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BHOPAL. जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिए बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री ने किसानों के खातों में सीधे राशि डालने की बात कही है। चौहान ने कहा कि देश के किसान अपनी जमीन के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती करें, तीन साल तक ऐसे किसान को सब्सिडी मिलेगी।
किसानों के खातों में राशि डालेगी सरकार
लखनऊ में प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर आयोजित क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती से बिना केमिकल, फर्टिलाइजर खेतों की पैदावार बढ़ेगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह तमाम किसान जो जैविक खेती करते हैं, उनको प्रोत्साहन देने के लिए 3 साल तक उनके खातों में सरकार सीधी राशि डालेगी।
इस दौरान इस दौरान प्राकृतिक खेती पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विस्तार से बताया। कार्यक्रम में इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ उपस्थित रहे।
जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए ऐलान
शिवराज सिंह ने ऐलान करते हुए कहा, जो किसान प्राकृतिक खेती करना शुरू करेगा। यह बात सच है कि पहले साल दूसरे साल, क्योंकि कि जब तक जमीन वैसी है, तो उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन तीसरे साल तक आकर वो पूरा रिकवर हो जाता है। इसलिए 3 साल तक किसान को कम से कम हम कंपनसेटर के लिए कुछ पैसा सीधे उसके खाते में डालेंगे।
प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी
जैविक खेती को लेकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने आगे कहा कि हम केमिकल फर्टिलाइजर पर भी सब्सिडी दे रहे हैं, तो प्रोत्साहित करने के लिए ये जरूरी है। बाद में जब किसान लाभ देखेगा तो अपने आप खेती करेगा। और एक किसान सफल हो गया तो एक किसान देखेगा कि अगर मैंने आधा एकड़ में की और मैं सफल हो गया तो और जमीन बढ़ाएगा। प्राकृतिक कृषि के लिए दूसरा किसान जब देखेगा कि इसने की और अच्छी फसल हो रही है तो वो अपने आप देखकर सीखेगा तो धीरे-धीरे हम वातावरण बना लेंगे।
ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से पूरी दुनिया चिंतित
कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए केमिकल और फर्टिलाइजर के प्रयोग का परिणाम हम सबके सामने है। आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज को लेकर चिंतित है, लेकिन इसके जिम्मेदार हम खुद हैं। इससे ये सिद्ध हो गया है कि आने वाली पीढ़ी के लिए ये धरती रहने लायक नहीं रहेगी। ऐसे में हमें समय रहते संभलना होगा। इसके लिए हमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा। इसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है।
स्वास्थ्य के लिए रसायन मुक्त खेती जरूरी
केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा कि देश में खेती का प्राकृतिक खेती का और जो हम करना चाहते हैं, रसायन मुक्त खेती, जिससे मनुष्य का शरीर भी स्वस्थ हो, फसलों में पानी कम लगे, कीटनाशक और बाकी चीज का खर्चा कम हो जाए, उत्पादन की लागत घटे और उसके कारण मनुष्य को जो खाने के लिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जो पोषक आहार मिले वो अमृत के तुल्य हो और इसी से आनंद प्रसन्नता और सुख की लहर आएगी।
अध्ययन के लिए प्रयोगशाला होगी स्थापित
देश के कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के अध्ययन व खोज के लिए प्रयोगशालाओं को स्थापित किया जाएगा, जिनकी मदद से देश में प्राकृतिक खेती को मदद मिलेगी और अन्न के भंडार भी भरेंगे। देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जाएगा। सरकार सभी हितधारकों से परामर्श करके राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगी।
मैं हर विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं....
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं हर विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं, कई बार मंत्री बनकर ये गुमान हो जाता है कि अपुन ही सब कुछ है, तो ये गलत है। हम खेती में विशेषज्ञ से राय लेंगे, जो बेहतर होगा वह सब करेंगे। हम चाहते हैं कि पूरे देश में रसायन मुक्त खेती की जाए।
शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि योगी जी बता रहे थे कि एक और प्रयोगशाला बनेगी और एक कृषि विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती के रूप में ही बनाएंगे। मैं उनका अभिनंदन करता हूँ। हमारे कृषि विश्वविद्यालय, हमारे कृषि महाविद्यालय और हमारे कृषि विज्ञान केंद्र इन्हें हम प्रयोगशाला बनाने की दिशा में काम करेंगे, ताकि ये प्रकाशस्तम्भ की तरह काम करें। उसके साथ-साथ प्राकृतिक खेती करने वाले किसान के जो खेत हैं वो भी प्रयोगशाला होंगे वहाँ भी दूसरों को सिखाएंगे।
प्राकृतिक खेती का देंगे प्रशिक्षण
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने आगे कहा कि जो प्राकृतिक खेती अपनाएंगे उन्हें विधिवत प्रशिक्षण देने का काम करेंगे और प्रशिक्षण के साथ-साथ एक बात और आती है जीवामृत और घनामृत। उसमें किसानों को दिक्कत होती है। ये कुछ केंद्रों पर बना-बनाया मिलने लगे। हमारे साइंटिस्ट जो ये प्रयोग कर सकते हैं कि, इसके सेंटर ही बन जाएं। जहां बन रहा है जीवामृत, घनामृत लाए और अपना खेती करना शुरू करें। इस तरह के भी कुछ केंद्र बन जाएं। जीवामृत घनामृत बनाने के सेंटर भी बनाए जायेंगे।
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