पितृपक्ष में तोरई पौने 200 रुपए किलो बिक रही बरबट्टी भी 100 के पार

पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की याद में लोग श्राद्ध भोज कराते हैं। छत्तीसगढ़ में पितृपक्ष में तोरई और बरबट्टी की सब्जी का अधिक महत्व रहता है। इस वजह से इनकी मांग ज्यादा बढ़ जाती है।

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Marut raj
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Chhattisgarh Pitrupaksha green vegetable price increased the sootr
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रायपुर. पितृपक्ष की वजह से छत्तीसगढ़ में हरी सब्जियों के दाम अचानक आसमान छूने लगे हैं। राज्य के कुछ हिस्सों में तो हरी सब्जियां आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर जा चुकी हैं। इसकी वजह पितृपक्ष तो है ही साथ ही बारिश की वजह से सीजनल सब्जियों की फसल खराब होना भी एक कारण है।

तोरई और बरबट्टी की सब्जी का महत्व

 तोरई और बरबट्टी के दाम सबसे ज्यादा राजनांदगांव में बढ़े हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि वहां बरबट्टी 100 रुपए किलो और तोरई 140 से 160 रुपए किलो तक बिकी है। बताया जा रहा है कि पितृपक्ष में स्वजनों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान कर पूजा-अर्चना की जाती है। पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है। अपने पूर्वजों की याद में लोग श्राद्ध भोज कराते हैं। साथ ही रोज नदी और तालाबों में तर्पण भी करते हैं। पितृपक्ष के दौरान तोरई और बरबट्टी की सब्जी का अधिक महत्व रहता है। इस वजह से इनकी मांग ज्यादा बढ़ जाती है।

बारिश का असर, आवक भी कम

छत्तीसगढ़ में इस समय सब्जियों के दाम बढ़े हुए हैं। इसकी एक वजह लोकल आवक न के बराबर होना है। राज्य में बारिश के कारण हरी सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है। राज्य के अलग- अलग हिस्सों में आलू 40, प्याज 50 रुपए किलो, टमाटर 50 रुपए किलो, भिंडी 60 रुपए किलो तक बिक रही है। इसके अलावा बाहरी आवक भी कमजोर है। इसका भी सब्जियों के दाम पर असर पड़ा है।

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