/sootr/media/media_files/2025/08/26/chhattisgarh-documents-will-not-be-destroyed-even-by-an-atomic-bomb-attack-the-sootr-2025-08-26-11-15-16.jpg)
परमाणु बम हमले के बाद भी छग का दस्तावेज सुरक्षित रहेगा...द सूत्र ने पड़ताल में पुरातत्व विभाग संचालक विवेक आचार्य का दावा गलत निकला, अब सवाल यह है कि आखिर पुरात्तव संचालक ने ऐसा दावा आखिर किया ही क्यों? हमने जब इसके पीछे की चीजें खंलागी तो दरअसल वे दस्तावेज के रखरखाव में होने वाले खर्च को जस्टिफाई करने की कोशिश कर रहे थे। क्योंकि पुरातत्व विभाग छत्तीसगढ़ से जुड़े दस्तावेज मप्र से ला रहा है। जिसपर औसतन 150 रुपए प्रतिपेज की दर से खर्च हो रहा है, इस लागत पर सवाल उठ रहे हैं।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती 2025: दस्तावेज सत्यापन की तारीख में हुआ बदलाव
औसतन 150 रुपए प्रतिपेज की दर से वर्कऑर्डर
मप्र से छग के मूल दस्तावेज लाने के लिए साल 2014 में टेंडर हुआ। तय हुआ कि कंपनी डिजिटल फॉरमेट में पेज को स्कैन करके विभाग को देगी। शुरुआती समय में 136 रुपए प्रतिपेज के अनुसार रेट तय किया गया, जिसे बाद में 154 रुपए प्रतिपेज तक ले जाया गया। संचालक विवेक आचार्य कह रहे हैं कि ये परमाणु बम के हमले में भी नष्ट नहीं होगा, जबकि ये महज एक माइक्रोफिल्म है जिसकी कीमत अधिकतम प्रतिपेज 30-40 रुपए ही होगी।
ये खबर भी पढ़ें... पहचान दस्तावेजों का हो रहा दुरुपयोग: सिम कार्ड पोर्ट करवाकर भी हो रही है साइबर ठगी
पांडुलिपी मंगाने की थी योजना
साल 2011 में शासन ने यह तय किया कि छग के संस्कृति पुरातत्व से जुड़े महत्वपूर्ण गजेटियर और पांडुलिपी मप्र के पास है, राज्य अलग होने के कारण उन्हें यहां लाना चाहिए। शुरुआती समय में करीब 36 हजार पेजों का चिंहाकन किया गया था। जिसके लिए 1 साल का समय निर्धारित किया गया था। जिसे बाद में विभाग बढ़ाते गया।
हमने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि विभाग पांडुलिपियों और गजेटियर के अलावा राजस्व, पुलिस, जलसंसाधन विभाग के दस्तावेज भी मंगवा रहा है, जबकि ये इनके काम का ही नहीं। न ही इसके लिए इन विभागों से कोई मांग आई।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ राज्य खेल अलंकरण में 76 खिलाड़ियों का चयन, 27 तक दावा-आपत्ति
75 हजार पेज रिपीट
द सूत्र को खबर के दौरान एक नोटशीट मिली है जिससे यह इस काम में फर्जीवाड़े की भी पुष्टि होती है। नोटशीट में यह बताया जा रहा है कि मेसर्स कम्प्यूटर प्लस संस्था ने डिजिटलाइज कर जो दस्तावेज पेन ड्राइव और हार्ड ड्राइव विभाग को सबमिट किया है, ऐसे 75 हजार पेज रिपीट सबमिट किया गया है। यानी 1 करोड़ 12 लाख 50 हजार रुपए किी गड़बड़ी विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से की गई।
ये खबर भी पढ़ें... Chhattisgarh में 6 औरतें कर रहीं एक शख्स की पत्नी होने का दावा, पर क्यों ?
दस्तावेज मंगाने का खेल जारी
11 लाख पेजों के दस्तावेज मंगाने के बाद पुरातत्व विभाग यह दावा कर रहा है कि छग से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज मप्र से नहीं जा सके हैं। इसलिए यह काम अभी और भी सालों तक चलेगा। जबकि इसके लिए विभाग की तरफ से विधिवत टेंडर प्रक्रिया भी नहीं अपनाई जा रही। एक कंपनी द्वारा कीमत तय की जा रही और उसी के आधार पर अन्य कंपनियों को बुलाकर काम दे दिया जा रहा है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
द सूत्र कीt खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
पुरातत्व विभाग छत्तीसगढ़ | द सूत्र पड़ताल | छत्तीसगढ़ दस्तावेज़ | दस्तावेज़ रखरखाव लागत