मुठभेड़ में मारे गए एक दर्जन नक्सलियों के शव के साथ जवानों ने की वापसी

छत्तीसगढ़ में गंगालूर के पीडिया के जंगलों को मुखबिर की सूचना पर दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर पुलिस के 1200 जवानों ने घेर लिया था। यह मुठभेड़ रुक रुककर बारह घंटे तक चली। गुरुवार- शुक्रवार को निकले जवानों की शनिवार दोपहर में वापसी हुई...

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Jitendra Shrivastava
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शिव शंकर सारथी, BIJAPUR/RAIPUR. एक दर्जन नक्सलियों के शव को लेकर जवान बीजापुर जिला मुख्यालय आ गए। इसमें महिला नक्सलिओं के दो शव हैं। शुक्रवार, 10 मई को तीन जिलों के जवान और अर्द्ध सैनिक बलों ने पीडिया के जंगलों को घेरा था। इस घेराबंदी में फिर जवानों को बड़ी कामयाबी मिली है। हर बार की तरह, बिजली के तार, नक्सल साहित्य, टिफिन बम, भरमार बंदूक आदि पुलिस ने जब्त किया है।

पीडिया के जंगलों को 1200 जवानों ने घेरा था

गंगालूर दुर्गम ईलाका है, जहां सालों तक माओवादियों ने समांतर सरकार चलाई। गंगालूर थाना इलाके के पीडिया के जंगलों को मुखबिर की सूचना पर दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर पुलिस के 1200 जवानों ने घेर लिया था। यह मुठभेड़ ( Chhattisgarh encounter ) रुक रुककर बारह घंटे तक चली। गुरुवार- शुक्रवार को निकले जवानों की शनिवार दोपहर तक वापसी हो गई है।

IED बिगाड़ रहा है हालात, जवानों की ले रहा जान

दर्जन भर माओवादियों को मार गिराने वाले दो जवान IED की चपेट में आए थे। इधर फिर एक ग्रामीण आदिवासी महिला IED का शिकार हुई है। बस्तर के आदिवासियों की आजीविका का प्रमुख साधन है तेंदुपत्ता। तेन्दुपत्ता तोड़ने गई महिला शांति पुनेम की स्पॉट पर ही मौत हो गई। गंगालूर थाना इलाके ग्राम मल्लूर की यह महिला थी। अप्रैल के महीने में एक जवान और एक युवा आदिवासी की मौत भी IES के जद में आकर हुई थी।

साल 2024 सफलता का साल 

2003 के बाद माओवादियों के खिलाफ छेड़ी गई जंग में सैकड़ों जवानों ने शहादत दी है। स्थानीय लोगों की जानें बड़ी संख्या में गई। घर बार तबाह हो गए, गांव के गांव उजड़ गए, लेकिन अब अंजाम तक पहुंचता नजर आ रहा है। शुक्रवार, 10 मई को मीडिया से बात करते हुए उप मुख्यमंत्री ने नए-नए पुलिस कैंप्स की बात की। 2003 से 2015 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर रमन सिंह ने कहा था गोली का जवाब गोली से दिया जायेगा। अब रमन सिंह छत्तीसगढ़ विधानसभा में अध्यक्ष हैं। BJP का स्लोगन है- हमने बनाया है हम ही सवारेंगे। नक्सल सरेंडर और नक्सलियों की मौतें सफल साल का संकेत दे रही है।

जवानों की सफलता या सीएम विष्णुदेव साय की ब्राडिंग!

पीडिया के जंगलों को बारह सौ जवानों ने घेरा था। कुछ साल पहले तक पुलिस मुख्यालय, नक्सल ऑपरेशन से जुड़े आईपीएस, सम्बंधित जिलों की पुलिस, मुख्यमंत्री और गृहमंत्री नक्सल मामलों पर मीडिया से बात करते थे। लेकिन शुक्रवार को जवानों की सफलता (12 नक्सली मरे ) मुख्यमंत्री के ट्वीट से कन्फर्म करवाई गई। जाहिर है नक्सलवाद पर बड़ी किरकिरी क्षेल चुकी BJP अब इसके राजनीतिक फायदे भी लेना चाहेगी।

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