जबरदस्ती I Love You कहना होगा अपराध, महिलाओं की मर्यादा पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि युवती का हाथ पकड़कर "आई लव यू" कहना अपराध होगा। जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की बेंच ने यह फैसला खासकर ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सुनाया है।

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Manya Jain
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  • छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि युवती का हाथ पकड़कर "आई लव यू" कहना अपराध माना जाएगा।

  • कोर्ट ने विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में इस तरह का व्यवहार आपत्तिजनक और डराने वाला बताया।

  • आरोपी को युवती से छेड़छाड़ के मामले में दोषी पाया गया था, और उसे तीन साल की सजा दी गई थी।

  • कोर्ट ने माना कि आरोपी का हाथ खींचना और प्रेम का इजहार करना, पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने का इरादा था।

  • हाई कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराने का फैसला रद्द कर दिया, लेकिन धारा 354 के तहत सजा बरकरार रखी, जिसे एक साल तक घटा दिया।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा पर अहम निर्णय लिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी का युवती का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए "आई लव यू" कहना अपराध माना जाएगा। जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने कहा कि खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में किसी लड़की के साथ ऐसा व्यवहार बहुत आपत्तिजनक है।

क्या है मामला ?

दरअसल जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की बेंच युवती से छेड़खानी के मामले (Womens safety) में सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में 19 साल के युवक को आईपीसी और पॉक्सो एक्ट की अलग-अलग धाराओं में दोषी पाया गया था। 

युवक पर आरोप थे कि उसने युवती का हाथ पकड़कर खींचा था। इतना ही नहीं स्कूल से लौटते समय "आई लव यू" भी कहा। इन आरोपों के बाद युवक को तीन साल (bilaspur news) की सजा सुनाई गई थी। इस घटना से युवती काफी डर गई थी। जिस वजह से लड़की को मजार में जाकर छिपना पड़ा था।

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हाई कोर्ट ने दी ये टिप्पणियां

सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि "आई लव यू" कहना पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न नहीं है। कोर्ट ने सबूतों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मामले पर टिप्पणी दी हैं...

  1. मर्यादा का उल्लंघन: कोर्ट ने माना कि हाथ खींचना और प्रेम का इजहार करना उस परिस्थिति में पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया काम था।

  2. ग्रामीण इलाकों में है आपत्तिजनक: जस्टिस चंद्रवंशी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसी युवती के साथ ऐसा व्यवहार बहुत अधिक आपत्तिजनक और डराने वाला होता है।

  3. धारा 354 की प्रासंगिकता: कोर्ट ने कहा कि आरोपी का यह काम आईपीसी की धारा 354 (Section 354 IPC) के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें महिला की लज्जा भंग करने का स्पष्ट प्रयास दिखाई देता है।

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कोर्ट का आखिरी फैसला और सजा में बदलाव

हाई कोर्ट ने कहा कि प्रॉसिक्यूटर्स नाबालिग होने की बात साबित नहीं कर पाए। इसलिए पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराने का फैसला रद्द कर दिया। हालांकि, भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत आरोपी को दोषी माना गया और सजा भी बरकरार रखी है। कोर्ट ने आरोपी की उम्र को ध्यान में रखते हुए उसकी सजा (CG News) को तीन साल से घटाकर एक साल कर दिया है।

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