25 साल की ऊर्जा यात्रा: छत्तीसगढ़ अब देश का पावर हब बनने की राह पर, अन्नदाता अब ऊर्जादाता भी बने

छत्तीसगढ़ ने अपनी 25 साल की यात्रा में ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति की है। 2001 में जहां राज्य में घरेलू विद्युतीकरण 18% था, आज यह 100% हो चुका है। राज्य में 30,000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जिसमें थर्मल पावर की प्रमुख भूमिका है।

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छत्तीसगढ़ ने 25 साल की अपनी यात्रा में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। यह राज्य अब ऊर्जा उत्पादन में देश का बड़ा केंद्र बन रहा है। 2001-02 में यहां घरेलू विद्युतीकरण केवल 18% था। आज यह आंकड़ा 100% तक पहुंच गया है। यानी अब हर घर में बिजली है।

राज्य में आज 30 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जिसमें थर्मल पावर प्लांट्स की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। यही नहीं, ऊर्जा निवेश के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में मार्च में हुई छत्तीसगढ़ एनर्जी इंवेस्टर्स समिट में बड़ी कंपनियों ने 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश का ऐलान कियाहै। 

इन निवेशों से परमाणु, थर्मल, सौर और पंप्ड स्टोरेज जैसे प्रोजेक्ट शुरू होंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ न केवल आत्मनिर्भर बने, बल्कि पूरे देश के लिए ऊर्जा का हब साबित हो।

पीएम सूर्य घर योजना से घर-घर बिजली

छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को राज्य सरकार का भी पूरा सहयोग मिल गया है। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ा है। अब लोगों को डबल सब्सिडी का फायदा मिल रहा है और वे छत पर सोलर पैनल लगाकर न सिर्फ अपनी जरूरत की बिजली पैदा कर पा रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आय भी कमा रहे हैं।

आपको कैसे मिलेगा लाभ?

पहले केंद्र सरकार 60% तक सब्सिडी देती थी। अब राज्य सरकार ने भी इसमें योगदान जोड़ा है। यानी, अगर कोई उपभोक्ता 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाता है, जिसकी लागत लगभग ₹1.5 लाख है, तो उसे केवल 30-40 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे।

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आसान कर्ज और कम EMI

राज्य सरकार ने बैंकों के साथ मिलकर योजना को और आसान बना दिया है। उपभोक्ताओं को अब केवल 6.5% ब्याज दर पर 10 साल तक का कर्ज मिल रहा है। EMI इतनी कम होगी कि यह मौजूदा बिजली बिल से भी कम बैठेगी। यानी आज जो पैसा बिल में जा रहा है, वही EMI में जाएगा और कुछ साल बाद उपभोक्ता को मुफ्त बिजली मिलने लगेगी।

बिजली बेचकर होगी आमदनी

इस योजना की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उपभोक्ता जरूरत से ज्यादा बिजली बनाकर राज्य की डिस्कॉम कंपनियों को बेच सकते हैं। 2 किलोवाट का प्लांट हर महीने औसतन 200 यूनिट से ज्यादा बिजली पैदा कर सकता है। 3 किलोवाट का प्लांट हर महीने करीब 360 यूनिट उत्पादन देता है। अतिरिक्त बिजली बेचकर उपभोक्ता हर महीने आमदनी भी कमा सकते हैं। 

दीपक और गोरे सिंह की कहानी



रायगढ़ जिले के दीपक देवांगन ने अपने घर पर 5 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया है। अप्रैल 2024 में उनका बिल 3,790 रुपए आया था। उन्होंने जब सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली विभाग को बेची तो उसका समायोजन उनके बिल से हो गया। नतीजा यह निकला कि उनका बिल माइनस में चला गया। दीपक कहते हैं, अब मुझे न केवल मुफ्त बिजली मिल रही है, बल्कि बची हुई बिजली बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। 

कोरबा के गोरे सिंह राजपूत ने भी 3 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया है। पहले वे हर महीने 2-3 हजार रुपए बिल भरते थे। अब उनका बिल लगभग शून्य हो गया है और वे भी बिजली विभाग को बिजली बेच रहे हैं। उनका कहना है कि यह योजना सस्ती भी है और पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। इससे घर की जेब भी बचती है और प्रकृति को भी नुकसान नहीं होता। 

हॉफ बिजली योजना में किया संशोधन

छत्तीसगढ़ सरकार की हाफ बिजली बिल योजना पहले से ही लाखों उपभोक्ताओं को राहत दे रही थी। अब इसमें सुधार करके इसे और आसान बनाया गया है। अब 100 यूनिट तक की खपत पर 50% छूट मिलेगी।लगभग 31 लाख उपभोक्ता, यानी कुल परिवारों का 70% हिस्सा, पहले की तरह इस योजना का लाभ पाता रहेगा। इनमें 15 लाख बीपीएल परिवार भी हैं, जिन्हें हर महीने 30 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती रहेगी।

अब भविष्य की ऐसी है तैयारी...


इधर, छत्तीसगढ़ पहले से ही 30 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है, जो देश के औसत से ज्यादा है। अब हर व्यक्ति को 2048 किलोवाट-घंटे बिजली मिल रही है, जिससे राज्य की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो रही हैं। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एनटीपीसी ने 80,000 करोड़ रुपए की लागत से 4200 मेगावाट क्षमता का न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट लगाने की योजना बनाई है। इससे छत्तीसगढ़ में परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन की शुरुआत होगी।

थर्मल पावर क्षेत्र में भी बड़े निवेश की घोषणा हुई है। अदानी पावर 66,720 करोड़ रुपए खर्च कर कोरबा, रायगढ़ और रायपुर में 1600-1600 मेगावाट के तीन थर्मल पावर प्लांट लगाएगा। जिंदल पावर रायगढ़ में 1600 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 12,800 करोड़ रुपए का निवेश करेगा, जबकि सरदा एनर्जी रायगढ़ में 660 मेगावाट क्षमता के प्लांट के लिए 5,300 करोड़ रुपए लगाएगी। इसके अलावा, सरकारी कंपनियां एनटीपीसी और सीएसपीजीसीएल 41,120 करोड़ रुपये की लागत से 4500 मेगावाट बिजली उत्पादन करेंगी।

सौर ऊर्जा में बड़ी सफलता



सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ को बड़ी सफलता मिली है। जिंदल पावर और एनटीपीसी ग्रीन मिलकर 10,000 करोड़ रुपए खर्च कर 2500 मेगावाट सौर बिजली का उत्पादन करेंगे। इसमें डोलेसरा में 500 मेगावाट और रायगढ़ में 2000 मेगावाट के सौर प्लांट शामिल होंगे।
किसानों के लिए भी खुशखबरी है। पीएम कुसुम योजना के तहत 4100 करोड़ रुपए की लागत से 675 मेगावाट सौर बिजली का उत्पादन किया जाएगा और 20,000 सोलर पंप लगाए जाएंगे। इससे किसानों को सिंचाई के लिए सस्ती बिजली मिलेगी और डीजल पंपों की जरूरत कम होगी।
इसके अलावा, 57,046 करोड़ रुपए की लागत से 8700 मेगावाट क्षमता के पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट भी शुरू होंगे। इसमें एसजेएन कोटपाली में 1800 मेगावाट और जिंदल रिन्यूएबल द्वारा 3000 मेगावाट के प्रोजेक्ट शामिल हैं।

इन सभी निवेशों के जरिए छत्तीसगढ़ जल्द ही देश के सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादक राज्यों में शामिल हो जाएगा। इससे उद्योगों, किसानों और आम लोगों को फायदा होगा और राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

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