बीएपी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत लोकसभा चुनाव जीतने के बाद काफी सुर्खियों में रहते हैं। राजस्थान की बांसवाड़ा -डूंगरपुर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी महेंद्रजीत सिंह मालवीय को हराया था। राजकुमार रोत ने भील प्रदेश की मांग को उठाकर सियासत में हलचल मचा रखी है। अब कांग्रेस बीजेपी की धड़कन बढ़ाने के लिए राजकुमार रोत ने राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश में भी अपनी एंट्री के संकेत दे दिए हैं।
पार्टियों का रगड़ा निकालने की तैयारी
राजकुमार रोत ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि बहुत जल्द मध्य प्रदेश में पार्टियों का रगड़ा निकालने वाले हैं। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनजातीय आबादी है। यहां 1.6 करोड़ से अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी है ,जो 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी का 21 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या भील जनजाति की है। दूसरी सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी उड़ीसा की है।
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घबराने की जरूरत नहीं
सांसद राजकुमार रोत ने एक्स पर एमपी के सीएम की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि मध्यप्रदेश के युवाओं को गुमराह कर अपने व्यक्तिगत हितों के लिए कुछ लोग कांग्रेस में चले गए, अब ये बीजेपी में आ गए, लेकिन मैं मध्यप्रदेश के तमाम आदिवासी एवं अन्य शोषित पीड़ित समुदाय के युवा साथियों से कहना चाहूंगा कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है, मजबूत टिकाऊ विकल्प के रूप में हम आपके साथ खड़े है, बहुत जल्द मध्यप्रदेश में भी कमल-कांग्रेस का रगड़ा निकालेंगे, जोहार उलगुलान।
तीसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीएपी
भारत आदिवासी पार्टी यानी बीएपी राजस्थान में कांग्रेस के बाद तीसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। वर्तमान में बीएपी पार्टी के पास तीन विधायक और एक सांसद हैं। पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में बीएपी पार्टी ने तीन सीटों पर अपना कब्जा जमाया। इनमें चौरासी विधानसभा से राजकुमार रोत, डूंगरपुर की आसपुर विधानसभा से उमेश मीणा, धरियावद से थावरचंद ने जीत हासिल की।
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कौन हैं राजकुमार रोत
रोत राजस्थान के डूंगरपुर के चौरासी इलाके के खरबरखुनिया गांव के रहने वाले हैं। रोत ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से की थी। वो 2014 में एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष बने। रोत ने 2018 का विधानसभा चुनाव भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के टिकट पर चौरासी विधानसभा क्षेत्र से लड़कर जीता था, उन्होंने बीजेपी के सुशील कटारा को करीब 13 हजार वोटों से हराया था। उस समय उनकी उम्र केवल 26 साल थी। वह उनका पहला चुनाव था।
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बीटीपी से मतभेद
बीटीपी से मनमुटाव हो जाने के बाद रोत ने अपने साथियों के साथ मिलकर भारत आदिवासी पार्टी की स्थापना कर दी। रोत ने 2023 का विधानसभा चुनाव चौरासी सीट से भारत आदिवासी पार्टी के टिकट पर लड़ा। आदिवासियों की अधिकता वाली इस सीट पर रोत ने एक बार फिर बीजेपी की दिग्गज नेता सुशील कटारा को मात दी, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बढ़कर 69 हजार 166 वोट हो गया।
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लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के दिग्गज नेता को हराया
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र को चुना.इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गिए दिग्गज आदिवासी नेता महेंद्रजीत मालवीय से हुआ। इस सीट पर कांग्रेस ने अरविंद डामोर को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन नाम वापसी के अंतिम दिन से एक दिन पहले ही कांग्रेस ने रोत को समर्थन दे दिया, लेकिन उम्मीदवार ने अपना नाम वापस नहीं लिया। वहीं रोत के जीत का राह का और कठिन बनाने के लिए राजकुमार नाम के दो डमी उम्मीदवार भी खड़े कर दिए गए। इतनी तगड़ी घेरेबंदी के बाद भी राजकुमार रोत ने अपनी जीत सुनिश्चित की, उन्होंने बीजेपी के मालवीय को 2 लाख 47 हजार 54 वोटों हरा दिया।