दिल्ली ने ओके किया ओबीसी मंत्री का नाम, लेकिन लेना पड़ेगा एक इस्तीफा, सतनामी और सामान्य समीकरण सीएम पर

छत्तीसगढ़ सीएम को यदि जातीय संतुलन साधना है तो एक ओबीसी मंत्री का इस्तीफा लेना पड़ेगा। वहीं एक सामान्य वर्ग और एससी के मंत्री के लिए फैसला सीएम पर ही छोड़ दिया गया है। सीएम इस कैबिनेट विस्तार में सतनामी समीकरण भी साध सकते हैं।

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Arun tiwari
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RAIPUR. सीएम विष्णुदेव साय दिल्ली से रायपुर लौट आए हैं। सीएम की वापसी से एक सवाल खड़ा हो गया है कि उनके लिफाफे में वो कौन से नाम हैं जिनको मंत्री की कुर्सी मिलने वाली है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में छत्तीसगढ़ सीएम की कैबिनेट विस्तार को लेकर भी चर्चा हई है। सीएम जो आठ नाम ले गए थे उनमें से ओबीसी वर्ग के नाम को केद्रीय नेतृत्व ने ओके कर दिया है। लेकिन सीएम को यदि जातीय संतुलन साधना है तो एक ओबीसी मंत्री का इस्तीफा लेना पड़ेगा। वहीं एक सामान्य वर्ग और एससी के मंत्री के लिए फैसला सीएम पर ही छोड़ दिया गया है। सीएम इस कैबिनेट विस्तार में सतनामी समीकरण भी साध सकते हैं। 

लिफाफे में किसका नाम

सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में एक और ओबीसी मंत्री बनाया जा सकता है। ओबीसी में भी खासतौर पर यादव समाज का नाम है। दुर्ग से आने वाले विधायक गजेंद्र यादव को मंत्री बनाया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली में उनके नाम को ओके कर दिया गया है। केंद्रीय नेतृत्व मंत्री के रूप में नए चेहरे को तवज्जो दे रहा है। यही कारण है कि गजेंद्र यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है। गजेंद्र ने विधानसभा चुनावमें दुर्ग में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा को 48 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। गजेंद्र संघ के बड़े नेता बिसरा राम यादव के बेटे हैं। छत्तीसगढ़ में इस बार पांच विधायक यादव समाज से चुनकर आए हैं। यादव समाज को साधने, संघ को संतुष्ट करने के लिए गजेंद्र को प्रदेश सरकार में मंत्री पद दिए जाने की चर्चा है।

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गजेंद्र आए तो एक का इस्तीफा

साय कैबिनेट में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग के मंत्री हैं। दो आदिवासी, ओबीसी से अरुण साव,ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन, श्यामबिहारी जायसवाल, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा हैं। यानी दस मंत्रियों में से छह ओबीसी से आते हैं। यदि जातिय संतुलन साधना है तो ओबीसी के एक मंत्री की कुर्सी जा सकती है। इसका फैसला परफार्मेंस के आधार पर होगा। वहीं साय कैबिनेट में एक अनुसूचित जाति और एक सामान्य वर्ग के मंत्री हैं। यानी कम से कम एक-एक मंत्री इस वर्ग से बनाने की भी दरकार है। सीएम की केंद्रीय नेतृत्व से इस बारे में भी चर्चा हुई है। केंद्रीय संगठन ने कहा है कि जातिय और क्षेत्रीय संतुलन बनाकर ही काम करना है। इसलिए अब सीएम इस समीकरण को सुलझाने की उधेड़बुन में जुट गए हैं। 

सामान्य और सतनामी समीकरण 

जातिय संतुलन साधना है तो एक सामान्य वर्ग से और एक एससी से मंत्री बनाना होगा। सीएम यहां पर सतनामी समीकरण भी साधना चाहते हैं। सतनामी समाज से खुशवंत साहेब के नाम की चर्चा भी शुरू हो चुकी है। सतनामी समाज इस बात का दबाव बना रहा है कि उनमें से एक मंत्री बनाया जाना चाहिए। सीएम के उपर पुराने नामों को रिपीट करने का कोई दबाव नहीं है। सामान्य वर्ग से राजेश मूणत, अमर अग्रवाल और भावना बोहरा में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। यदि क्षेत्रीय संतुलन साधा तो लता उसेंडी को मौका देना पड़ेगा। 

जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में विस्तार

सूत्रों की मानें तो साय कैबिनेट का विस्तार जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में हो सकता है। इसके पीछे कारण जुलाई में होने वाला विधानसभा सत्र है। बृजमोहन अग्रवाल के पास रहे पांच विभागों का बंटवारा भी सत्र से पहले करना पड़ेगा। सबसे जरुरी संसदीय कार्यमंत्री बनाना है। इसके अलावा स्कूल शिक्षा, धर्मस्व, संस्कृति और पर्यटन जैसे अहम विभाग भी नए मंत्रियों के हिस्से में आ सकते हैं। दिल्ली से लौटे सीएम ने मंत्रिमंडल विस्तार पर तो कुछ नहीं कहा। उन्होंने पीएम और अमित शाह से मुलाकात में सरकार और उनकी योजनाओं को लेकर हुई बातचीत के बारे में ही बताया।

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