रायपुर. एक कहावत है कि घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने। कुछ यही कहावत छत्तीसगढ़ में चरितार्थ हो रही है। सरकार कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है लेकिन फ्रीबीज बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। मोदी की गारंटी पूरी करने में सरकार ने तीन महीने पहले आया एक लाख 47 हजार करोड़ का बजट पानी की तरह बहा दिया और अब फिर सप्लीमेंटरी बजट ले आई है।
यानी सरकार की माली हालत खराब है लेकिन मुफ्त की रेबड़ी बांटे जा रही है। चुनाव के समय शुरु हुई अयोध्या यात्रा में सरकार पौने दो सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है। एक लाख लोगों को रामलला दिखाने का टारगेट है। इस पूरी यात्रा में एक व्यक्ति पर करीब साढ़े 17 हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
विष्णु का श्रीरामचंद्राय नम: स्वाहा:
मुफ्त की रेबड़ी बांटकर सत्ता में आई विष्णु सरकार अब भी इससे उबर नहीं पाई है। रही सही कसर लोकसभा चुनाव ने पूरी कर दी। मोदी की गारंटी का शब्द छत्तीसगढ़ की राजनीति में ऐसे घुला कि बीजेपी की पूरी सियासत इसमें मिक्स हो गई। जब से विष्णु सरकार बनी है तभी से सरकार दोनों हाथों से रेबड़ियां बांटने में लगी है। विधानसभा के वादे पूरे करने में जल्दी थी क्योंकि लोकसभा के चुनाव आ गए।
इन चुनावों में मोदी ने गारंटी दे दी तो फिर विष्णु कहां पीछे रहने वाले थे। इन्ही फ्रीबीज के गर्भ से निकली है अयोध्या में रामलला दर्शन योजना। रामलला की जब से प्राण प्रतिष्ठा हुई है तब से सरकार यहां के लोगों को उनके दर्शन करने भेज रही है वो भी अपने खर्च पर। खजाने की हालत भले ही खस्ता हो लेकिन रेबड़ी बांटने में कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
यह है रामलला दर्शन का लेखा जोखा
अयोध्या में रामलला दिखाने का एक साल का बजट 35 करोड़ है। जब लोगों को अयोध्या भेजने की शुरूआत हुई थी, तब सरकार ने आकस्मिक निधि से 10 करोड़ लेकर लोगों को अयोध्या रवाना कर दिया। सप्लीमेंटरी बजट में भी आयोध्या यात्रा के लिए 35 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
इस हिसाब से पांच साल में सरकार इस योजना पर 175 करोड़ यानी पौने दो सौ करोड़ रुपए खर्च करेगी। एक साल में बीस हजार लोगों को आयोध्या यात्रा करवाई जाएगी।
इस तरह पांच साल में एक लाख लोग अयोध्या धाम जाकर पुण्य कमाएंगे। इस पूरी योजना में एक व्यक्ति पर साढ़े 17 हजार रुपए का खर्च आएगा। इसके लिए पर्यटन मंडल ने आरआरसीटीसी से एमओयू साइन किया है। लोगों के अलावा पूरी सरकार भी रामलला के दर्शन कर चुकी है।
भक्ति से सराबोर सरकार बिना मौसम के ही रामलला को शबरी के बेर खिला आई। इसके अलावा सरकार मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना भी शुरु करने जा रही है। इसके लिए 25 करोड़ का बजट रखा गया है। इस योजना में प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को देश के प्रमुख तीर्थों की यात्रा कराई जाएगी।
यह है खजाने की हालत
नई सरकार मार्च में अपना पहला बजट लेकर आई। यह बजट 1 लाख 47 हजार करोड़ का था। लेकिन यह बजट चार महीने में ही खत्म हो गया। जाहिर पैसा कम था और बांटना ज्यादा था। चार महीने बाद सरकार करीब 7 हजार करोड़ का सप्लीमेंटरी बजट ले आई। इसके अलावा कर्ज लेने का सिलसिला जारी है।
सरकार पर एक लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज चढ़ चुका है। यानी खजाने की हालत खराब है। ऐसे में भी सरकार फ्रीबीज की योजनाओं को बदस्तूर चालू किए हुए है। जाहिर इन सबका असर छत्तीसगढ़ की डेवलपमेंट योजनाओं पर दिखाई देगा।