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छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में हुए कथित घोटाले ने किसानों, भूस्वामियों और कारोबारियों को संकट में डाल दिया है। इस मामले में जमीन दलालों, पटवारियों और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ है।
रायपुर और धमतरी जिले में गठित जिला स्तरीय विशेष जांच टीम ने 150 से अधिक शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज करने शुरू किए हैं, जिनमें से 50 से ज्यादा पीड़ितों ने मुआवजा नहीं मिलने और फर्जीवाड़े की जानकारी दी है। जांच में सामने आया है कि जमीन को टुकड़ों में बांटकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए मुआवजा हड़पने का खेल रचा गया। इस घोटाले में शामिल जमीन दलालों और अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
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जमीन दलालों का फर्जीवाड़ा, किसानों को ठगा
किसानों और भूस्वामियों का आरोप है कि भारतमाला परियोजना की शुरुआत के साथ ही जमीन दलाल सक्रिय हो गए। उन्होंने कम कीमत पर जमीन खरीदने के लिए एग्रीमेंट किए, लेकिन भुगतान नहीं किया। अधिग्रहण के बाद मुआवजा मिलने पर बकाया देने का वादा किया गया, मगर पीड़ितों को अब तक कुछ नहीं मिला। कई मामलों में एक ही जमीन को फर्जी तरीके से कई लोगों के नाम पर टुकड़ों में बांटकर मुआवजा हड़प लिया गया। उदाहरण के तौर पर, अभनपुर में एक परिवार की चार एकड़ जमीन को 14 हिस्सों में बांटकर 70 करोड़ रुपये का मुआवजा हासिल किया गया। जांच में पाया गया कि जिन लोगों के नाम पर मुआवजा लिया गया, उनका जमीन से कोई संबंध ही नहीं था।
ईओडब्ल्यू की कार्रवाई, चार गिरफ्तार
आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 25 अप्रैल 2025 को रायपुर, धमतरी, महासमुंद और अन्य जिलों में 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा, केदार तिवारी, उनकी पत्नी उमा तिवारी और व्यवसायी विजय जैन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। जांच में 150 संदिग्ध व्यक्तियों और 130 बैंक खातों का पता चला है, जिनके जरिए मुआवजा राशि का गबन किया गया। ईओडब्ल्यू ने छह अन्य आरोपियों को 29 जुलाई तक कोर्ट में पेश होने का अंतिम मौका दिया है, अन्यथा उनकी संपत्ति कुर्क की जा सकती है।
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पटवारी और राजस्व अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका
रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे के निर्देश पर गठित चार जांच टीमें, जिनका नेतृत्व रायपुर और धमतरी के अतिरिक्त कलेक्टर कर रहे हैं, ने पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों (आरआई) की संदिग्ध भूमिका उजागर की है। जांच में पाया गया कि भूमि रिकॉर्ड में हेराफेरी कर मुआवजा राशि को गलत तरीके से बांटा गया। कई मामलों में भूमि रकबा बढ़ाकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। एक तहसीलदार और पटवारी के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी है, और एक पटवारी ने जांच के दबाव में आत्महत्या भी कर ली। सभी 150 शिकायतों की सुनवाई के बाद जांच टीम अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर कार्रवाई होगी।
कारोबारियों का भुगतान अटका, आंदोलन की चेतावनी
घोटाले का दायरा केवल किसानों और भूस्वामियों तक सीमित नहीं है। सड़क निर्माण के लिए सामग्री और वाहन उपलब्ध कराने वाले कारोबारी भी प्रभावित हुए हैं। लखनऊ की शालीमार कॉर्प लिमिटेड, जो अभनपुर से राजपुर तक 43 किमी सड़क निर्माण का काम देख रही है, ने कारोबारियों के करोड़ों रुपये के बिल रोक रखे हैं। सीमेंट, रेत, गिट्टी और अन्य सामग्री की आपूर्ति करने वाले कारोबारियों ने 15 दिन पहले अभनपुर में कंपनी कार्यालय के बाहर धरना दिया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। नाराज कारोबारियों ने अब सामग्री और वाहन आपूर्ति बंद करने का फैसला किया है और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
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क्या है भारतमाला परियोजना?
भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सड़क और राजमार्ग परियोजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में हाई-स्पीड सड़क नेटवर्क विकसित करना है। छत्तीसगढ़ में रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर इसका हिस्सा है, जो रायपुर, धमतरी, कांकेर और अन्य क्षेत्रों से होकर गुजरता है। हालांकि, इस परियोजना में मुआवजा वितरण और भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसके कारण कुल नुकसान 350 करोड़ रुपये तक हो सकता है।
घोटाले से संबंधित 210 मामले लंबित
हाईकोर्ट में इस घोटाले से संबंधित 210 मामले लंबित हैं, और किसानों ने मुआवजा गणना की दोबारा जांच की मांग की है। विपक्ष ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग उठाई है, जबकि राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू और जिला स्तरीय टीमों के जरिए जांच तेज कर दी है। जांच एजेंसियां और सरकार पर यह दबाव है कि दोषियों को सजा दी जाए और पीड़ित किसानों व कारोबारियों को उनका हक मिले। इस घोटाले ने न केवल भारतमाला परियोजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी को भी उजागर किया है।
दोषियों पर शिकंजा कसेगा, पीड़ितों को मिलेगा न्याय
भारतमाला परियोजना घोटाला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण बन गया है। विशेष जांच टीम की कार्रवाई और ईओडब्ल्यू की सख्ती से उम्मीद है कि दोषियों पर शिकंजा कसेगा और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। साथ ही, कारोबारियों के बकाया भुगतान और किसानों के मुआवजे के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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