रिटायरमेंट के बाद अफसरों को नहीं मिलेगा रुतबेदार पद, क्यों लिया छत्तीसगढ़ सरकार ने ये फैसला

रिटायरमेंट के बाद आमतौर पर बड़े अफसरों को योजना आयोग का उपाध्यक्ष,विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष या राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष जैसे बड़े और रसूखदार पदों पर संविदा नियुक्ति कर दी जाती है।

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Arun tiwari
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रायपुर. अपने रिटायरमेंट के बाद भी रसूखदार बने रहने का प्लान कर बैठे कई अफसरों के लिए ये जोर का झटका है। अब वे रिटायर होंगे और सीधे अपने घर जाएंगे, हर महीने पेंशन लेंगे और अपने घर की कार से ही घूमेंगे। यह सब इसलिए है क्योंकि छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने एक बड़ा फैसला लिया है।

अब रिटायरमेंट के बाद सरकारी अधिकारी_कर्मचारियों की किसी विभाग या आयोग में संविदा नियुक्ति नहीं की जाएगी। सीएम का मानना है कि यह सिर्फ टाइमपास की तरह ही होती है। इस संबंध में सीएम ने आदेश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के बाद उन अफसरों को बड़ा झटका लगने वाला है जो रिटायर होने वाले हैं और उन्होंने अपनी नजरें किसी रसूखदार पद पर जमा रखीं थीं। 

अब रसूखदार पद के लिए नो एंट्री 

रिटायरमेंट के बाद आमतौर पर बड़े अफसरों को योजना आयोग का उपाध्यक्ष,विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष या राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष जैसे बड़े और रसूखदार पदों पर संविदा नियुक्ति कर दी जाती है।

 सरकार के नजदीक रहने वाले कमोबेश हर अफसर को ये मौका मिलता रहा है। यानी पद पर रहते हुए तो इनका रसूख रहता ही है पद से रिटायरमेंट के बाद भी इनका रुतबा उसी तरह कायम रहता है। मोटी सैलरी, बत्ती वाली गाड़ी, बड़ा सरकारी बंगला समेत अन्य सभी तरह की सुविधाएं भी इनको मिलती हैं। लेकिन अब छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं होगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सरकारी अधिकारी,कर्मचारी की रिटायरमेंट के बाद दी जाने वाली संविदा नियुक्ति पर रोक लगा दी है। साय ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। सीएम का मानना है कि इस तरह की नियुक्ति टाइमपास की तरह होती हैं। न तो रिटायर अधिकारी उतनी क्षमता से काम कर पाते हैं और न ही सरकार को उनका फायदा मिल पाता है।

इसके उलट युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर घट जाते हैं। हालांकि बेहद जरुरी होने पर संविदा नियुक्ति करने का अधिकार सरकार के पास रहेगा। 

अपने मूल विभाग में ही रहेंगे साहब 

सीएम विष्णुदेव साय ने एक और बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले का असर फाइनेंस अफसरों को उनके मूल विभाग वित्त में लौटाकर दिखाई दे गया है। जो पद जिस संवर्ग के लिए निर्धारित हैं, अब उस संवर्ग के अफसरों से ही वे पद भरे जाएंगे। सीएम के सख्त रवैये के बाद न केवल फाइनेंस अफसरों को हाउसिंग बोर्ड, स्कूल शिक्षा और खेल जैसे विभागों से वापस वित्त विभाग में लौटाया गया है, बल्कि माना जा रहा है कि अब परिवहन और आबकारी समेत सभी विभागों में क्लास-वन अफसरों के डेपुटेशन के रास्ते बंद कर दिए गए हैं।

सीएम ने यह फैसला संभवतः इसलिए भी लिया है, क्योंकि ईडी और ईओडब्लू की जांच में बड़े घोटालों में जिन अफसरों के नाम आए हैं, अधिकांश अन्य विभागों से डेपुटेशन पर लाए गए थे। छत्तीसगढ़ के अफसरों के लिए यह बड़ी खबर इसलिए भी है, क्योंकि बहुत सारे अधिकारी अलग-अलग विभागों में डेपुटेशन की कोशिश में लगे हुए हैं।

सूत्रों की मानें तो सरकार बनने के बाद व्यवस्थागत जरूरतों के लिए कुछ अफसरों को अन्य विभागों में बिठाया गया है। सुशासन को ध्यान में रखते हुए सीएम साय डेपुटेशन के पक्ष में बिलकुल नहीं है। 

अफसरों को मूल विभाग में लौटाने का सिलसिला शुरू

सूत्रों की मानें तो वित्तमंत्री ओपी चौधरी अपने विभाग वित्त को मजबूत करना चाहते हैं, इसलिए फाइनेंस अफसरों को उन्हीं की सहमति से मूल विभाग में पदस्थ कर दिया गया है। साय सरकार ने सभी विभागों में ऐसे अफसरों की सूची तैयार की है, जो उस संवर्ग के नहीं हैं। जल्दी ही इन सभी को भी उनके मूल विभागों में लौटाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

डेपुटेशन बहुत जरूरी होने पर ही किया जाएगा। वह भी आईएएस-आईपीएस लेवल पर ही होगा। यहां भी इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि जो पद आईएएस या प्रशासनिक सेवा के लिए रिजर्व हों, वहां आईपीएस को नहीं बैठाया जाएगा। पिछली सरकार में इस तरह भी हुआ था, जिसे साय सरकार अब दोहराना नहीं चाहती।

परिवहन में नहीं किया जाएगा डेपुटेशन

खबर के अनुसार परिवहन विभाग में मंत्रालय स्तर पर पुलिस और अन्य विभागों से अफसरों को व्यवस्था के लिए पदस्थ करने के बाद अब सीएम साय ने किसी भी तरह के डेपुटेशन के लिए सख्ती से मना कर दिया है। छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में सिपाही से डीएसपी रैंक तक के अफसर परिवहन में डेपुटेशन के लिए लगे हुए हैं।

साय सरकार की सोच है कि पूर्व में परिवहन विभाग में अन्य विभागों से डेपुटेशन इसलिए किया गया, क्योंकि विभाग में अफसर-कर्मचारियों की कमी थी। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। अब विभागीय अफसर इतने हो गए हैं कि आरटीओ से लेकर अन्य जरूरी पदों पर परिवहन अफसरों को ही तैनात किया जा सकता है। पिछली सरकार में परिवहन विभाग में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को बड़ी संख्या में आरटीओ बनाया गया।

राज्य प्रशासनिकल सेवा के अफसर शैलाभ साहू ने तो पिछले पांच साल में चार-पांच जिलों में आरटीओ जैसे पदों पर ही काम किया। सीएम ने अब इस तरह की परंपरा को खत्म करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

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