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Bilaspur. छत्तीसगढ़ में बिजली चोरी रोकने योजना में भी बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। वैसे तो ये खेल पूरे प्रदेश में खेला गया होगा। लेकिन अब तक शिकायत केवल बिलासपुर संभाग में ही हुई है। अनुमान के मुताबिक कंपनी और बिलजी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से 300 करोड़ की गड़बड़ी की गई हैं। स्थानीय विधायक ने जब इसकी शिकायत की तो केवल से सब इंजीनियर को निलंबित कर फाइल क्लोस कर दी गई। जबकि न तो बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई हुई और न ही कंपनी से इसकी वसूली...।
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क्या है पूरा मामला
देशभर ने पॉवर डिस्ट्रिब्यूशन में लाइन लॉस और कांटा मारकर बिजली चोरी को रोकने योजना बनी। केंद्र से मिले पैसे से छग में बंच केबल लगवाने का काम शुरु हुआ। बिलासपुर, मुंगेली और कोरबा का ठेका पुणे की एक कंपनी एसटी इलेक्ट्रिकल कंपनी को मिला। काम जनवरी 2025 तक पूरा करना था, लेकिन कंपनी समय पर काम पूरा नहीं कर पाई। लेकिन अधिकारियों ने इस पर जुर्माना लगाने के बजाय बचा काम दूसरे ठेकेदारों से पूरा करवा। इसके अलावा योजना में घटिया केबल लगाई गई जिससे करीब 300 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की गई।
कैसे खेला खेल...
जांच के मुताबिक पुणे की एसटी इलेक्ट्रिकल कंपनी को काम जनवरी में ही कवर केबल लगाने का काम पूरा कर लेना था। लेकिन काम केवल 65 प्रतिशत ही हुआ। अब नियमानुसार कंपनी पर जुर्माना लगाया जाना था। लेकिन अधिकारियों ने कंपनी पर जुर्माना नहीं लगाया बल्कि तीन कंपनियांे जय हिंद एनर्जी, शारदा कंस्ट्रक्शन और सिंह इन्फ्रास्ट्रक्चर को सबलेट कर दिया। इन कंपनियों को काम देने न तो टेंडर निकाला गया और न ही इनके पास इस का अनुभव था। पैसे बचाने चारों कंपनियों ने घटिया केबल का इस्तेमाल किया।
कार्रवाई की खानापूर्ती
सबसे पहले बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया लगाते हुए सीएम से शिकायत की। जिसमें बताया कि बिलासपुर संभाग में लगभग 300 करोड़ का घोटाला हुआ है। जिनमें से सिर्फ बिलासपुर जिले में ही 35 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी हुई है। लेकिन 2 दिन में जांच पूरी कर अधिकारियेां को क्लीन चिट दे दी गई
केवल सब इंजीनियर निलंबित
विधायक ने आरोप लगाया कि कंपनी ने फर्जी बिलिंग की. इसके साथ ही उन्होंने घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। शिकायत के आधार पर इसकी उर्जा विभाग ने इसकी जांच र्की लेकिन सारी कार्रवाई, जिसमें भी आरोप सही पाए गए लेकिन विभाग ने केवल सब इंजीनियर को निलंबित कर कार्रवाई की खानापूर्ति कर ली। और असली दोषियों को बचा लिया गया। जबकि यह फाइल बिजली के संभाग स्तर से होते हुए मुख्यालय तब जाती है। हालांकि विधायक इससे संतुष्ट नही हैं उन्होंने मुख्यमंत्री से सचिव स्तर की जांच समिति बनाकर भौतिक सत्यापन करने और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।