दो साल में बदली छत्तीसगढ़ की तस्वीर, साय सरकार के फैसलों से गांव-गरीब, किसान-महिलाओं तक पहुंचा विकास

छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने दो वर्षों में विकास, शिक्षा, कृषि और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे आम लोगों की जिंदगी बदली।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ के इतिहास में बीते दो साल एक ऐसे मोड़ के रूप में दर्ज हो रहे हैं, जहां सरकार के फैसलों का असर सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि नतीजे जमीन पर साफ दिखाई देने लगे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बनी सरकार ने अपने दो वर्ष पूरे करते हुए यह साबित किया है कि अगर नीतियां स्पष्ट हों और क्रियान्वयन ईमानदार हो तो बदलाव होता है।

दो वर्षों में छत्तीसगढ़ ने सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक तीनों स्तरों पर नया आत्मविश्वास हासिल किया है। केंद्र सरकार की गारंटियों पर जनता ने जो भरोसा जताया था, उसे साय सरकार ने योजनाओं, सुधारों और जमीनी फैसलों के जरिए पूरा करने का प्रयास किया है। यही वजह है कि गांव से शहर तक, किसान से महिला तक और आदिवासी अंचलों से औद्योगिक क्षेत्रों तक बदलाव की चर्चा आम हो गई है।

विश्वास से शुरू हुआ सुशासन का सफर

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बार-बार कहते हैं कि किसी भी सरकार की असली पूंजी जनता का भरोसा होता है। इसी सोच के साथ सरकार ने शपथ के दूसरे ही दिन बड़ा फैसला लिया। 18 लाख से अधिक जरूरतमंद परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान की स्वीकृति देकर यह संकेत दिया कि सरकार की प्राथमिकता सबसे पहले गरीब और वंचित वर्ग हैं।

प्रशासनिक सुधारों को मजबूत करने के लिए सुशासन और अभिसरण विभाग की स्थापना की गई। इसमें अब तक 400 से अधिक प्रक्रियागत सुधार लागू किए जा चुके हैं। ई-ऑफिस व्यवस्था, अटल मॉनिटरिंग पोर्टल और छत्तीसगढ़ डिजिटल गवर्नेंस ने सरकारी कामकाज को तेज और पारदर्शी बनाया है। योजनाओं की निगरानी अब सिर्फ फाइलों के भरोसे नहीं है, बल्कि रियल-टाइम डेटा और फीडबैक के आधार पर फैसले हो रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा और लाभ समय पर लोगों तक पहुंचा।

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खेती को मिली नई ताकत 

छत्तीसगढ़ की पहचान खेती से जुड़ी रही है। इसे समझते हुए साय सरकार ने खेती को घाटे का नहीं, लाभ का सौदा बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इसके तहत धान खरीदी की दर 3100 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई। प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक समर्थन मिला। पिछला बकाया धान बोनस किसानों को दिया गया। सिंचाई क्षमता का विस्तार कर इसे 21.76 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया गया।

इन फैसलों से गांवों में नकदी का प्रवाह बढ़ा। सौर सुजला योजना के जरिए आदिवासी और सीमांत किसानों को सोलर पंप मिले, जिससे सिंचाई की लागत घटी और उत्पादन बढ़ा है। राज्य में धान उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इसका सीधा असर यह हुआ कि छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी कृषि राज्यों में गिना जाने लगा है। 

महिलाओं के हाथों में आई आर्थिक ताकत

साय सरकार के दो साल की सबसे बड़ी पहचान महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में दिखती है। महतारी वंदन योजना ने लगभग 70 लाख महिलाओं के जीवन में स्थायी बदलाव लाया है। हर महीने 1000 रुपए की सीधी आर्थिक मदद ने महिलाओं को घरेलू खर्चों के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है।

डीबीटी के जरिए 22 किस्तों में 14,306 करोड़ रुपए से अधिक की राशि सीधे खातों में पहुंचाई गई है। यह व्यवस्था पारदर्शिता का उदाहरण बनी। बिहान योजना, स्वयं सहायता समूहों, कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों और रोजगार से जुड़ाव ने महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया। राज्य में महिला श्रम भागीदारी दर 59.8 प्रतिशत तक पहुंचना इस बदलाव का साफ संकेत है।

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वनोपज संग्राहकों को मिला सम्मान

