SC-ST और बच्चों के फंड से हुआ महतारी वंदन , चुनाव में महिलाओं को खुश करने कर ली 3 हजार करोड़ की कटौती

सरकार ने महतारी वंदन योजना को शुरू करने के लिए आदिवासी उपयोजना, अनुसूचित जाति उपयोजना और महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं से पैसे लिए। महतारी वंदन योजना की मासिक किस्त के लिए यहीं से पैसे जुटाए गए।

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Arun tiwari
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रायपुर. महतारी वंदन वो योजना है, जिसे बीजेपी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में ट्रंप कार्ड के रूप में खेला। दोनों चुनावों में बीजेपी की बंपर जीत हुई। ऐसा माना भी जाता है कि इस योजना ने ही बीजेपी को चुनावी बैतरणी पार कराई है। और कांग्रेस इसका काट नहीं तलाश पाई, लेकिन ये महतारी वंदन कैसे हुआ,यह द सूत्र आपको बता रहा है।

बीजेपी सरकार तो बन गई, लेकिन खाली खजाने से महतारी वंदन कैसे हो, इस सवाल ने सरकार को चिंता में डाल दिया। वादा पूरा करना भी जरूरी हो गया था, क्योंकि आगे मोदी का चुनाव था और ये मोदी की गारंटी थी। सरकार ने इसका जवाब खोज लिया। महतारी वंदन के पैसे जुटाने के लिए एससी, एसटी और बच्चों के फंड में कटौती कर दी।

आदिवासी, अनुसूचित जाति और महिला एवं बाल विकास के फंड को किस तरह इस योजना में लगाने के लिए ले लिया गया, आइए आपको बताते हैं। 

भारी भरकम महतारी वंदन 

विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी ने महतारी वंदन का ट्रंप कार्ड खेला। इस ट्रंप कार्ड को मोदी की गारंटी नाम दिया गया। ट्रंप कार्ड ने काम किया और बीजेपी की सरकार बन गई। सरकार ने आनन-फानन में 70 लाख महिलाओं को महतारी वंदन योजना में शामिल कर लिया।

 हर महिला को एक हजार रुपए महीने उसके खाते में डाले जाने लगे। यानी हर महीने सरकार 700 करोड़ रुपए महिलाओं के खाते में डालने लगी। सरकार के लिए यह इसलिए जरूरी था, क्योंकि लोकसभा चुनाव आने वाले थे। और यदि मोदी की गारंटी को पूरा नहीं किया तो मोदी के चुनाव में घाटा हो सकता था।

सरकार ने खाली खजाने में से 700 करोड़ रुपए निकाले और हर महीने महिलाओं को बांटने लगी। अब सवाल ये है कि जब खजाना खाली था तो पैसे कहां से आए। दरअसल ये पैसे आए एससी,एसटी और बच्चों के खाते से। इनसे पैसे लेकर सरकार ने महतारी वंदन कर लोकसभा चुनाव भी जीत लिया। 

एससी,एसटी,बच्चों से लिया फंड 

सरकार ने इस योजना को शुरू करने के लिए आदिवासी उपयोजना, अनुसूचित जाति उपयोजना और महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं से पैसे लिए।

महतारी वंदन योजना की मासिक किस्त के लिए यहीं से पैसे जुटाए। साल 2023-24 में 1 हजार 311 करोड़ रुपए और साल 2024-25 में 1 हजार 980 करोड़ रुपए इन योजनाओं से ले लिए। इस तरह कुल 3 हजार 291 करोड़ रुपए एससी,एसटी और महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं के हिस्से का पैसा महतारी वंदन में लगा दिया। 

इस तरह लिया फंड 
 फरवरी 2024 : 687 करोड़
अनुसूचित जनजाति -  266 करोड़
अनुसूचित जाति- 84 करोड़
महिला एवं बाल विकास - 337 करोड़

 मार्च 2024 : 623 करोड़
अनुसूचित जनजाति-  243 करोड़
अनुसूचित जाति- 67 करोड़
महिला एवं बाल विकास - 313 करोड़

अप्रैल 2024 : 670 करोड़
अनुसूचित जनजाति - 255 करोड़
अनुसूचित जाति - 80 करोड़
महिला एवं बाल विकास - 335 करोड़

 मई 2024 : 660 करोड़
अनुसूचित जनजाति - 251 करोड़
अनुसूचित जाति- 79 करोड़
महिला एवं बाल विकास - 330 करोड़

 जून 2024 : 650 करोड़
अनुसूचित जनजाति - 247 करोड़
अनुसूचित जाति- 78 करोड़
महिला एवं बाल विकास - 325 करोड़

फ्रीबीज का असर 

 फ्रीबीज का यही असर होता है] जो छत्तीसगढ़ में हुआ। आदिवासी,अनुसूचित जाति और महिला,बच्चों के फंड से मुफ्त की रेवड़ी बांटी गई। यानी सीधे तौर पर आदिवासियों,अनुसूचित जाति के विकास के साथ साथ महिला और बच्चों से संबंधित योजनाओं पर पड़ा।

यही नहीं कई विकास योजनाएं भी फ्रीबीज देने की भेंट चढ़ गईं। चुनाव जीतने के लिए पार्टिंया मुफ्त की रेवड़ी बांट देती हैं और आम आदमी के टैक्स का पैसा इन रेवड़ियों पर उड़ा दिया जाता है।

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