अरुण तिवारी, RAIPUR. किसी भी चुनाव के नतीजे कई सियासी बदलाव के कारण बनते हैं। जो पार्टी जीतती है उसके संगठन की पीठ थपथपाकर मुखिया को पारितोषिक भी मिलता है। लेकिन जो पार्टी हारती है उसके संगठन को उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। लोकसभा चुनाव के नतीजे चार जून को आएंगे और उसके बाद लोगों को राजनीतिक दलों में संगठनात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। हम यहां पर बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ कांग्रेस की। यहां पर नतीजे जो भी रहें क्या संगठन में बदलाव होगा यह कांग्रेस के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन यहां के बदलाव के पीछे एक डील चर्चा में है। यह डील पीसीसी अध्यक्ष पद के लिए है। यह डील पीसीसी अध्यक्ष ( pcc president ) और एआईसीसी के बीच में है। क्या है यह डील और चुनाव के नतीजों का कितना असर पीसीसी चीफ दीपक बैज की कुर्सी पर पड़ेगा। आइए आपको बताते हैं।
टिकट कटने पर क्यों मौन रहे दीपक :
कांग्रेस की सियासत में यह कम होता है कि सिटिंग एमपी की टिकट काटकर किसी और को दे दी जाए वो भी तब जब सिटिंग एमपी प्रदेश संगठन का अध्यक्ष हो। लेकिन यह हुआ है छत्तीसगढ़ में। बस्तर से मोदी लहर में 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले दीपक बैज को इस बार बस्तर से टिकट नहीं दी गई। उनकी जगह छह बार के एमएलए और पूर्व मंत्री कवासी लखमा को उम्मीदवार बना दिया गया। विधानसभा के दो महीने पहले पीसीसी अध्यक्ष बने दीपक बैज ( Deepak Baij ) की टिकट एक झटके में काट दी गई। सूत्रों की मानें तो टिकट काटने के पीछे दीपक बैज और एआईसीसी के बीच एक समझौता हुआ। समझौते के तहत छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के परिणाम जो भी रहें उसका असर दीपक बैज की कुर्सी पर नहीं पड़ेगा। यानी दीपक बैज चुनाव के बाद भी अपने तीन साल का पीसीसी अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। यही कारण है कि दीपक बैज की टिकट काटकर जब कवासी लखमा को दी गई तो बैज ने कोई टिप्प्णी नहीं की।
मुझे सारी सीटों पर ध्यान देना था : बैज
इस बारे में दीपक बैज ने न तो संगठन के अंदर और न ही कोई सार्वजनिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की। जब उनसे पूछा गया कि उनकी टिकट क्यों काटी गई इसके पीछे का राज क्या है। दीपक बैज ने कहा कि टिकट काटने जैसी कोई बात नहीं है। कांग्रेस संगठन ने सबसे बेहतर और जिताउ उम्मीदवार उतारे हैं। रही बात उनकी टिकट कटने की तो उन्होंने ही यह तय किया था कि वे सारी 11 सीटों पर ध्यान देंगे और सभी सीटों पर चुनाव प्रचार करेंगे। यदि वे उम्मीदवार होते तो सारी सीटों पर ध्यान नहीं दे पाते। बैज ने कहा कि कांकेर से टिकट की चर्चा भी मीडिया में थी जबकि उन्होंने कभी कांकेर से अपनी दावेदारी नहीं की। बैज ने कहा कि इस बार कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतने वाली है और बीजेपी की हालत खराब है और लोगों को अब मोदी की गारंटी पर भरोसा नहीं रहा है।