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कभी लाल आतंक के नाम से बदनाम छत्तीसगढ़ आज विकास की नई इबारत लिख रहा है। कभी जिन जंगलों में माओवादी हिंसा के डर से गांव वीरान रहते थे, वहीं आज स्कूलों की घंटी, बच्चों की हंसी और विकास की रफ्तार गूंज रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद के समूल खात्मे का रोडमैप तैयार कर रखा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार इस अभियान को जमीनी स्तर पर तेजी से अमल में ला रही है।
छत्तीसगढ़ में 21 मई 2025 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया, जब सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाकर नक्सली आंदोलन की रीढ़ तोड़ दी। इस ऑपरेशन में 26 कुख्यात नक्सलियों का खात्मा हुआ, जिनमें डेढ़ करोड़ के इनामी माओवादी महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू भी शामिल था। बासवराजू तीन दशक तक नक्सल हिंसा की साजिशों का मास्टरमाइंड रहा। उसकी मौत के साथ नक्सली नेटवर्क को करारा झटका लगा है।
समर्पण और पुनर्वास से बदल रही तस्वीर
नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 लागू की है। इसके तहत पिछले दिनों कई हार्डकोर नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं, हमने यह ठान लिया है कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद मुक्त बनाना है। हिंसा छोड़ चुके नक्सलियों को समाज में सम्मानजनक जीवन देने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठा रही है।
बस्तर संभाग का अबूझमाड़ कभी दुर्गम जंगलों और नक्सली कैडर के लिए जाना जाता था। अब यहां पीएम जनमन योजना, धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान और छत्तीसगढ़ सरकार की नियद नेल्ला नार योजना जैसे कार्यक्रमों से विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। अबूझमाड़ में अब आदिवासी बच्चों के लिए पक्के स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र और पक्के घर बन रहे हैं।
आदर्श ग्राम की कल्पना अब हकीकत
नियद नेल्लानार का मतलब है, आपका आदर्श ग्राम। इस योजना के तहत अब तक 124 गांव पक्की सड़कों से जुड़े हैं। 31 गांवों में सड़क निर्माण तेजी से चल रहा है। गांवों में स्कूलों की संख्या 122 से बढ़कर 144 हो चुकी है और बच्चों की संख्या में 20% का इजाफा हुआ है। आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या भी 193 से बढ़कर 202 हो गई है। इन आंगनबाड़ियों में बच्चों का नामांकन 30% बढ़ा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सात नक्सल प्रभावित जिलों में एक लाख से ज्यादा आवास स्वीकृत हुए हैं। यह लक्ष्य का 107% है। नियद नेल्लानार योजना के गांवों में भी 1100 नए पक्के मकान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें तीन गुना की वृद्धि दर्ज की गई है।
स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा
आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या 19.24 लाख से बढ़कर 21.05 लाख पहुंच गई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से 3.61 लाख से अधिक परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन मिले हैं। मनरेगा के तहत 29,000 नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 5,000 कार्ड नियद नेल्ला नार योजना के गांवों में बने हैं।
पर्यटन से रोजगार की नई दिशा
नक्सलवाद के खात्मे के बाद बस्तर की जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। बस्तर के घने जंगल, झरने, गुफाएं और जनजातीय संस्कृति पहले बंदूकों की गूंज में दबे रहते थे, अब ये पर्यटन और रोजगार के नए अवसर खोल रहे हैं। बेहतर कनेक्टिविटी, नई सड़कें और सुरक्षा कैंपों की वजह से अब बस्तर देश का नया हॉट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की ओर अग्रसर है।
सुरक्षा के नए किले बनाए
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में पिछले कुछ महीनों में 46 नए सुरक्षा कैंप बनाए गए हैं। इनसे नक्सलियों का दबदबा खत्म हो रहा है और गांव वालों को सुरक्षा के साथ विकास की गारंटी भी मिल रही है। इन कैंपों के आसपास 145 गांवों में विशेष शिविर लगाकर योजनाओं का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत 1,302 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं, जिनमें से 308 काम पूरे हो चुके हैं और 999 प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे किए जा रहे हैं। वर्ष 2024-25 के लिए 220 करोड़ रुपये आवंटित हुए, जिसमें से 200 करोड़ का शत-प्रतिशत व्यय कर सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और कृषि से जुड़ी योजनाएं पूरी की जा रही हैं।
मिशन 2026...नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का साफ संदेश है कि नक्सलवाद का खात्मा अब केवल सपना नहीं, जल्द साकार होने वाला संकल्प है। हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सलवाद मुक्त बनाने के लिए दिन-रात जुटी है। विकास और विश्वास के जरिए हम हर हथियारबंद हाथ को कागज-कलम से जोड़ देंगे।
कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ अब उस दौर से बहुत आगे बढ़ चुका है, जब गोलियों और बारूदी सुरंगों की खबरें आम थीं। आज यहां हर गांव में बिजली की रोशनी है, हर हाथ में रोजगार है और हर बच्चे के हाथ में किताब है। यह बदलाव बताता है कि जब सरकार की नीयत और नीति मजबूत हो, तो हिंसा की जगह उम्मीद और विकास को पनपने में देर नहीं लगती।
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