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छत्तीसगढ़ सरकार ने 2025 के मेडिकल पीजी प्रवेश नियमों में बदलाव किया है। राज्य-कोटे को 50% से घटाकर 25% कर दिया गया है।
अब बाहरी राज्यों से MBBS करने वाले छात्र भी राज्य कोटे में प्रवेश पा सकते हैं। यह फैसला सरकारी और निजी दोनों कॉलेजों में लागू होगा। इससे छत्तीसगढ़ के अपने छात्रों के लिए प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां बढ़ जाएंगी।
अब राज्य के छात्रों को बाहरी राज्यों के छात्रों से भी कड़ी टक्कर मिल सकती है। यह बदलाव छत्तीसगढ़ में मेडिकल प्रवेश की प्रक्रिया को और भी कठिन बना सकता है।
विवाद और विरोध
छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन (CGDF) ने इस नए फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार ने राज्य के "बॉन्ड" वाले छात्रों के साथ धोखा किया है। ये छात्र या तो पहले ग्रामीण क्षेत्रों ( मेडिकल प्रवेश नियम 2025) में सेवा दे चुके हैं या दे रहे हैं। अब जिन डॉक्टरों ने पिछले दो साल से सेवा दी है, उन्हें उनका "इनाम" नहीं दिया जा रहा है।
CGDF का कहना है कि कुल सीटों का 75% बाहरी छात्रों के लिए खोल देना, छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों के लिए खतरनाक है। उनका मानना है कि यह छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों के भविष्य के लिए "डेथ वारंट" जैसा है।
न्यायिक हस्तक्षेप: नया मोड़
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 25 नवम्बर 2025 को एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने 2025 के प्रवेश नियमों के रूल 11(a) और 11(b) को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ये नियम असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण थे। अब, पीजी प्रवेश केवल मेरिट यानी NEET-PG रैंकिंग के आधार पर होगा। इसका मतलब यह है कि अब किसी कॉलेज से MBBS करने का कोई असर नहीं होगा।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि "इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस" (institutional preference) को अब ध्यान में नहीं रखा जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि अब छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के बाहर MBBS करने वाले छात्रों को भी राज्य-कोटे में PG की सुविधा मिल सकेगी।
यह फैसला उन छात्रों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आया है, जिन्हें पहले छत्तीसगढ़ में MBBS की डिग्री प्राप्त करने के बाद ही PG में प्रवेश मिल पाता था।
कैसे होगा सीट डिवीजन
पहले, स्टेट-कोटे की 50% सीटें केवल प्रदेश के MBBS स्नातकों के लिए थीं।
अब, संशोधित नियम के अनुसार, स्टेट-कोटे की सीटें 25% तक सीमित — और अधिकांश स्टेट-कोटे सीटें “ओपन मेरिट / बाहरी राज्यों” को दे दी गईं।
इस तरह कुल मिलाकर, सरकारी + निजी कॉलेजों में स्टेट-कोटे का लाभ पहले से बहुत कम होगा।
किसे होगा फायदा और किसे होगा मुश्किल
फायदा:
इनस्टिट्यूशनल / बाहरी MBBS वाले मेडिकल छात्र — अब उन्हें भी छत्तीसगढ़ में PG (MD/MS) का मौका मिलेगा।
प्रोस्पेक्टिव डॉक्टर जिन्होंने कहीं बाहर MBBS किया, वे अपने गृह राज्य में specialization ले सकेंगे।
मुश्किल:
छत्तीसगढ़ में MBBS पढ़ चुके छात्रों के लिए मुश्किल — PG सीटें बहुत सीमित हो गयी हैं।
दो साल की ग्रामीण सेवा देने वाले डॉक्टरों का “इनाम” — PG में आरक्षण — अब जोखिम में है।
प्रतिस्पर्धा अब बहुत कड़ी हो गयी है।
विशेषज्ञों और CGDF की राय
CGDF का कहना है कि यह फैसला स्थानीय डॉक्टरों और छात्रों के साथ अन्याय कर रहा है। उन्हें 2 साल सेवा देने के बाद PG में प्रवेश का हक मिलना चाहिए, लेकिन अब उन्हें इसका मौका नहीं मिल रहा है।
नए नोटिफिकेशन को लागू करने से पहले सरकार को सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय (छत्तीसगढ़ न्यूज) के फैसलों को ध्यान में रखते हुए विचार (CG education news) करना चाहिए था। राज्य-कोटे में स्थानीय छात्रों की प्राथमिकता हटाना उनकी मेहनत और सेवा की अनदेखी करना है।
आगे क्या उम्मीद की जा सकती है
कई छात्र, डॉक्टर और CGDF इस फैसले का विरोध बढ़ा सकते हैं — संभव है कि नीति में फिर बदलाव हो।
PG काउंसलिंग प्रक्रिया अभी जारी है, लेकिन मेरिट आधारित होगी; जो छात्र रैंक में मजबूत होंगे, उन्हें फायदा मिलेगा।
भविष्य में अगर seats बढ़ाई जाएं या quota फिर से बदले जाएं, तब स्थानीय छात्रों की उम्मीद बनेगी।
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