नक्सली फ्रंट पर सख्त नजर आ रही सरकार, हत्या,चोरी,लूट में क्यों है लाचार

भूपेश सरकार के आखिरी छह महीने और विष्णु सरकार के पहले छह महीने के अपराध के आंकड़ों की पड़ताल द सूत्र ने की। इन आंकड़ों में साफ नजर आता है कि नक्सली फ्रंट पर तो सरकार सख्त है लेकिन हत्या,चोरी,लूट और महिला अपराधों में वो लाचार नजर आती है।

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Arun tiwari
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रायपुर.  छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र शुरु हो चुका है। कांग्रेस कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को सदन और सड़क दोनों पर घेरने वाली है। कांग्रेस ने सदन में सवालों की तो सड़क पर विधानसभा घेराव करने की तैयारी की है।

आखिर यहां पर सवाल उठता है कि कानून व्यवस्था इतना बड़ा मुद्दा क्यों है। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की। भूपेश सरकार के आखिरी छह महीने और विष्णु सरकार के पहले छह महीने के अपराध के आंकड़े निकाले।

इन आंकड़ों में साफ नजर आता है कि नक्सली फ्रंट पर तो सरकार सख्त है लेकिन हत्या,चोरी,लूट और महिला अपराधों में वो लाचार नजर आती है। बीजेपी सरकार पिछली भूपेश सरकार पर सवाल तो उठाती है लेकिन अपराधों के आंकड़े कमोबेश वहीं हैँ जो पहले थे। 

नक्सल फ्रंट पर असरदार 

पिछले छह महीने में नक्सल फ्रंट पर जिस तरह की कार्रवाई हुई है उससे सरकार असरदार नजर आ रही है। इस कार्रवाई में दो बातें साफ नजर आती हैं। पहली यह कि सरकार का फोकस नक्सलियों के सरेंडर पर ज्यादा है। दूसरी बात यह है कि यदि सरेंडर नहीं तो गोली मारने में भी देरी नहीं है। सरकार के पास दो ही विकल्प हैं सरेंडर या मौत।

यानी सरकार नक्सलियों को सुधरने का मौका देकर मुख्य धारा में शामिल करना चाहती है। जिससे नक्सली क्षेत्रों का विकास हो और वहां के लोगों के पास भी सड़क,बिजली,पानी जैसी बुनियादी जरुरतें पहुंच सकें।

सरकार हमेशा से यह कहती रही है कि वह नक्सलियों से बातचीत करने को तैयार है। नक्सली फ्रंट पर बीजेपी सरकार की कार्रवाई पिछली से सरकार से कहीं ज्यादा है।  

ये हैं नक्सल फ्रंट के आंकड़े : 

        

        भूपेश सरकार 1 जनवरी से 30 जून 2023   विष्णु सरकार 1 दिसंबर से 20 जुलाई 2024
मुठभेड़          37                  100
नक्सली मारे           9                146
सरेंडर          221            531
गिरफ्तार           234             633

जब्ती माइंस  

जब्ती हथियार  

     70    

    26

      211

     179

हत्या,लूट,डकैती में लाचार 

सरकार एक तरफ नक्सली फ्रंट पर मजबूत और सख्त दिखाई दे रही है तो दूसरे अपराधों में कमजोर और लाचार नजर आ रही है। हत्या,चोरी,लूट और महिला अपराधों के आंकड़े उसी तरह के हैं जो पिछली सरकार के समय थे।

एक,दो अपराध कम हो सकते हैं लेकिन इनको उल्लेखनीय नहीं कहा जा सकता। इससे ये माना जा सकता है कि जितना फोकस सरकार ने नक्सली मामलों में किया उतना दूसरे अपराधों पर नहीं किया गया। 

यह हैं अपराध के आंकड़े :

भूपेश सरकार 1 जनवरी से 30 जून 2023 विष्णु सरकार 1 दिसंबर से 20 जुलाई 2024 
हत्या      500             499
डकैती                                                 28         23
लूट           202 204
सेंधमारी    1958   1885
चोरी     3986     3939
बलात्कार    1294     1291
यौन उत्पीड़न     859       803

अपराधों के मामलों में कमी नहीं आ पाई है। भूपेश सरकार के छह महीनों में 9361 तो विष्णु सरकार के पहले छह महीनों में अपराध 9061 हुए।

यानी इन छह महीनों में भूपेश सरकार के मुकाबले विष्णु सरकार अपराधों में एक फीसदी की कमी भी नहीं कर पाई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में अपराध बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

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