RAIPUR. छत्तीसगढ़ में पहली बार बच्चे का अंगदान दिया गया। ब्रेन डेड घोषित किए गए 11 साल प्रखर के अंगदान करने से कई जिंदगियां बचाई गई हैं। प्रखर साहू पिछले 2 दिनों से रामकृष्ण केयर हास्पिटल में भर्ती था। सातवीं क्लास में पढ़ने वाला प्रखर फुटबॉल का शौकीन था। एक जून का फुटबॉल खेलते हुए फुटबॉल स्टैंड से सिर पर गहरी चोट लग गई थी। इसके बाद बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके साथ ही माता मंजू साहू और पिता रमेश साहू एक जून से अपने बच्चे के ठीक होने का इंतज़ार कर रहे थे। 5 दिनों तक अस्पताल में इलाज के बाद 5 जून को प्रखर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
इसके बाद माता-पिता ने प्रखर के अंगदान का निर्णय किया।
भारी मन से माता- पिता ने लिया बड़ा फैसला
ब्रेन डेथ होने की वजह से डॉक्टरों के द्वारा सुझाने पर ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर उमाशंकर मिश्रा और डॉ. निकिता श्रीवास्तव ने प्रखर के माता-पिता को अंगदान का सुझाव दिया। भविष्य में जीवित होने की प्रखर की सभी संभावनाओं को देखते हुए बहुत ही भारी मन से, हिम्मत बांधते हुए प्रखर के माता पिता ने अपने बच्चे के अंगों एवं उत्तक (किडनी, लिवर, कार्निया और हार्ट वाल्व) का दान करने का फैसला लिया।
चार लोगों को मिली नई जिदंगी
प्रखर का इलाज रामकृष्ण हॉस्पिटल में जारी था। प्रखर के किडनी, लिवर, कॉर्निया और हार्ट वाल्व से चार लोगों को नई जिदंगी मिली है। जहां उसका लिवर और एक किडनी दान की गई। वहीं एक किडनी एम्स रायपुर पहुंचाई गई। कॉर्निया डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में और हार्ट वाल्व सत्य साई हॉस्पिटल नवा रायपुर पहुंचाई गई। बच्चे प्रखर के अंग प्रत्यारोपण में एम्स के डॉ. विनय राठौड़, डॉ. अमित आर शर्मा, डॉ. दीपक कुमार बिस्वाल, डॉ. प्रधुम्न यादव, डॉ. सरयू गोयल, डॉ. संदीप महादेव देसाई और उनकी टीम की अहम भूमिका रही। रामकृष्ण से डॉ. नईम, डॉ. अजीत मिश्रा, डॉ. युक्तांश पांडे, डॉ. राजकुमार, डॉ. धीरज, डॉ. हर्ष जैन और डॉ. मलय रंजन के साथ डॉ. संदीप दवे, डॉ. अजय पाराशर, डॉ. प्रवाश कुमार चौधरी, डॉ. संजीव काले, डॉ. श्रुति खड़खेडकर, डॉ. अखिल जैन की टीम ने अंत प्रत्योरोपण में अपनी भूमिका निभाई।
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पुलिस प्रशासन ने किया सहयोग
शहर के पुलिस प्रशासन का भी इसमें योगदान रहा। अंग सही समय में जरूरतमंद व्यक्तियों तक पहुंच सके, इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। अस्पताल प्रबंधन से सामन्यस्य बैठाते हुए यह पूरी प्रक्रिया पूर्ण की गई। गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक सात मृतकों के अंगदान किए जा चुके हैं। इससे अब तक 17 लोगों को नई जिंदगी मिली है। ये सभी व्यस्क थे। इनके अतिरिक्त प्रखर पहला बाल्य मृतक अंगदाता है। इस कदम से कई को जिंदगी की आस बंधी है।
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