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Impact Feature
Raipur. छत्तीसगढ़ ने बीते ढाई दशक में विकास की राह में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कभी फाइलों के ढेर में उलझी व्यवस्था, कभी योजनाओं की अधूरी तस्वीरें और जनता की थकान। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य ने सुशासन की नई परिभाषा गढ़ी है।
साय सरकार का लक्ष्य साफ है। मुख्यमंत्री ऐसा शासन चाहते हैं, जो केवल आदेशों से नहीं, बल्कि व्यवस्था के भीतर से बदले। इसके लिए पिछले महीनों में कई ऐतिहासिक प्रशासनिक सुधार लागू किए गए हैं, जिनसे शासन की कार्यशैली और जनता के अनुभव— दोनों में बड़ा परिवर्तन आया है। खुद मुख्यमंत्री साय भी ज़मीन पर उतरे और उन्होंने सुशासन तिहार कार्यक्रम के जरिए गांव-गांव पहुंचकर लोगों से सीधा संवाद किया।
अटल मॉनिटरिंग पोर्टल
राज्य सरकार ने विकास कार्यों की रफ्तार और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अटल मॉनिटरिंग पोर्टल शुरू किया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर बने इस पोर्टल पर हर विभाग की योजनाओं का पूरा डेटा उपलब्ध है। अब अधिकारी ही नहीं, आम नागरिक भी यह देख सकते हैं कि किस योजना पर कितना बजट खर्च हुआ। काम किस स्थिति में है और लक्ष्य कब तक पूरा होगा। यह पारदर्शिता न केवल शासन के भरोसे को बढ़ा रही है, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावना भी घटा रही है।
GeM पोर्टल
पहले सरकारी खरीदी की प्रक्रिया में बिचौलियों और मनमानी दरों की चर्चा आम थी। अब छत्तीसगढ़ ने Government e-Marketplace (GeM) पोर्टल के जरिए पूरी प्रणाली ऑनलाइन कर दी है। हर सप्लायर को समान अवसर मिलता है, प्रतिस्पर्धा बढ़ी है और अनियमितता पर लगाम लगी है। इससे सरकारी खर्च में बचत तो हुई ही है, शासन की साख भी मजबूत हुई है।
ई-ऑफिस सिस्टम
अब सरकारी फाइलें ‘कब अटकीं’ यह सवाल पुराना हो गया है। राज्य में लागू ई-ऑफिस सिस्टम ने प्रशासनिक ढांचे को पूरी तरह डिजिटल बना दिया है। अब हर दस्तावेज़ की ट्रैकिंग संभव है। कोई फाइल गुम नहीं हो सकती और निर्णय प्रक्रिया कई गुना तेज़ हुई है। छत्तीसगढ़ अब पेपरलेस गवर्नेंस की दिशा में देश के अग्रणी राज्यों में गिना जा रहा है।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम
सरकार ने नागरिकों को समय पर सेवाएं देने की गारंटी तय की है। लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत 13 विभागों की 100 से अधिक सेवाएं शामिल हैं। तय समय सीमा में सेवा न मिलने पर संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है। इससे जनता का भरोसा बढ़ा है और अफसरों की जवाबदेही तय हुई है। यह अधिनियम अब शासन और जनता के बीच “भरोसे का पुल” बन चुका है।
अन्य बड़े सुधार
ऑनलाइन ट्रांसफर-पोस्टिंग सिस्टम: अब तबादले पूरी तरह ऑनलाइन, सिफारिश और दबाव से मुक्त।
ई-टेंडरिंग व्यवस्था: ठेकों और निविदाओं में पूरी प्रक्रिया डिजिटल, गड़बड़ी की गुंजाइश न्यूनतम।
जन शिकायत निवारण पोर्टल: अब शिकायत सीधे दर्ज करें और सचिवालय स्तर पर उसकी निगरानी पाएं।
डिजिटल पेमेंट सिस्टम: नकद लेन-देन की जगह पूरी तरह कैशलेस सिस्टम, रिश्वत के रास्ते बंद।
Social Audit: जनता अब योजनाओं की निगरानी में सीधी भागीदार।
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जीरो टॉलरेंस नीति
साय सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति केवल बयान नहीं, ठोस कार्रवाई में दिख रही है। रिश्वत लेते पकड़े गए अधिकारियों पर तत्काल निलंबन और दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई हो रही है। सतर्कता इकाई (Vigilance) को भी ज्यादा पावर दिए गए हैं, ताकि किसी स्तर पर लापरवाही या मनमानी न हो। इससे शासन की कार्यसंस्कृति में जवाबदेही और ईमानदारी दोनों बढ़ी हैं।
जनकल्याण योजनाओं का विस्तार
मुख्यमंत्री साय ने प्रशासनिक सुधारों के साथ कल्याणकारी योजनाओं को भी मजबूत किया है। कैबिनेट की पहली बैठक में ही 18 लाख प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए, जिन पर तेजी से काम चल रहा है। नए वित्तीय वर्ष में तीन लाख अतिरिक्त आवासों की मंजूरी भी मिल चुकी है।
पात्रता का दायरा भी बढ़ाया गया है। अब टू-व्हीलर रखने वाले, 5 एकड़ तक असिंचित भूमि वाले और 15 हजार मासिक आय तक के परिवार भी योजना के पात्र हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना 2.0 के तहत 1.32 लाख हितग्राहियों के लिए राज्यांश की मंजूरी दी जा चुकी है।
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जनता के हित में फैसले
सरकार ने जरूरतमंद 68 लाख परिवारों को पांच साल तक मुफ्त राशन देने का फैसला लिया है। वहीं, तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए दर ₹4,000 से बढ़ाकर ₹5,500 प्रति मानक बोरा कर दी गई है, जिससे लाखों परिवारों को सीधा आर्थिक लाभ मिला है।
सुशासन तिहार एक अच्छी पहल
सुशासन तिहार 2025 मुख्यमंत्री की इस तरह की यात्राओं से अब एक दिखावटी आयोजन नहीं, बल्कि 'जनता के बीच जाकर, धरातल पर फैसले लेने का अभियान' बन गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह प्रयास प्रशासनिक तंत्र को एक स्पष्ट संदेश देता है कि योजनाओं की सफलता दफ्तरों की फाइलों में नहीं, गांव की चौपालों में है। छत्तीसगढ़ के लिए यह केवल एक दिन की खबर नहीं, बल्कि आने वाले सुशासन की झलक है।
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नौकरियों में पारदर्शिता
भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने के लिए छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कड़ा रुख अपनाया है। पीएससी परीक्षाओं में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। साथ ही, यूपीएससी की तर्ज पर परीक्षा प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया है। इससे न केवल परीक्षा की विश्वसनीयता बढ़ी है, बल्कि युवाओं में भरोसा भी लौटा है।
भविष्य में इन कामों पर जोर
सरकार अब शासन को और आधुनिक बना रही है। ब्लॉकचेन तकनीक से योजनाओं की निगरानी की तैयारी है। एआई आधारित शिकायत निवारण प्रणाली आएगी। पंचायत स्तर तक ई-गवर्नेंस सेवाओं का विस्तार किया जाएगा।
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