस ने जीत ली लेकिन यहां पर उसने उस मोर्चे पर काम कर लिया था जिसकी वजह से उसकी हार हो सकती थी। वहीं सरगुजा,बस्तर और कांकेर सीट कांग्रेस को गंवानी पड़ी। यहां पर हार के अंतर से ज्यादा बीएसपी,गोंडवाना और नोटा ने वोट हासिल किए। कोरबा सीट पर कांग्रेस की ज्योत्सना महंत चुनाव जीत गईं। उनकी जीत का अंतर 43 हजार रहा जबकि यहां पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार को 48 हजार वोट मिले। यदि ये वोट बीजेपी को मिल जाते तो कांग्रेस हार जाती लेकिन कांग्रेस ने ये सीट जीत ली।

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इन सीटों पर नोटा और तीसरे मोर्चे से हारी कांग्रेस 

कांकेर : सबसे पहले बात कांकेर की। कांकेर बीजेपी के भोजराज नाग और कांग्रेस से बीरेश ठाकुर उम्मीदवार थे। इस सीट की जीत की कांग्रेस को बड़ी उम्मीद थी। यह सीट बेहद कम अंतर से कांग्रेस के हाथ से फिसल गई। या यूं कहें कि नोटा ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। यहां पर कांग्रेस महज 1884 वोटों से बीजेपी से हार गई। जबकि यहां पर नोटा को 18669 वोट हासिल हुए। यानी नोटा को हार के अंतर से करीब दस गुना ज्यादा वोट मिले। 

बस्तर : यहां पर कांग्रेस,बीजेपी से 55245 वोट से हारी। इस सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को 35887 वोट मिले। बीएसपी को 19647 वोट और नोटा को 36758 वोट हासिल हुए। यदि ये वोट कांग्रेस को मिल जाते तो उसकी आसान जीत हो जाती।  

सरगुजा : सरगुजा में कांग्रेस की हार की वजह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी जीजीपी,बीएसपी और नोटा रहा। यहां पर बीजेपी 64822 वोटों से जीती। जबकि गोंडवाना को 15651 बीएसपी को 15199 और नोटा को 28121 वोट मिले।

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