2 मंत्री पद के लिए 8 नाम लेकर दिल्ली गए सीएम विष्णुदेव साय, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने में आ रहा पसीना

छत्तीसगढ़ सीएम साय के सामने जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधना सबसे बड़ी चुनौती है। इस विस्तार में इस समीकरण के हिसाब से ही मंत्री बनाए जाएंगे। जो आठ नाम लेकर सीएम दिल्ली गए हैं उनमें तीन महिलाओं के नाम भी हैं... 

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Jitendra Shrivastava
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RAIPUR. सीएम विष्णुदेव साय के दिल्ली दौरे ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। पहले सीएम का राज्यपाल से मिलना और उसके बाद दिल्ली दौरे से ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में कैबिनेट विस्तार होने वाला है। सीएम की दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई है। इसके अलावा उनकी इस संबंध में जेपी नड्डा और अमित शाह से भी चर्चा होनी है। सरकार विधानसभा सत्र के पहले कैबिनेट में खाली दो पदों को भर सकती है। सीएम मंत्री पद के दावेदारों के कुछ नाम लेकर दिल्ली गए हैं। केंद्रीय नेतृत्व ही इन नामों पर मुहर लगाएगा। 

2 पदों के लिए 8 नाम

सूत्रों की मानें तो सीएम कैबिनेट के दो पदों के लिए 8 नाम लेकर दिल्ली गए हैं। सीएम के सामने जातिय और क्षेत्रीय संतुलन साधना सबसे बड़ी चुनौती है। इस विस्तार में इस समीकरण के हिसाब से ही मंत्री बनाए जाएंगे। जो आठ नाम लेकर सीएम दिल्ली गए हैं उनमें तीन महिलाओं के नाम भी हैं। पीएम यदि एक पद पर पुराने और एक पद पर नए चेहरे को मंत्री बनाने पर जोर देते हैं तो पूर्व मंत्रियों में से किसी एक का नंबर लग सकता है। मंत्रिमंडल में दो पद खाली है। एक पहले ही खाली है और दूसरा बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद खाली हुआ है।

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इन नामों पर विचार...

  1. राजेश मूणत
  2. अमर अग्रवाल
  3. अजय चंद्राकर
  4. गजेंद्र यादव
  5. अरुण सिंह देव
  6. लता उसेंडी
  7. रेणुका चौधरी
  8. भावना बोहरा

ये समीकरण साधना जरूरी 

साय कैबिनेट में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग के मंत्री हैं। दो आदिवासी, एक अनुसूचित जाति और एक सामान्य वर्ग से है। ओबीसी से अरुण साव,ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन,श्यामबिहारी जायसवाल, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा हैं। आदिवासी वर्ग से रामविचार नेताम और केदार कश्यप हैं। सामान्य वर्ग से विजय शर्मा और एससी से दयालदास बघेल मंत्री हैं। अब बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद सामान्य वर्ग से सिर्फ विजय शर्मा ही बचे हैं। ऐसे में राजेश मूणत या अमर अग्रवाल में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। इससे सामान्य वर्ग और वैश्य समुदाय का कोटा पूरा हो जाएगा। सामान्य वर्ग से महिलओं में युवा विधायक भावना बोहरा का भी नाम है। क्षेत्रीय संतुलन में बस्तर संभाग से सिर्फ केदार कश्यप ही मंत्री हैं, जबकि वहां की सारी विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। ऐसे में लता उसेंडी को क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से मौका मिल सकता है। वहीं संगठन में बदलाव के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष अरुण सिंह देव का नाम भी चर्चा में है। ओबीसी वर्ग से गजेंद्र यादव का नाम है। यदि गजेद्र यादव को मंत्री बनाया जाता है तो एक ओबीसी मंत्री को इस्तीफा देना पड़ सकता है।  

22 जुलाई से विधानसभा सत्र

22 जुलाई से छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुरु हो रहा है। बृजमोहन अग्रवाल के पास पांच अहम मंत्रालय थे। इनमें स्कूल शिक्षा, संसदीय कार्य, धर्मस्व,पर्यटन और संस्कृति विभाग शामिल हैं। सरकार से जुड़े लोग कहते हैं कि विधानसभा में इन विभागों से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए भी मंत्री चाहिए। नए मंत्रियों को ये विभाग सौंपे जा सकते हैं ताकि उनको तैयारी करने के लिए और मंत्रालय की वर्किंग के लिए भी थोडा समय मिल जाए। यही कारण है जुलाई में ये कैबिनेट विस्तार हो सकता है।

सीएम विष्णुदेव साय अमित शाह जेपी नड्डा