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RAIPUR. यदि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर प्रभावी ढंग से हो तो तस्वीर बदलने में देर नहीं लगती। ऐसी ही योजना है छत्तीसगढ़ की महतारी वंदन योजना...। इस स्कीम ने लाखों महिलाओं के जीवन को नई दिशा दी है, उम्मीद दी है और आत्मनिर्भरता का वो रास्ता दिखाया है जिससे नए छत्तीसगढ़ की बुनियाद रखी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 मार्च 2024 को महतारी वंदन योजना की शुरुआत कर पहली किस्त ट्रांसफर की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में यह योजना जन-जन तक पहुंची। आज की तारीख़ में यह योजना करीब 70 लाख महिलाओं तक पहुंच चुकी है।
हर पात्र महिला के खाते में प्रतिमाह 1000 रुपए की राशि ट्रांसफर की जा रही है। अब तक 15 महीने में महिलाओं के खाते में 15-15 हजार रुपए की राशि ट्रांसफर हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ के दूरस्थ और आदिवासी अंचलों में रहने वाली महिलाएं जो पहले सामाजिक और आर्थिक सीमाओं के चलते आत्मनिर्भरता की कल्पना भी नहीं कर पाती थीं, आज उसी योजना के जरिए अपने परिवार, बच्चों और भविष्य के लिए फैसले खुद ले रही हैं।
सुकमा जिले की ग्राम फुलबगड़ी की अनिता माड़वी अब हर महीने मिलने वाली सहायता राशि को अपनी बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते में जमा कर रही हैं। अनिता का कहना है, पहले छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जोड़ पा रही हूं। यह योजना मेरे लिए सिर्फ पैसा नहीं, उम्मीद की पूंजी है।
डौंडी विकासखंड की मंजूलता और सविता टेकाम की कहानियां बताती हैं कि कैसे एक-एक हजार रुपए की राशि किसी परिवार की आर्थिक धुरी बन सकती है। मंजूलता का बेटा सरकारी कॉलेज में बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र है। पहले पढ़ाई में रुकावटें थीं, अब नियमित पैसा आने से पढ़ाई का सिलसिला सहजता से चल रहा है। सविता टेकाम का परिवार मजदूरी पर निर्भर है। वे बताती हैं कि योजना की यह राशि बच्चों की पढ़ाई का संबल बन गई है।
सिरपुर की केंवरा कमार पहले बांस शिल्प पर निर्भर थीं, आर्थिक तंगी के चलते इस कारीगरी को लगभग छोड़ चुकी थीं। फिर आई महतारी वंदन योजना। इससे मिलने वाली राशि ने उन्हें फिर से अपने हुनर को बाजार तक पहुंचाने की ताकत दी है। अब वे बांस, रस्सी और अन्य सामग्री खरीद कर व्यवसाय चला रही हैं और अपने बच्चों को शिक्षा दे रही हैं।
आत्मनिर्भर बनाने की सरकार की ठोस कोशिश है। महतारी वंदन योजना सिर्फ पैसे की योजना नहीं है, यह मातृशक्ति कोसिरपुर की भामिनी गोस्वामी अपनी बेटी के लिए हर महीने मिलने वाले हजार रुपए सुकन्या योजना में जमा कर रही हैं। वे कहती हैं, पहले तो इतनी भी बचत नहीं थी कि बेटी के भविष्य के बारे में सोच पाते। अब हर महीने छोटी-सी राशि जोड़कर हम उसके लिए मजबूत आधार तैयार कर पा रहे हैं।
महतारी वंदन योजना में उन्हीं महिलाओं को राशि दी जाती है, जो 21 से 60 वर्ष की आयु वर्ग में हैं। पारदर्शी व्यवस्था के तहत राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे खातों में भेजी जा रही है।
योजना को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि छत्तीसगढ़ की मातृशक्ति का आत्मसम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है। जब मां-बहनें खुश होती हैं, आत्मनिर्भर बनती हैं तो राज्य का हर परिवार मजबूत होता है। महतारी वंदन योजना से महिलाओं की जिंदगी बदली है। समाज में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत हो चुकी है।
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