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रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे चल रही है। सरकार के विभागों में 40 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी काम कर रहे है। कुछ अहम विभागों में तो हालत यह है कि उनका कामकाज पूरी तरह से आउटसोर्स कर्मचारियों के सहारे ही हैं। एक तरफ तो सरकार के सामने युवाओं को रोजगार देने का संकट है तो दूसरी तरफ प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती हो रही है।
वहीं छत्तीसगढ़ की पिछली भूपेश सरकार में आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या बेहद कम थी। साल 2222 और 2023 में महज तीन हजार कर्मचारी ही आउटसोर्स पर थे। हालांकि ये अलग बात है कि भूपेश सरकार में वित्त विभाग की मर्जी के बिना ही आउटसोर्सिंग हो रही थी।
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प्लेसमेंट एजेंसियां चला रहीं सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकांश विभागों को प्लेसमेंट एजेंसियां ही चला रही है। सरकार प्लेसमेंट एजेंसियों को हायर करती है और इनसे सालाना अनुबंध करती है। ये प्लेसमेंट एजेसियां ही सरकार की डिमांड के हिसाब से कर्मचारी उपलब्ध कराती है। सरकार को आउटसोर्स कर्मचारी इन प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए ही मिलते हैं।
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सरकार बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के बदले आउटसोर्स कर्मचारियों से ही अपना काम चला रही है। छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार में 40608 कर्मचारी आउटसोर्स पर हैं। इनमें वाणिज्यिकर, चिकित्सा शिक्षा और उर्जा विभाग तो पूरी तरह से आउटसोर्स कर्मचारियों पर ही आश्रित हैँ। इन तीनों विभागों में 32907 कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर हैं।
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इन विभागों में इतने आउटसोर्स कर्मचारी
बिजली विभाग - 22718
वाणिज्यिक कर विभाग - 5887
चिकित्सा शिक्षा - 4302
श्रम - 742
कौशल विकास एवं रोजगार - 615
कृषि विकास - 479
उद्योग विभाग - 392
नगरीय प्रशासन - 326
खाद्य एवं आपूर्ति - 324
उच्च शिक्षा - 300
पर्यटन विभाग - 237
संवाद - 206
समाज कल्याण विभाग - 157
सामान्य प्रशासन विभाग - 128
हस्त शिल्प विकास निगम - 122
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भूपेश सरकार में वित्त की अनुमति के बिना आउटसोर्सिंग
ऐसा नहीं है कि प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए बीजेपी सरकार ने ही आउटसोर्सिंग की है,इससे पहले की भूपेश सरकार ने भी प्लेसमेंट एजेंसियों को काम दिया था। लेकिन वो काम बहुत थोड़ा। इतने बड़े पैमाने पर बीजेपी सरकार ने ही वर्कर हायर किए हैं। भूपेश सरकार ने महज 3 हजार से कुछ ज्यादा ही कर्मचारी आउटसोर्स किए थे। हालांकि ये अलग बात है कि उनको लेने में तत्कालीन सरकार ने वित्त की अनुमति की परवाह नही की और काम पर रख लिया।
- साल 2022 में आउटसोर्स पर 1565 कर्मचारी रखे गए जिनमें से सिर्फ 192 की अनुमति वित्त ने दी थी और 1373 कर्मचारी बिना वित्त की अनुमति के ही काम करते रहे।
- साल 2023 में 1637 कर्मचारी आउटसोर्स पर रखे गए जिनमें से 200 की अनुमति वित्त से ली गई बाकी 1437 बिना वित्त की अनुमति के काम करते रहे।
- कुल 3202 कर्मचारियों की नियुक्ति आउटसोर्स पर हुई। इनमें से 392 कर्मचारियों की अनुमति ही वित्त ने दी।
भर्ती की जगह आउटसोर्स क्यों
सवाल ये है कि भर्ती की जगह सरकार आउटसोर्स का रास्ता क्यों अपना रही है जबकि रोजगार कार्यालयों में दर्ज लाखों युवा पढ़े लिखे बेरोजगार हैं। सरकार प्लेसमेंट एजेंसियों को बड़ा अमाउंट देती है और इन कर्मचारियों के वेतन भत्ते एजेंसी के जरिए ही मिलते हैं। सरकार का फायदा ये है कि उसका काम कम बजट में हो जाता है। लेकिन जब विभागों में इतनी जगह खाली है तो फिर ये भर्तियां क्यों नहीं की जा सकती हैं।
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