छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौतों से अब शायद किसी का दिल नहीं दुखता है। 2018 से 2022 तक 77 हाथियों की मौतें हुई हैं। हर साल 15 हाथियों की मौतें हो रही हैं। राज्य में दो एलीफैंट कॉरिडोर बनाए गए हैं। अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को फायदा देने के चलते भी एलीफैंट कॉरिडोर बनने में देरी हुई है। छत्तीसगढ़ के बारे में आम राय है कि यहाँ बड़े-बड़े औक घने जंगल हैं। यह राय सही भी है। फिर भी, कड़वी हकीकत ये कि हाथी मर रहे हैं और दूसरा सच ये भी कि हाथी आम लोगों को मार रहे हैं।
हाई टेंशन लाइन से भी हाथियों की मौत
ऐसे में करंट लगाकर आम लोग हाथियों को मार रहे हैं। बिजली विभाग आम लोगों के घरों तक बिजली पहुँचाने क़े काम में लगा है, औऱ बिजली की तारें/ हाई टेंशन लाइन से भी हाथियों की मौतें हो रही है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में मानव हाथी द्वन्द क़े हालात हैं। हसदेव बचाओ आँदोलन एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता आलोक शुक्ला कहते हैं- पिछले साल जुलाई में छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्व सम्मति से हसदेव अरण्य में सभी कोयला खदानों को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया। लेकिन, आज तक इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ। राज्य या केंद्र सरकारों ने ना वन ना पर्यावरण की स्वीकृति रद्द की और ना ही भूमि अधिग्रहण की स्वीकृति की। आज the sootr में पढ़िए हाथी मानव द्वन्द और हाथियों की दुःखद मौतों की छोटी- छोटी हकीकतें....
हाथी भी आपस में लड़ते हैं
जून 2024,सूरजपुर जिले क़े वन परिक्षेत्र में दो हाथियों में आपसी भिड़ंत हुई। हाथी जहां लड़ रहे थे, वहां हाईटेंशन लाइन बिछी थी। हाथियों की भिड़ंत से खम्भा क्षति ग्रस्त हुआ, हाई टेंशन लाइन को हाथी के सूंड ने छू लिया, हाथी की मौत हो गई। दूसरा हाथी जंगल की ओर भाग गया, और दूसरे दिन जंगल में लकड़ी बिनने गए जिन्दा राम राजवाड़े को हाथी ने मार डाला।
2015-16 में यह बढ़कर 4045
वन एवं क्लाइमेट चेंज विभाग छत्तीसगढ़ शासन के रिकॉर्डस के मुताबिक, 15 वन प्रभागों चार सरंक्षित क्षत्रों में 2012-2021 तक हाथियों की कुल संख्या 250-300 है। फसलों को चट करने में अब हाथी आगे-2000-2001 में कोरबा जिले में फसल नुकसान के 21 मामले। 2005-2006 में यह आंकड़ा बढ़कर 1490 तक पहुंचा। 2015-16 में यह बढ़कर 4045 हो गया।
किसानों की फसलों को चट करके,पुष्ट हो रहा है, हाथी क़ा परिवार
छत्तीसगढ़ में हाथी मानव द्वन्द अपने उच्च स्तर पर है, छत्तीसगढ़ के हाथी पड़ोस क़े राज्यों में घूम-फिरकर आ रहे हैं ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं। एक़ ओर जहां हर साल लगभग 15 हाथियों की मौत हो रही है तो वहीं दूसरी ओर हर साल हाथी 60 लोगों की जानें ले रहा है। जुलाई 2017 से दिसंबर 2020 तक किए गये एक़ अध्ययन से यह पता चला कि हाथियों की संख्या बढ़ रही है औऱ उसकी हल चल भी बढ़ी है। छत्तीसगढ़ में नर औऱ मादा हाथियों की संख्या औऱ उनकी उम्र ने वाइल्ड लाइफ क़े जानकारों की चिंता को कम किया है। हाथियों की कुल संख्या 250-300 (अनुमानित) में 44% प्रतिशत मादा हाथी हैं जो व्यस्क हैं। यानी,प्रजनन करने में सक्षम हैं।
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पढ़िए,लोगों की मौतों के कुछ आंकड़े/हाथियों की मौतें करंट से भी -
1.ग्राम -बगड़ा, जिला सूरजपुर हाथी के कुचलने से चरकु राजवाड़े की मौत।
2.राजेश चौहान- जिला सरगुजा
3.ग्राम सपघरा- महिला की मौत,जिला जशपुर
4.दुखु राम धावडे-ग्राम पांडरवानी, जिला -मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी
साल 2001-02 से 2010-11 तक राज्य में कुल 42 हाथियों की मौत हुई। लेकिन उसके बाद यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा, 2011-12 से 2022-23 तक राज्य में 157 हाथी मारे गए। अकेले 2016-17 में 16 हाथियों की मौत हुई। इस साल यानी, 2022-23 में 19 हाथियों की मौत हुई। इनमें से 7 हाथियों की मौत बिजली के करंट से हुई है।
हाथियों के बारे में दो अहम तथ्य
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कैप्टन जे. फारसाइथ की 1871 में प्रकाशित किताब हाईलेंड्स ऑफ़ सेन्ट्रल इंडिया में इस इलाके में हाथियों की उपस्थिति का उल्लेख है। इसी तरह वन विभाग छत्तीसगढ़ का दस्तावेज जो राज्य निर्माण से पहले साल 1988 का है। 18 हाथियों के दल ने अविभाजित बिहार के ईलाके से सरगुजा इलाके में प्रवेश किया।