छत्तीसगढ़ की रजत जयंती: 25 वर्षों में Cg ने खुद को तराशा, अब खनन से चमक रहा धान का कटोरा

छत्तीसगढ़ की रजत जयंती पर खनन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया गया है। इसने राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है। खनिज संपत्ति, सरकार की पारदर्शिता नीतियाँ और हरित ऊर्जा के प्रयासों से राज्य ने अपना विकास और समृद्धि हासिल की है।

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रायपुर. छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बने 25 साल पूरे हो रहे हैं। 1 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए इस राज्य की रजत जयंती को 'अटल निर्माण वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है। यह साल न सिर्फ जश्न का है, बल्कि उन उपलब्धियों का भी है, जो खनन क्षेत्र ने दी हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में सरकार ने खनन को पारदर्शिता, रोजगार और पर्यावरण के साथ जोड़कर राज्य की तस्वीर बदल दी है। नवंबर 2024 से जुलाई 2025 तक 84 कंपनियों से 6.65 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए हैं, जो राज्य की मजबूत अर्थव्यवस्था की झलक दिखाते हैं। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक खनिज से 11,581 करोड़ रुपए की कमाई हुई है, जो राज्य बनने के बाद से 30 गुना बढ़ोतरी है। 2025 में खनन से राज्य की जीडीपी में 14,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का योगदान होने का अनुमान है। 

राज्य बनने के बाद खनन का सफर 

2000 में जब छत्तीसगढ़ बना, तो यहां की धरती के नीचे छिपा खजाना विकास की कुंजी बना। कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर जैसे पारंपरिक खनिजों से लेकर अब लीथियम, यूरेनियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ मेटल्स जैसे आधुनिक खनिजों तक, राज्य ने अपनी क्षमता को दुनिया के सामने रखा है। 

देश में कोयले का तीसरा सबसे बड़ा भंडार यहां है और उत्पादन में 20.73 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ का है, जो दूसरे नंबर पर रखता है। लौह अयस्क में भी 19 प्रतिशत भंडार और 16.64 प्रतिशत उत्पादन राज्य का है। इन 25 सालों में खनन ने राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया। शुरू में चुनौतियां थीं, जैसे अवैध खनन और पर्यावरण की चिंता, लेकिन अब ई-नीलामी और डिजिटल निगरानी से सब कुछ पारदर्शी हो गया है। 

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चूना, पत्थर के 200 मिलियन टन भंडार 

बलौदाबाजार, सूरजपुर और बलरामपुर जैसे जिलों में चूना पत्थर के 200 मिलियन टन से ज्यादा भंडार हैं, जिनमें औसतन 42 प्रतिशत कैल्शियम ऑक्साइड है। यह सीमेंट और स्टील जैसे उद्योगों के लिए सोने जैसा है। रजत जयंती के इस साल में खनन ने न सिर्फ राजस्व बढ़ाया, बल्कि हजारों नौकरियां भी दीं। सरगुजा जिले की PEKB कोल माइंस देश की पहली ऐसी खदान है, जहां 9 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर पूरी बिजली खुद पैदा की जा रही है- यह हरित ऊर्जा और खनन का शानदार उदाहरण है।

निकल, क्रोमियम और प्लेटिनम के तत्व मिले 

ऐसे ही छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के भालुकोना–जामनीडीह क्षेत्र में निकल, क्रोमियम और प्लेटिनम समूह के तत्व (PGE) मिले हैं। यह खोज डेक्कन गोल्ड माइनिंग लिमिटेड (DGML) ने की है। यह इलाका लगभग 3000 हेक्टेयर में फैला है। इस ब्लॉक की नीलामी 6 मार्च 2023 को हुई थी, जिसमें DGML ने सबसे ऊंची बोली लगाई।

इसके बाद कंपनी ने ड्रोन सर्वे, नमूना परीक्षण और अन्य वैज्ञानिक तरीकों से अन्वेषण शुरू किया। शुरुआती नतीजे उत्साहजनक हैं। अब तक करीब 700 मीटर लंबी खनिज पट्टी और 300 मीटर गहराई तक सल्फाइड खनिजों की मौजूदगी मिली है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे राज्य और देश के लिए ऐतिहासिक खोज बताया है। सरकार का कहना है कि यह आत्मनिर्भर भारत के मिशन को मजबूत करेगी और हरित ऊर्जा व हाई-टेक तकनीक के लिए जरूरी खनिज उपलब्ध कराएगी।

