छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : भूपेश बघेल के बेटे पर 1000 करोड़ नकदी प्रबंधन का आरोप, ED की चार्जशीट में सनसनीखेज खुलासे

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में अपनी चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को लेकर गंभीर दावे किए हैं. ईडी के अनुसार, चैतन्य बघेल को शराब सिंडिकेट से ₹1,000 करोड़ से ज़्यादा की नकदी मिली थी.

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Krishna Kumar Sikander
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Bhupesh Baghel son accused of 1000 crore cash management the sootr
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छत्तीसगढ़ में 3,200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद चौंकाने वाले दावे किए हैं। ईडी की चार्जशीट के अनुसार, चैतन्य को शराब सिंडिकेट से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी प्राप्त हुई, जिसकी गिनती रायपुर के फाफाडीह स्थित अनवर ढेबर के होटल में होती थी। यह रकम अनवर ढेबर और नीतेश पुरोहित के जरिए चैतन्य तक पहुंचाई जाती थी।

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ईडी के आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग और लेयरिंग

ईडी का दावा है कि चैतन्य ने शराब घोटाले से प्राप्त आय को मनी लॉन्ड्रिंग और लेयरिंग के जरिए वैध संपत्ति में बदलने की कोशिश की। चार्जशीट में कहा गया है कि चैतन्य के निर्देश पर इस रकम का एक हिस्सा कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को दिया गया, जो पिछले दो साल से फरार हैं और ईडी व राज्य की एसीबी उनकी तलाश कर रही है। चैतन्य पर मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ आपराधिक आय को वैध दिखाने के लिए लेयरिंग का भी आरोप है।

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बिलासपुर में निवेश और फ्लैट खरीद का खेल

ईडी के अनुसार, चैतन्य की कंपनी मेसर्स बघेल डेवलपर्स, जो बिलासपुर में विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, में करोड़ों रुपये का निवेश किया गया। जांच में पाया गया कि प्रोजेक्ट की लागत को कम दिखाया गया। अनवर ढेबर के करीबी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने चैतन्य की कंपनी से 19 फ्लैट 15 करोड़ रुपये में खरीदे, जिन्हें कर्मचारियों के नाम पर रजिस्टर किया गया। ईडी ने इन कर्मचारियों के बयान दर्ज किए हैं।

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ऋण के नाम पर कब्जा और मकान खरीद का खेल

ईडी ने दावा किया कि चैतन्य बघेल ने कई कारोबारियों और बिल्डरों के जरिए शराब घोटाले की कमाई को निवेश किया। चार्जशीट में कहा गया कि चैतन्य ने कथित तौर पर ऋण के रूप में दी गई रकम को वैध दिखाने की कोशिश की। उदाहरण के लिए, चैतन्य ने कुछ व्यक्तियों और प्रतिष्ठानों को ऋण दिया, जो बाद में उनकी कॉलोनी में मकान खरीदने के लिए इस्तेमाल हुआ। ईडी का आरोप है कि यह रकम वास्तव में शराब घोटाले से प्राप्त आपराधिक आय थी, जिसे वैध बनाने के लिए इस तरह की लेयरिंग की गई।

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पप्पू बंसल के बयान पर सवाल

चैतन्य की गिरफ्तारी दुर्ग के कारोबारी लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है, जिसमें उन्होंने चैतन्य को 1,000 करोड़ रुपये की नकदी देने की बात स्वीकार की। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे असंवैधानिक बताते हुए सवाल उठाया कि पप्पू बंसल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट होने के बावजूद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया।

भूपेश बघेल का जवाब

भूपेश बघेल ने चैतन्य की गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि पप्पू बंसल बिना किसी कार्रवाई के ईडी कार्यालय में स्वतंत्र रूप से घूम रहा है। उन्होंने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे पक्षपातपूर्ण बताया।

क्या है मामला?

ईडी की चार्जशीट में शराब घोटाले से जुड़े कई बड़े खुलासे किए गए हैं। चैतन्य पर आरोप है कि उन्होंने शराब सिंडिकेट से प्राप्त मोटी रकम को विभिन्न परियोजनाओं और संपत्तियों में निवेश कर उसे वैध दिखाने की कोशिश की। मामले में आगे की जांच और कार्रवाई जारी रहने की संभावना है।

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