25 साल बेमिसाल: कभी बीमारियों से जूझने वाला छत्तीसगढ़ आज 'मॉडल हेल्थ स्टेट' बनने की राह पर

छत्तीसगढ़ ने 25 साल में स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। 2000 में जहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सीमित थीं, अब राज्य में 15 मेडिकल कॉलेज, 2500 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 27 जिला अस्पताल हैं।

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1 नवम्बर 2000 को जब छत्तीसगढ़ देश के नए राज्य के रूप में बना था, तब यहां के हालात बेहद कठिन थे। खासकर स्वास्थ्य सुविधाओं की तस्वीर डरावनी थी। गांव–गांव में न डॉक्टर थे, न दवाइयां मिलती थीं। अस्पतालों के नाम पर सिर्फ इमारतें थीं, लेकिन उनमें न तो उपकरण थे और न ही विशेषज्ञ डॉक्टर। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए 40–50 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था।

कई बार तो इलाज न मिलने से असमय मौतें हो जाती थीं। मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा थी। आज 25 साल बाद, तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष 2025 में जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो साफ दिखता है कि प्रदेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जबरदस्त छलांग लगाई है। इस बदलाव में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार का योगदान अहम रहा है।

 25 साल का सफर... कहां से कहां पहुंच गया छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय सिर्फ 1 सरकारी मेडिकल कॉलेज (रायपुर) था। नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज गिने-चुने थे। लेकिन आज हालत बिल्कुल अलग है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 1 से बढ़कर 15 हो गई है। नर्सिंग कॉलेज 60 से ज्यादा हो चुके हैं। नर्सिंग सीटें 4 गुना बढ़ी हैं। पैरामेडिकल कॉलेज और ANM/GNM ट्रेनिंग सेंटर की संख्या कई गुना बढ़ी है। अब हर जिले में जिला अस्पताल और स्पेशियलिटी विंग हैं।

रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर में सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं उपलब्ध हैं। 2000 में जहां 700 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) थे, आज उनकी संख्या 2500 से ज्यादा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) की संख्या भी 300 से अधिक हो गई है। यानी अब स्वास्थ्य सुविधा हर गांव-गांव तक पहुंच चुकी है। ऐसे ही छत्तीसगढ़ में 2001-02 में 6 जिला अस्पताल थे, अब इनकी संख्या 2025-26 में 27 हो गई है। 

77 लाख परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व बदलाव किए हैं। सरकार ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना तथा शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के माध्यम से प्रदेश के 77 लाख 20 हजार परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की है। अटल नगर नवा रायपुर में 200 एकड़ भूमि चिन्हांकित की गई है, जहां 5,000 बेड वाला अत्याधुनिक मेडिसिटी अस्पताल बनना है। 141 एकड़ भूमि पर फार्मास्यूटिकल पार्क स्थापित किया जा रहा है, जिससे नवा रायपुर मध्य भारत का फार्मास्यूटिकल हब के रूप में उभरेगा।

अस्पतालों का विस्तार और मेडिकल शिक्षा

बिलासपुर में सिम्स का 200 करोड़ रुपए से विस्तार शुरू किया गया है। राजधानी रायपुर के अंबेडकर हास्पिटल में 700 बिस्तर का विस्तार करने के लिए 231 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया है। इसके पूरा होने पर अंबेडकर हास्पिटल में कुल 2,000 बिस्तर उपलब्ध होंगे। प्रदेश में मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चार नए मेडिकल कॉलेज—जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेंद्रगढ़ और गीदम में भवन निर्माण के लिए 1,020 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। टीकाकरण के मामले में भी छत्तीसगढ़ पूरे देश में अग्रणी है। यहां 96.54 प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है। 

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डॉक्टर, नर्स और मेडिकल एजुकेशन का विस्तार

