भारतमाला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार, फर्जी बेटी बनाकर दे दिया मठ की जमीन का मुआवजा

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्नम एक्सप्रेस वे में हुए 300 करोड़ से ज्यादा के भ्रष्टाचार की फाइलों के पन्ने एक के बाद एक खुलने लगे हैं। इस भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। इस जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।

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Arun Tiwari
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Corruption in Bharatmala project, compensation for monastery land given to fake daughter the sootr
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रायपुर : भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्नम एक्सप्रेस वे में हुए 300 करोड़ से ज्यादा के भ्रष्टाचार की फाइलों के पन्ने एक के बाद एक खुलने लगे हैं। इस भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। इस जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में चार मास्टर माइंड गिरफ्तार हो चुके हैं। इन लोगों ने ही तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला।

द सूत्र ने इस मामले की पड़ताल कर सबसे पहले यह बताया था कि इसका मास्टर माइंड जमीनों का दलाल हरमीत खनूजा है। खनूजा ने ही यहां जमीनों की खरीद फरोख्त और उनको टुकड़ों में बांटने जैसे कई काम किए। खनूजा अब ईओडब्ल्यू की गिरफ्त में है। भ्रष्टाचार यहां तक हुआ कि प्रोजेक्ट के तहत आ रही मठ की जमीन का करोड़ों का मुआवजा एक महिला को फर्जी बेटी बनाकर दे दिया गया। आइए आपको बताते हैं अब तक खुलीं भारतमाला के भ्रष्टाचार की फाइलें। 

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भ्रष्टाचार करने वालों पर एक्शन शुरू 

रायपुर से विशाखापट्नम के बीच भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे कॉरिडोर में भ्रष्टाचार करने वालों पर एक्शन शुरु हो गया है। इस पूरे मामले की जांच एसीबी और ईओडब्ल्यू कर रही है। भारत माला प्रोजेक्ट गड़बड़ी मामले में ACB-EOW की टीम ने 4 लोगो को गिरफ्तार किया है। इन लोगों को इस मामले का मास्टर माइंड माना जा रहा है। इनमें उमा तिवारी, उमा के पति केदार तिवारी,विजय जैन और हरमीत खनूजा हैं। हरमीत खनूजा के बारे में सबसे पहले द सूत्र ने ही बताया था।

जमीनों का दलाल हरमीत खनूजा ने ही भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत आ रहीं जमीनों की खरीद फरोख्त कर भ्रष्टाचार का ताना बाना बुना था। ईओडब्ल्यू ने अलग अलग शहरों में 20 जगह पर छापामार कार्रवाई की है। EOW ने प्रदेश के रायपुर,दुर्ग,बिलासपुर,महासमुंद में 20 अधिकारियों के यहां कार्रवाई की। इनमें SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक समेत राजस्व विभाग के कई अधिकारियों के ठिकानों पर जांच कर दस्तावेजों की जब्त किया गया है।

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भ्रष्टाचार की फाइलों के खुल रहे पन्ने 

तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू ने भ्रष्टाचार करने के लिए खुद के नियम बना डाले। साहू ने रायपुर-धमतरी राष्ट्रीय राजमार्ग का फंड भी फर्जी भूस्वामियों को मुआवजे के तौर पर बांट दिया। भारतमाला प्रोजेक्ट में जब मुआवजे की रकम कम पड़ी तो दूसरे प्रोजेक्ट के फंड से 2 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा बांट दिया। निर्भय ने दलालों के साथ मिलकर इस मुआवजे में भ्रष्टाचार किया।

परियोजना में जैतूसाव मठ को जमीन के मुआवजे के तौर पर 2 करोड़ 37 लाख की मुआवजा राशि दी जानी थी। यह पैसा उमा तिवारी को दे दिया गया जबकि उमा तिवारी का उस मठ मंदिर ट्रस्ट से कोई लेना देना नहीं था। मामला ये था कि विश्वनाथ पांडे ने 1972 में महंत लक्ष्मीनारायण दास से जमीन खरीदी थी। उनकी नकली बेटी बनाकर उमा को मुआवजा दिया गया।

विश्वनाथ पांडे के पोते सुभाष पांडे ने शपथ पत्र देकर निर्भय साहू को बताया था कि उमा तिवारी नाम की कोई भी महिला विश्वनाथ पांडे की बेटी नहीं है। इसके बाद भी निर्भय साहू ने उमा तिवारी को 2 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा दे दिया। इस पूरे खेला का मास्टर माइंड हरमीत खनूजा और विजय जैन हैं। उमा के आवेदन पत्र में पता विजय जैन की ड्रायफ्रूट की दुकान का था।

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नोटशीट चलाकर किया भ्रष्टाचार 

निर्भय साहू ने ये भ्रष्टाचार करने के लिए बाकायदा नोटशीट भी चलाई। इस नोट शीट में साहू ने लिखा कि कई गांवों के 40 से ज्यादा किसानों को मुआवजा राशि वितरण करना है। किसान ब्याज समेत मुआवजे की मांग कर रहे हैं। भुगतान नहीं करने पर सड़क चौड़ीकरण का विरोध किया जा रहा है। इससे कानून व्यवस्था की स्थिति बन रही है।

इसलिए रायपुर धमतरी एनएच चौड़ीकरण मार्ग निर्माण की शेष राशि 24 करोड़ 2 करोड़ 13 लाख रुपए भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भूस्वामियों को मुआवजे के तौर पर दिया जा रहा है जबकि यह राशि उमा तिवारी को दी गई। यह तो सिर्फ एक पन्ना है ऐसे न जाने कितने पन्ने अभी सामने आने हैं जिनमें यह भ्रष्टाचार की इबारत लिखी हुई है। 

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यह है पूरा मामला 

भारत माला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण मामले में 300 करोड़ का घोटाला हुआ है। जमीन को टुकड़ों में बांटकर NHAI को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया गया। SDM, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज बनाकर घोटाले को अंजाम दिया। कुछ दिनो पहले रायपुर-विशाखापट्टनम तक बन रही (वाइजैग) इकोनॉमिक कॉरिडोर में घोटाले केस में कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड किया गया था। इसके पहले जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था।

शशिकांत और निर्भय पर जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद कार्रवाई हुई थी। निर्भय कुमार साहू सहित पांच अधिकारी-कर्मचारियों पर 43 करोड़ 18 लाख रुपए से अधिक राशि की गड़बड़ी का आरोप है। राजस्व विभाग के मुताबिक मुआवजा करीब 29.5 करोड़ का होता है। अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में भू-माफियाओं ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन को छोटे टुकड़ों में काटकर 159 खसरे में बांट दिया। मुआवजा के लिए 80 नए नाम रिकॉर्ड में चढ़ा दिया गया। अभनपुर बेल्ट में 9.38 किलोमीटर के लिए 324 करोड़ मुआवजा राशि निर्धारित की गई। जिसमें से 246 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है। वहीं 78 करोड़ रुपए का भुगतान अभी रोक दिया गया है।

 

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