जनजातीय समाज के लिए तेंदूपत्ता पारिश्रमिक को 4000 रुपए से बढ़ाकर 5500 रुपए करना एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला रहा। इससे करीब 13 लाख परिवारों को सीधा फायदा मिला है। चरणपादुका योजना की दोबारा शुरुआत ने वनोपज संग्राहकों के श्रम और सम्मान को नई पहचान दी है। 
बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरण की स्थापना के साथ नियद नेल्ला नार योजना के जरिए सुदूर गांवों तक शासन की पहुंच बनी है। राशन, सड़क, बिजली, आधार, आयुष्मान कार्ड और आवास जैसी सुविधाएं अब उन इलाकों तक पहुंच रही हैं, जहां कभी सरकारी योजनाओं का नाम तक नहीं पहुंचता था।  

नक्सल उन्मूलन के साथ विकास की रफ्तार

साय सरकार के कार्यकाल में नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई देखने को मिली है। बीते दो वर्षों में 505 नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए। 2386 नक्सलियों ने सरेंडर किया और 1901 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया। इसी के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कें, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और रोजगार के अवसर पहुंचे हैं। बस्तर में इको-टूरिज्म, बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजनों ने इलाके की पहचान बदल दी है। लंबे समय बाद गांवों में स्कूल फिर से खुले और सामान्य जीवन लौटने लगा है।

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शिक्षा में सुधार से मजबूत हो रही नींव

शिक्षा के क्षेत्र में युक्तियुक्तकरण के जरिए शिक्षक संकट को दूर किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है। स्मार्ट क्लास और विद्या समीक्षा केंद्र तैयार किए जा रहे हैं। हिंदी में एमबीबीएस की शुरुआत ने मेडिकल एजुकेशन को स्थानीय छात्रों के लिए सुलभ बनाया है। प्रदेश में 11 मेडिकल कॉलेजों का विस्तार हो रहा है। शिक्षा सूचकांक 2001-02 के 0.249 से बढ़कर 2025 में 0.520 तक पहुंच गया है। वहीं, महिला साक्षरता दर 70 प्रतिशत के पार जाना सामाजिक बदलाव की मजबूत तस्वीर पेश करता है।

स्वास्थ्य सेवाएं गांव-गांव तक पहुंचीं

बीते दो वर्षों में स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी बड़ा सुधार दिखा है। राज्य का स्वास्थ्य सूचकांक 0.672 तक पहुंच गया। शिशु मृत्यु दर 67 से घटकर 38 होना इस बदलाव का बड़ा संकेत है। नक्सल प्रभावित इलाकों में नए पीएचसी और सीएचसी स्थापित किए गए। जल जीवन मिशन के तहत 40 लाख से अधिक परिवारों को शुद्ध पेयजल मिला है। इससे बीमारियों में कमी आई और जीवन स्तर बेहतर हुआ है।

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उद्योग और रोजगार का नया अध्याय

साय सरकार की नई औद्योगिक नीति ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। अब तक 7.83 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। लॉजिस्टिक पार्क, एयर कार्गो सुविधा और औद्योगिक पार्कों की स्थापना से उद्योगों को नया आधार मिला है। इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन में छत्तीसगढ़ की गिनती अग्रणी राज्यों में होने लगी है। राज्य में बेरोजगारी दर घटकर 2.4 प्रतिशत रह जाना इस विकास का सीधा परिणाम माना जा रहा है।

सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी से बदली तस्वीर

डबल इंजन सरकार के सहयोग से अधोसंरचना विकास को नई गति मिली है। 47 हजार करोड़ रुपए से अधिक की रेल परियोजनाएं शुरू हुईं हैं। 37 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं स्वीकृत की गईं। अंबिकापुर एयरपोर्ट का शुभारंभ हुआ है। ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 1.6 लाख किलोमीटर तक पहुंच गई है। 

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संस्कृति के साथ विकास का संतुलन

साय सरकार ने विकास को संस्कृति से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया है। श्रीरामलला अयोध्या धाम दर्शन योजना और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना से लोगों को आस्था से जोड़ने का प्रयास हुआ। राजिम कुंभ कल्प, बस्तर दशहरा का विस्तार, लोक कलाकारों की पेंशन वृद्धि और चित्रोत्पला फिल्म सिटी की पहल से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊर्जा मिली है। 

आर्थिक संकेतक दे रहे मजबूती का संदेश

राज्य का बजट 2001-02 में 3,999 करोड़ रुपए था, जो 2025-26 में बढ़कर 1.65 लाख करोड़ रुपए हो गया। जीएसडीपी 25,845 करोड़ से बढ़कर 3.21 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। जीएसटी संग्रह में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ये आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।

साय सरकार के दो वर्षों का लेखा-जोखा यह बताता है कि यह कार्यकाल केवल योजनाओं की सूची नहीं, बल्कि स्पष्ट दृष्टि का परिचायक है। अंजोर विजन 2047 के जरिए विकसित छत्तीसगढ़ का लक्ष्य तय किया गया है, जहां सुरक्षा, सुशासन और विकास एक साथ आगे बढ़ें।

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