पहले छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की भारी कमी थी। अब हर जिले में मेडिकल कॉलेज के विज़न ने तस्वीर बदल दी है। बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, राजनांदगांव, कोरबा, महासमुंद, कांकेर, जांजगीर और कवर्धा तक में मेडिकल कॉलेज खुल गए हैं। पोस्टग्रेजुएट (MD/MS) सीटें भी बढ़ी हैं, ताकि विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार हों। इसी तरह, नर्सिंग कॉलेजों और पैरामेडिकल संस्थानों के खुलने से हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। खासकर ग्रामीण और आदिवासी युवाओं को मेडिकल शिक्षा का बड़ा अवसर मिला है।

मां-बच्चे की सेहत में जबरदस्त सुधार

साय सरकार ने मातृ और शिशु स्वास्थ्य पर खास ध्यान दिया। अब हर ब्लॉक स्तर पर प्रसूति गृह और नवजात शिशु वार्ड हैं। "जननी सुरक्षा योजना" और "जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम" से लाखों महिलाओं को फायदा मिला है। नतीजा यह हुआ कि मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर 50% से ज्यादा घट गई। पहले जो महिलाएं प्रसव के समय असमय मौत का शिकार हो जाती थीं, अब उन्हें समय पर इलाज और सुरक्षित प्रसव की सुविधा मिल रही है।

हर नागरिक के लिए मुफ्त इलाज और बीमा सुरक्षा

आज छत्तीसगढ़ में कोई भी परिवार इलाज के लिए कर्जदार नहीं होता, क्योंकि सरकार ने बीमा योजनाओं के जरिए सबको सुरक्षा दी है।

  • आयुष्मान भारत योजना: 5 लाख रुपए तक मुफ्त हो रहा है इलाज।
  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना: गरीब, मध्यम वर्ग को मिली बड़ी राहत।
  • डिजिटल हेल्थ कार्ड: अब कैशलेस इलाज की सुविधा भी मिल रही है। 

डिजिटल हेल्थ और टेलीमेडिसिन 

बस्तर और सरगुजा जैसे दूरदराज इलाकों में भी अब लोग विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श ले पा रहे हैं। टेलीमेडिसिन सेवा से ऑनलाइन इलाज संभव हुआ है। ई-फार्मेसी और ऑनलाइन दवा वितरण ने लोगों को दवाइयां घर तक पहुंचाना आसान बना दिया है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी विस्तार

पहले बस्तर और दूरदराज इलाकों में लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से पूरी तरह वंचित थे। लेकिन अब मोबाइल हेल्थ यूनिट्स वहां पहुंच रही हैं। मिनी अस्पताल जैसी सुविधाओं वाली गाड़ियाँ गाँवों तक जाती हैं और मौके पर ही इलाज करती हैं। 1000 से ज्यादा उपकेंद्रों का नवीनीकरण हो चुका है। स्थानीय युवाओं को नर्सिंग और पैरामेडिकल प्रशिक्षण देकर वहीं स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।

सुपर स्पेशियलिटी और मेडिकल टूरिज्म

रायपुर का डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल अब सुपर स्पेशियलिटी सेंटर बन चुका है। हृदय, कैंसर, किडनी, न्यूरो और हड्डी रोगों का आधुनिक इलाज यहां हो रहा है। बिलासपुर और जगदलपुर में भी सुपर स्पेशियलिटी विंग खुल चुके हैं। आज छत्तीसगढ़ में पड़ोसी राज्यों से भी मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। यानी राज्य अब मेडिकल टूरिज्म का नया केंद्र बन रहा है।

भविष्य की प्राथमिकताएं

मुख्यमंत्री साय ने आने वाले वर्षों के लिए कुछ बड़े लक्ष्य तय किए हैं, इसके तहत हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा। डिजिटल हेल्थ मिशन को गांव—गांव तक पहुंचाया जाएगा। मातृ और शिशु मृत्यु दर को राष्ट्रीय औसत से भी कम करने का लक्ष्य तय किया गया है। स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। आधुनिक सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों का बड़ा नेटवर्क तैयार करने की दिशा में काम चल रहा है। RO 13257/4

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