दांव पर लगी दिग्गजों की प्रतिष्ठा, विष्णुदेव और भूपेश की साख का सवाल

छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णुदेव साय और पूर्व सीएम भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसके अलावा भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल, कांग्रेस के पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, डॉ. शिवकुमार डहरिया के राजनीतिक जीवन का फैसला भी इस चुनाव से तय होगा।

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Jitendra Shrivastava
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अरुण तिवारी, RAIPUR. ये लोकसभा चुनाव ऐसा है जिसमें दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। छत्तीसगढ़ में एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय। कांग्रेस ने एक सीट जीतने के लिए भूपेश बघेल को राजनांदगांव से उम्मीदवार बना दिया। यहां पर चुनावी जीत भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। वहीं कोरबा पर छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेता चरणदास महंत की साख भी दांव पर लगी हुई है। कोरबा में उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत उम्मीदवार हैं जिनको जिताने की जिम्मेदारी महंत की है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज खुद की टिकट का बलिदान देकर बस्तर जीतने के लिए दम भरते रहे ताकि उनकी बची खुची प्रतिष्ठा बच जाए। बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। जिस तरह से साय ने मोदी की गारंटी पूरी करने में तीन महीने भी नहीं लगाए उससे जनता को कितना फर्क पड़ा, यह ईवीएम बताएगी। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर लगी है। इसके अलावा भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल, कांग्रेस के पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, डॉ. शिवकुमार डहरिया के राजनीतिक जीवन का फैसला भी इस चुनाव से तय होगा।

तीन चरणों में हुआ चुनाव 

छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर तीन चरणों में मतदान हुआ। 19 अप्रैल को पहले चरण में सिर्फ बस्तर में वोटिंग हुई थी। 26 अप्रैल को दूसरे चरण में राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर की सीटों पर मतदान हुआ। वहीं 7 मई को तीसरे चरण में सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर में वोटिंग हुई। 

इन सीटों पर इनमें मुकाबला... 

रायपुर :

बृजमोहन अग्रवाल : बीजेपी 

विकास उपाध्याय : कांग्रेस 

कोरबा :

सरोज पांडे : बीजेपी 

ज्योत्सना महंत : कांग्रेस 

जांजगीर चांपा :

कमलेश जांगड़े : बीजेपी 

शिव डेहरिया : कांग्रेस 

सरगुजा :

चिंतामणि महाराज : बीजेपी 

शशि सिंह : कांग्रेस 

दुर्ग :

विजय बघेल : बीजेपी 

राजेंद्र साहू : कांग्रेस 

बिलासपुर :

तोखन साहू : बीजेपी 

देवेंद्र यादव : कांग्रेस 

राजनांदगांव :

संतोष पांडे : बीजेपी

भूपेश बघेल : कांग्रेस

बस्तर :

महेश कश्यप : बीजेपी

कवासी लखमा : कांग्रेस

महासमुंद :

रुपकुमारी चौधरी : बीजेपी

ताम्रध्वज साहू : कांग्रेस

कांकेर :

भोजराज नाग : बीजेपी

बिरेश ठाकुर : कांग्रेस

रायगढ़ :

राधेश्याम राठिया : बीजेपी

डॉ मेनका सिंह : कांग्रेस

इन उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा दांव पर... 

भूपेश बघेल : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की साख दांव पर लगी हुई है। बीजेपी ने उनके खिलाफ शराब घोटाला, महादेव सट्टा एप घोटाला, गोठान घोटाला समेत भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया है। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सभाएं हुई हैं। भ्रष्टाचार के अलावा मोदी और शाह ने नक्सली मुद्दे को भी उठाया है। बीजेपी ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि नक्सली समस्या और आतंकवाद ही कांग्रेस का दूसरा नाम हैं। वहीं कांग्रेस ने भी यहां पर पूरी ताकत झोंकी है। राजनांदगांव में प्रियंका गांधी की सभा हुई। 

बृजमोहन अग्रवाल : स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमेाहन अग्रवाल छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर और दिग्गज नेता माने जाते हैं। बीजेपी ने इस बार उनको रायपुर से उम्मीदवार बनाया है। हालांकि यहां पर जीत_हार की बहुत ज्यादा चर्चा नहीं है। चर्चा यहां पर जीत के मार्जिन को लेकर है। बड़ी जीत हासिल करना बृजमोहन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। 

ज्योत्सना और सरोज : कोरबा में दो नेत्रियां आमने सामने हैं। यह सीट भी प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत, चरणदास महंत की पत्नी हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी की फायर ब्रांड नेता सरोज पांडे कोरबा से उम्मीदवार हैं। यह सीट भी इन दोनों नेत्रियों के लिए साख का सवाल है। 

डेहरिया और ताम्रध्वज : शिवकुमार डेहरिया और ताम्रध्वज साहू छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़ा नाम माने जाते हैं। यह अपने_अपने समुदाय के चेहरे भी हैं। शिवकुमार डेहरिया को कांग्रेस ने जांजगीर चांपा से तो ताम्रध्वज साहू को महासमुंद से उम्मीदवार बनाया है। यह पूर्व मंत्री अपनी साख बचाने में जुटे हैं। 

कवासी लखमा : बस्तर से कांग्रेस उम्मीदवार कवासी लखमा के लिए भी यह जीत बहुत मायने रखती है। कवासी लखमा लगातार छह बार के विधायक हैं। उनके सामने बीजेपी के महेश कश्यप हैं।महेश नए हैं जबकि कवासी लखमा सीनियर राजनेता हैं। वहीं यह सीट पिछली बार कांग्रेस के दीपक बैज ने जीती थी जो इस समय पीसीसी चीफ हैं। उनकी टिकट काटकर कवासी लखमा को टिकट दी गई। यही कारण है कि यहां की जीत कवासी,दीपक और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गई है।

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