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छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में व्याप्त अव्यवस्था और नीतियों के दुरुपयोग ने स्कूलों की स्थिति को चिंताजनक बना दिया है। युक्तियुक्तकरण की आड़ में शिक्षकों के स्थानांतरण और निलंबन के बाद त्वरित बहाली जैसे कदम शिक्षा व्यवस्था को और अस्थिर कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ शिक्षा अधिनियम 2008 के प्रावधानों की खुलेआम अवहेलना हो रही है, जिसके चलते स्कूलों में शिक्षकों की कमी और असमान वितरण की समस्या गहराती जा रही है।
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रायपुर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीडीह में 551 विद्यार्थी पढ़ते हैं, लेकिन वहां मात्र 9 व्याख्याता कार्यरत हैं, जबकि 2008 के नियमों के अनुसार 22 शिक्षकों की आवश्यकता थी। हाल ही में युक्तियुक्तकरण के नाम पर 3 और व्याख्याताओं को अतिशेष घोषित कर स्थानांतरित कर दिया गया। नतीजतन, 11 कक्षाओं में 60 पीरियड्स के अध्यापन का बोझ 9 व्याख्याताओं पर है। यदि प्रत्येक व्याख्याता 4-6 पीरियड पढ़ाए, तब भी सभी कक्षाओं का संचालन असंभव है। अवकाश या अन्य परिस्थितियों में तो स्थिति और बदतर हो जाती है।
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रायपुर के दानी स्कूल में 800 बच्चों पर 50 शिक्षक हैं, और रायपुर के ही प्यारेलाल हिंदू शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 127 बच्चों के लिए 23 व्याख्याता कार्यरत हैं। यह असमानता शिक्षा विभाग की नीतियों की विफलता को दर्शाती है। अमलीडीह स्कूल की स्थिति और चिंताजनक है। नवंबर 2023 में हिंदी व्याख्याता चित्ररेखा बंजारे के निलंबन के बाद हिंदी का कोई व्याख्याता नहीं है, फिर भी युक्तियुक्तकरण में इस रिक्ति को दर्ज नहीं किया गया।
गणित की एकमात्र व्याख्याता कोमल बघेल को भी अतिशेष घोषित किया गया, जबकि उनके बिना गणित का कोई शिक्षक नहीं है। पिछले दो वर्षों में इस स्कूल से 6 व्याख्याताओं को स्थानांतरित किया गया और 2 सेवानिवृत्त हुए, जिससे कुल 8 व्याख्याता कम हो गए। केवल एक नए व्याख्याता की नियुक्ति हुई, वह भी सत्र के अंत में।
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शिक्षा विभाग के अधिकारियों और नीति-नियंताओं पर स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के बजाय उसे और बिगाड़ने का आरोप है। प्राचार्य द्वारा बार-बार पत्राचार के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिक्षाविदों का कहना है कि विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप और स्वार्थी प्रशासन ने शिक्षा को उपेक्षित कर दिया है। कई शिक्षक नेतागिरी में व्यस्त होकर पढ़ाई से दूरी बना लेते हैं। इसका असर विद्यार्थियों पर पड़ रहा है।
नए शैक्षणिक सत्र से पहले अमलीडीह जैसे स्कूलों में कम से कम 3 अतिरिक्त व्याख्याता (हिंदी, गणित, और अन्य विषयों में) नियुक्त करना जरूरी है, ताकि 551 बच्चों की पढ़ाई सुचारू हो सके। यदि शिक्षा विभाग समय रहते समाधान नहीं ढूंढता, तो छत्तीसगढ़ के भविष्य के साथ यह खिलवाड़ और गहरा सकता है।
युक्तियुक्तकरण के नाम पर बिगड़ती स्कूल व्यवस्था | cg teacher yuktiyuktkaran | Deteriorating school system in the name of rationalization