आपको बता दें कि अब तक राज्य में 51 खनिज ब्लॉकों की नीलामी हो चुकी है, जिनमें निकल, क्रोमियम, ग्रेफाइट, लिथियम और टिन जैसे खनिज शामिल हैं। इसके लिए छत्तीसगढ़ ने ‘क्रिटिकल मिनरल सेल’ भी बनाया है, जो शोध और संस्थागत सहयोग से खनिज विकास को बढ़ावा देगा।

इनोवेशन कर रही साय सरकार 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने खनन को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाया है। उन्होंने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया, जैसे सैटेलाइट इमेजरी से अवैध खनन पर नजर। बेहतर काम करने वाली खदानों को स्टार रेटिंग देकर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उनके निर्देश पर ई-नीलामी से भ्रष्टाचार खत्म हुआ, और अब राज्य अन्वेषण ट्रस्ट बनाने की तैयारी है जो खोज को और बेहतर बनाएगा।

स्टील उद्योग को बढ़ावा दे रहे सीएम 

स्टील उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने निवेशकों को आमंत्रित किया है और नए अनुदान व सुविधाओं का वादा किया है। दक्षिण कोरिया की कंपनियों को भी निवेश के लिए बुलाया गया है। बस्तर जैसे इलाकों में विकास का नया दौर शुरू हुआ है, जहां नक्सल प्रभाव कम होने से खनन प्रोजेक्ट्स तेजी पकड़ रहे हैं।

सीएम के नेतृत्व में 51 से ज्यादा खनिज ब्लॉक नीलाम हो चुके हैं। 13 नई परियोजनाओं में खोज चल रही है। इनमें चूना पत्थर के 283 मिलियन टन, लौह अयस्क के 67 मिलियन टन और बॉक्साइट के 3 लाख टन के भंडार मिले हैं। सूरजपुर के जाजावल में यूरेनियम की खोज के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है, जबकि मैंगनीज, सोना, ग्रेफाइट और ग्लूकोनाइट जैसे खनिजों पर काम जारी है।

लीथियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिज 

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां लीथियम ब्लॉक की ई-नीलामी सफल हुई। कोरबा जिले के कटघोरा ब्लॉक को 76 प्रतिशत प्रीमियम पर निजी कंपनी को दिया गया है। लीथियम आज इलेक्ट्रिक गाड़ियां, मोबाइल बैटरी और रक्षा क्षेत्र में जरूरी है। केंद्र के 'क्रिटिकल मिनरल मिशन' में छत्तीसगढ़ की बड़ी भूमिका है, यहां 56 खोज परियोजनाओं में से 31 ऐसे खनिजों पर हैं, जो आर्थिक और रणनीतिक रूप से अहम हैं।

इस तरह हो रहा प्रदेश में काम 

2024-25 में चूना पत्थर के 2500 मिलियन टन और लौह अयस्क के 93 मिलियन टन भंडार अनुमानित हुए हैं। 2025-26 के लिए महत्वपूर्ण खनिजों को शामिल किया गया है। केंद्र से चूना पत्थर और बॉक्साइट की एक-एक परियोजना मंजूर हुई है। निजी संस्थानों के साथ मिलकर लीथियम, नियोबियम, टैंटेलम, टाइटेनियम और रेयर अर्थ मेटल्स पर दो प्रस्ताव स्वीकृत हैं।

कुल 29 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिनमें बॉक्साइट, सोना, ग्लूकोनाइट, लीथियम, टाइटेनियम, फॉस्फोराइट, फ्लोराइट, लेड और जिंक शामिल हैं। राज्य स्तर पर 11 परियोजनाएं मंजूर हैं, जिनमें स्ट्रेटेजिक मिनरल्स पर 2, ग्लूकोनाइट पर 2, लेपिडोलाइट पर 1, चूना पत्थर पर 2, लौह अयस्क पर 2 और बॉक्साइट पर 2 हैं।

DMF फंड: खनन प्रभावित इलाकों में नई जिंदगी

खनन से प्रभावित गांवों को बेहतर बनाने के लिए जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) फंड कमाल कर रहा है। अब तक 16,506 करोड़ रुपए से 1,01,313 विकास के काम मंजूर हुए हैं, जिनमें 70,318 पूरे हो चुके हैं। 2024-25 में 1,673 करोड़ से शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी और रोजगार के 9,362 काम शुरू हुए। इस बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया। नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने प्रशस्ति पत्र सौंपा है। 
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