अरुण तिवारी, RAIPUR. बीजेपी छत्तीसगढ़ में 11 में से 10 सीट जीतने में कामयाब रही है, लेकिन इन दस सीटों की खुमारी एक सीट की हार ने निकाल दी। इस हार का बोझ संगठन उठा नहीं पा रहा है। एक सीट की हार से बीजेपी के अंदर घमासान मच गया है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के पास आई रिपोर्ट ने संगठन में खलबली मचा दी। इस रिपोर्ट में ऐसे कारण सामने आए हैं जो हैरान करने वाले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरोज पांडेय के एरोगेंस और स्थानीय कार्यकर्ताओं को तवज्जो न देने से पार्टी हार गई। पार्टी ने सभी 11 उम्मीदवारों को मुख्यालय बुलाया था। इनमें दस सांसद तो पहुंच गए, लेकिन सरोज पांडे नहीं आईं।
एक हार से पार्टी इतनी परेशान क्यों
चुनाव के नतीजे आते ही आखिर बीजेपी के अंदर इतना घमासान क्यों मचा है। यह सवाल इन दिनों राजनीतिक गलियारे में गूंज रहा है। 11 लोकसभा सीटों में से दस सीटों पर तो प्रचंड विजय मिली है फिर एक हार से पार्टी इतनी परेशान क्यों है। बीजेपी ने 11 सीट में से सात सीट पर बिल्कुल नए उम्मीदवार उतारे थे, वे सब के सब जीत गए। पुराने तीन चेहरों में एक ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की तो एक ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बड़े अंतर से हरा दिया। तो फिर आखिर एक सीट क्यों हार गए। इस सीट पर रणनीति के तहत बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की बड़ी और फायरब्रांड नेता सरोज पांडे को कोरबा से सिटिंग एमपी ज्योत्सना महंत के खिलाफ मैदान में उतारा। उम्मीद थी कि ये सीट आसानी से जीत जाएंगे। लेकिन इस सीट की हार ने बीजेपी की नाक कटा दी। क्योंकि इस सीट पर कोई नई नवेली उम्मीदवार नहीं बल्कि, प्रदेश में पार्टी का सबसे बड़ा महिला चेहरा सामने था। इस हार से पार्टी के अंदर कलह मच गई।
बड़े नेताओं की कमराबंद बैठक हुई
अब इसके आगे की कहानी बताते हैं। पार्टी ने आनन-फानन में मुख्यालय में बैठक बुलाई। मीडिया को कानो कान खबर न हो इसलिए इस बैठक को पार्टी की बड़ी सफलता का अभिनंदन समारोह कहा गया। इस बैठक में सभी 11 सीटों के उम्मीदवारों को बुलाया गया जिसमें से 10 सांसद बन चुके हैं। बैठक में सभी दस सांसद पहुंचे लेकिन सरोज पांडे नदारद रहीं। सरोज पांडे को किसी खास कारण से यहां बुलाया गया था। इस बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री अजय जामवाल भी शामिल हुए। अजय जामवाल ने बड़े तल्ख लहजे में कहा कि कांग्रेस को आप लोगों ने बड़ा कमजोर मान लिया, लेकिन असल में कांग्रेस इतनी कमजोर नहीं है। यही भूल आपको भारी पड़ गई। बड़े नेताओं की कमराबंद बैठक भी हुई। इसमें अजय जामवाल, सीएम, प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हुए। पार्टी ने कोरबा की हार के बाद वहां की फीडबैक रिपोर्ट तैयार करवाई। इस रिपोर्ट में जो कारण सामने आए वे हैरान करने वाले थे।
रिपोर्ट में हार के ये कारण सामने आए...
एरोगेंसी : सरोज पांडे की एरोगेंसी और तीखे तेवरों के कारण वे कार्यकर्ताओं के करीब नहीं आ पाईं।
स्थानीय कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं : सरोज पांडे को जोगी कांग्रेस पर भरोसा करना भारी पड़ गया। बीजेपी के कार्यकर्ता इससे नाराज हो गए। जोगी के प्रभाव वाले पाली तानाखार जैसे इलाके से महंत को 48 हजार की लीड मिल गई।
काम में लगे बाहरी कार्यकर्ता : सरोज पांडे ने स्थानीय कार्यकर्ताओं पर भरोसा न कर अपने इलाके के कार्यकर्ताओं को काम पर लगाया, यहां तक कि पोलिंग एजेंट भी वही कार्यकर्ता बने।
हाईप्रोफाइल प्रचार : सरोज पांडे का हाईप्रोफाइल कद और बर्ताव उनके खिलाफ गया। वे हवा में ज्यादा रहीं और जमीन पर कम। लिहाजा जमीन के वोटरों को अपने पक्ष में नहीं कर पाईं।
साथ नहीं आए कारोबारी : उनके साथ स्थानीय कारोबारी भी नहीं थे। उनको डर था कि यदि पांडे जीत गईं तो यहां के उद्योगों पर उनके समर्थकों का कब्जा हो जाएगा।
यही कारण रहा कि इस सीट पर न चार मंत्री काम आए और न ही छह विधायक। सरोज पांडे की इसी छवि के कारण पार्टी के अंदर भितरघात भी हुआ। संगठन के नेता इशारों में ये कहते भी हैं अकेले सरकार की कमी नहीं बल्कि, दूसरी कमियां भी रही हैं।
कांग्रेस ने कहा, जनता ने मोदी की गारंटी नकारा
कांग्रेस भले ही एक सीट जीती हो, लेकिन वो गदगद है। इस सीट पर अमित शाह, योगी आदित्य नाथ के साथ खुद सीएम विष्णुदेव साय ने प्रचार किया था। कांग्रेस कहती है कि जनता ने मोदी की गारंटी और विष्णुदेव साय के सुशासन को नकार दिया।
प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने 'द सूत्र' से कहा...
बीजेपी ने अभी तो फीडबैक रिपोर्ट तैयार कराई है लेकिन पार्टी एक डिटेल रिपोर्ट भी बनवा रही है। सूत्रों की मानें तो अमित शाह ने इस सीट की हार की रिपोर्ट पार्टी संगठन से मांगी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने 'द सूत्र' से कहा कि इस बात की समीक्षा की जाएगी कि आखिर कोरबा में हार के क्या कारण रहे। उन कारणों को दूर किया जाएगा।